दशहरा पर निबंध 200 शब्दों में और दशहरा के 10 दोहे,Essay on Dussehra in 200 words and 10 couplets of Dussehra
दशहरा पर निबंध 200 शब्दों में और दशहरा के 10 दोहे
दशहरा किसका प्रतीक है?
यह त्योहार भगवान राम की राक्षस राजा रावण पर जीत की याद में मनाया जाता है। दशहरा के दिन, रावण और उसके भाइयों मेघनाद और कुंभकर्ण की मूर्तियों को सार्वजनिक चौराहों पर जलाया जाता है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत और बुरी ताकतों के विनाश का प्रतीक है। दशहरा पारिवारिक समारोहों और उत्सवों का भी समय है।
दशहरा पर निबंध 200 शब्दों में ! Essay on Dussehra in 200 words in Hindi
दशहरा, जिसे “विजयादशमी” भी कहा जाता है, भारत का एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो भगवान राम की विजय की खुशी में मनाया जाता है। यह त्योहार भारत के ब्रिटिश गुलामी से स्वतंत्रता प्राप्त करने के 75 साल के आवसर को याद करने के रूप में मनाया जाता है। यह दिन हमारे राष्ट्रीय एकता, गर्व और जागरूकता का प्रतीक है। भारत की आजादी की लड़ाई ने कई दशकों तक चली और इसमें अहिंसा, नागरिक अवज्ञा और जनसमूह के मध्य की एकता की भावना शामिल थी। महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, और बेहद साहसी स्वतंत्रता सेनानियों ने इस स्वतंत्रता संग्राम का मार्गदर्शन किया और देश की आजादी के लिए अपने जीवन की कुर्बानियाँ दी।
दशहरा का अद्भुत महत्व है, जो हमें हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान, उनके अटल संकल्प, और एक सशक्त और समृद्ध भारत के लिए उनके दृष्टिकोण की याद दिलाता है। यह महोत्सव हर नागरिक के दिल में गर्व और देशभक्ति की भावना को बढ़ावा देने का उद्देश्य रखता है। इसके साथ ही, दशहरे के दौरान देश के विभिन्न संस्कृतिक कार्यक्रम, प्रदर्शनी, और गतिविधियों का आयोजन किया जाता है जिससे देश की सांस्कृतिक धरोहर और उपलब्धियों का प्रदर्शन किया जाता है, जो विभिन्न क्षेत्रों में भारत की प्रगति को दर्शाती है।
इस दिन के साथ हम नहीं सिर्फ हमारे अतीत को याद करते हैं, बल्कि न्याय, समानता, और समावेशन के मूल सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए कड़ी मेहनत करने का भी संकल्प लेते हैं। साथ ही, इस महोत्सव के माध्यम से हम देश के भविष्य को और भी उत्साहित करते हैं, युवा पीढ़ी को स्वतंत्रता, लोकतंत्र, और समानता के आदर्शों को आगे बढ़ाने के लिए। हम अपने पिता-पूर्वजों के बलिदान को याद रखकर, हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखकर, और साथ मिलकर हमारे प्यारे देश के लिए एक उज्ज्वल भविष्य की बनावट कर सकते है।
दशहरा के दोहे | dussehra couplets
कहे दशहरा मारना,अंतर का अँधियार।
भीतर जो रावण रहे,उसको देना मार।।
अहंकार ना पोसना,वरना तय अवसान ।
निरभिमान की भावना,लाती है उत्थान।।
बुरे कर्म ना पोसना,वरना तय अवसान ।
निरभिमान की भावना,लाती है उत्थान।।
पढ़े गुरुग्रंथ, बायबिल बाँच ले कुरान, रामायण,
विजयदशमी में राघव फिर धराशायी करें रावण।
रहें भूखा न कोई आए सबके घर में खुशहाली,
भले कर्मों की जय हो देख हो दुष्कर्म से खाली।
मन का संशय दनुज है, कर दे इसका अंत।
हरकर जन के कष्ट सब, हो जा नर तू संत।।
शर निष्ठां का लीजिये, कोशिश बने कमान।
जन-हित का ले लक्ष्य तू, फिर कर शर-संधान।।
हार बुराई की हुई, अच्छाई की जीत।
रावण जलने की तभी,चली आ रही रीत।।
सदा सत्य की हो विजय, और झूठ की हार।
पर्व दशहरा शुभ रहे, बढ़े आपसी प्यार ।।
सीख सिखाते पर्व सब, चलो धर्म की राह।
हमको सच्चे धर्म की,करनी है परवाह।
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