दशहरा कब और क्यों मनाया जाता है दशहरा या विजयादशमी पर संस्कृत में निबंध 100+शब्द,When and why Dussehra is celebrated Essay on Dussehra or Vijayadashami in Sanskrit 100+ words

दशहरा कब और क्यों मनाया जाता है दशहरा या विजयादशमी पर संस्कृत में निबंध 100+शब्द,

Dussehra Wishes in Hindi

अधर्म पर धर्म की जीत, अन्याए पर न्याय की विजय,
बुराई पर अच्छाई की जय जय कार, यही है दशहरे का त्यौहार
दशहरे की शुभकामनायें.

दशहरा कब और क्यों मनाया जाता है 

दहशरा हिन्दू धर्म का मुख्य त्यौहारों  में से एक जो की हर साल अश्विन मास के शुक्ल पक्ष के दशमी को मनाई जाती है।बताया जाता है की इस दिन भगवान श्री राम जी ने रावण जी का वध किया था।  असत्य पर सत्य की जीत हुई थी। ठीक उसी प्रकार से माँ दुर्गा ने नौ रात्रि और दस दिन के अपरान्त महिषासुर पर विजय प्राप्त की थी। दस दिन होने के कारण इसे दशमी कहते है और विजय दशमी के नाम से भी जानते है।  बताया जाता है की इस दिन को मानाने का मुख्या कारण आपसी मेल मिलाप को बढ़ाना है। दशहरा हमें सत्य बोलने की प्रेणा देती है। बुराई पर अच्छाई की जीत का ही प्रतीक हैं दशहरा। बुराई किसी भी रूप में हो सकती हैं जैसे क्रोध, असत्य,आलस्य, बैर,इर्षा, दुःख आदि को ख़त्म करना सत्य के मार्ग चलना ही हमें दशहरा सिखाती है।  हमें हर साल अपने बुरे आदतों को छोड़ कर उनमें विजय प्राप्त करनी चाहिए। दशहरा वर्ष की तीन अत्यन्त शुभ तिथियों में से एक है इसलिए इसे बड़ा ही शुभ दिन माना जाता है जब की अन्य दो शुभ तिथियां चैत्र शुक्ल की एवं कार्तिक शुक्ल है

दशहरा या विजयादशमी पर संस्कृत में निबंध 

विजयादशमी भारतीयानां पवित्रं पर्व भवति। एतत् पर्व आश्विनमासस्य शुक्लपक्षस्य दशम्यां तिथौ सम्पाद्यते। इयं तिथिः विजयसूचिका मन्यते। अस्मिन् दिवसे श्रीरामः रावणस्य निधनं कृत्वा विजयं प्राप्तवान्। अस्मिन्नेव दिवसे दुर्गा शुम्भं निशुम्भं च अमारयत्। एतत् दिनं विजयेन सम्बन्धितमस्ति। अतः एतत् दिनं विजयादशमी नाम्ना प्रसिद्धम्।  यद्यपि अयमुत्सवः आश्विनमासस्य शुक्लपक्षस्य दशम्यां तिथौ मन्यते, तथापि उत्सवात् दशदिनपूर्वमेव रामकथायाः रामलीलायाः संकीर्त्तनादीनां च आयोजनं भवति। जनाः उत्साहेन रामलीलां पश्यन्ति। दशम्यां तिथौ रावणकुम्भकर्ण-मेघनादानां च अग्निसंयोगः क्रियते। सायंकाले रामलीलाक्षेत्रे लोकानां विपुलः समागमः भवति।  तस्मिन् समये रामस्य लक्ष्मणस्य हनुमतः च वेशेन कलाकाराः तत्र आगच्छन्ति। हनुमान् च दशहरास्थानमागच्छति। हनुमता कृत्रिमा लंका दह्यते। उपस्थिताः जनाः श्रीरामस्य जयध्वनिं कुर्वन्ति। अयमुत्सवः अधर्मस्य उपरी धर्मस्य, असत्यस्य उपरि सत्यस्य, दुर्जनतायाः उपरि सज्जनतायाः विजयस्य प्रतीकमस्ति। वस्तुतः एषः उत्सवः परमपावनः अस्ति।

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