वाराणसी में स्थित मां कालरात्रि का मंदिर,Varanasi Me Sthit Maa Kalratri Ka Mandir

वाराणसी में स्थित मां कालरात्रि का मंदिर

वाराणसी में माता कालरात्रि का मंदिर डी० 8/7 कालिका गली में स्थित है। वाराणसी में स्थित मां कालरात्रि मंदिर अति प्राचीन है, दूर-दूर से भक्त यहां माता के भव्य रूप का दर्शन करने आते हैं। इस अद्भुत मंदिर से जुड़ी कई मान्यताएं प्रसिद्ध हैं। वाराणसी में देवी कालरात्रि का गुलाब के फूलों से श्रृंगार किया जाता है। नवरात्रि के सातवें दिन मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।

सप्तम दुर्गा मां कालरात्रि

कालरात्रि नवरात्रि की सप्तमी के दिन मां काली रात्रि की आराधना का विधान है।
भय से मुक्ति प्रदान करने वाली देवी कालरात्रि की पूजा हम नवरात्रि के सातवें दिन करते हैं। इनकी पूजा से प्रतिकूल ग्रहों द्वारा उत्पन्न दुष्प्रभाव और बाधाएं भी नष्ट हो जाती हैं। माता का यह रूप उग्र एवं भयावह है लेकिन अपने भयावह रूप के बाद भी यह भक्तों को शुभ फल प्रदान करती हैं। ये देवी काल पर भी विजय प्राप्त करने वाली हैं। सातवें दिन देवी के इस रूप को गुड़ अर्पित करने से बाधाओं से मुक्ति मिलती है। इनकी पूजा का मंत्र है “ओम एं हीं क्लीं चामुंडाए विच्चे।”

माता कालरात्रि मंदिर

माता कालरात्रि का मंदिर आपको देश के कई मंदिरों और स्थानों पर मिल जाएगा। लेकिन वाराणसी में मीरघाट के समीप कालिका गली में स्थित मां का मंदिर काफी प्रसिद्ध माना जाता है। कहा जाता है माता के मंदिर जो भी भक्त शीष झुकाता है और उनसे जो भी कुछ मांगता है, मां उसे जरूर पूरा करती हैं। चार भुजाओं वाली माता का स्वरूप दिखने में जितना विकराल लगता है, असल में उतना है नहीं। माता काफी सौम्य स्वभाव की है और उनके दर्शन मात्र से ही सभी नकारात्मक शक्तियां दूर चली जाती है।
नवरात्रि के सप्तमी वाले दिन माता की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन भोर (सुबह 03:30 बजे) में ही माता की विशेष श्रृंगार कर मंगला आरती की जाती है और फिर भक्तों के लिए मंदिर का कपाट खोल दिया जाता है। कहा जाता है कि माता लाल चुनरी और लाल रेशम की साड़ी काफी पसंद है। इसी माता को चढ़ावे के रूप में चुनरी के साथ-साथ साड़ी भी चढ़ाई जाती है।

मां कालरात्रि के स्वयं सिद्ध बीज मंत्र:

  • क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:।
  • मां कालरात्रि का पूजन मंत्र:
  • ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कालरात्र्यै नम:।
  • एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता। लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥
  • वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा। वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥
  • या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

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