श्री धूमावती अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र, Shri Dhumavati Ashtottara Shatnam Stotra

श्री धूमावती अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र,

॥ ईश्वर उवाच ॥

ॐ धूमावती धूम्रवर्णा धूम्रपानपरायणा । 
धूम्राक्षमधिनी धन्या धन्यस्थाननिवासिनी ॥१॥

अघोराचारसंतुष्टा अघोराचारमण्डिता । 
अघोरमंत्रसम्प्रीता अघोरमंत्रपूजिता ॥२॥

अट्टाट्टहासनिरता मलिनाम्बरधारिणी । 
वृद्धा विरूपा विधवा विद्या च विरलद्विजा ॥३॥

प्रवृद्धघोणा कुमुखी कुटिला कुटिलेक्षणा। 
कराली च करालास्या कंकाली शूर्पधारिणी ॥४॥

काकध्वजरथारूढा केवला कठिना कुहूः। 
श्रुत्पिपासार्हिता नित्या ललज्जिह्वा दिगम्बरा ॥५॥

दीघाँदरी दीर्घरवा दीर्धांगी दीर्घमस्तका। 
विमुक्तकुंतला कीर्त्या कैलासस्थानवासिनी ॥६॥

कूरा कालस्वरूपा च कालचक्रप्रवर्तिनी । 
विवर्णा चञ्चला दुष्टा दुष्टविध्वंसकारिणी ॥७॥

चण्डीचण्डस्वरूपा च चामुण्डा चण्डनिःस्वना । 
चण्डवेगा चण्डगति चंडमुण्डविनाशिनी ॥८॥

चाण्डालिनी चित्ररेखा चित्रांगी चित्ररूपिणी। 
कृष्णा कपर्दिनी कुल्ला कृष्णरूपा क्रियावती ॥९ ॥

कुम्भस्तनी महोन्मत्ता मदिरापानविह्वला। 
चतुर्भुजा ललज्जिह्वा शत्रुसंहारकारिणी ॥१०॥

शवारूढा शवगता श्मशानस्थानवासिनी। 
दुराराध्या दुराचारा दुर्जनप्रीतिदायिनी ॥११॥ 

निर्मासा व निराकारा धूमहस्ता बरान्विता । 
कलहा च कलिप्रीता कलिकल्मषनाशिनी ॥१२॥

महाकालस्वरूपा च महाकालप्रपूजिता। 
महादेवप्रिया मेधा महासंकटनाशिनी ॥१३॥

भक्तप्रिया भक्तगतिर्भक्तशत्रुविनाशिनी। 
भैरवी भुवना भीमा भारती भुवनात्मिका ॥१४॥

भूरुण्डा भीमनयना त्रिनेत्रा बहुरूपिणी।
त्रिलोकेशी त्रिकालज्ञा त्रिस्वरूपा त्रयीतनुः ॥१५ ॥

त्रिमूर्तिश्च तथा तन्वी त्रिशक्तिश्च त्रिशूलिनी। 
इति धूमामहत्स्तोत्रं नाम्नामष्टशतात्मकम् ॥१६ ॥

मया ते कथितं देवि शत्रुसंघविनाशनम् । 
कारागारे रिपुग्रस्ते महोत्पाते महाभये ॥१७॥

इदं स्तोत्रं पठेन्मत्यों मुच्यते सर्वसंकटैः। 
गुह्याद्‌गुह्यतरं गुहां गोपनीयं प्रयत्नतः ॥१८॥

चतुष्पदार्थदं नृणां सर्वसम्पत्प्रदायकम् ।

॥ इति धूमावत्याष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रं सम्पूर्ण॥

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