Sharadiya Navratri : नवदुर्गा का नौवें रूप मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि,Navdurga Ka Nauven Roop Maa Siddhidatri Kee Pooja Vidhi
Sharadiya Navratri : नवदुर्गा का नौवें रूप मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि
मां सिद्धिदात्री देवी दुर्गा के नौवें रूप के रूप में जानी जाती हैं, जिन्हें नवरात्रि के नौवें दिन श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजा जाता है। उनकी पूजा से साधक को सभी प्रकार की सिद्धियों और मोक्ष की प्राप्ति होती है। "सिद्धि" का अर्थ है अलौकिक शक्ति या ध्यान की उच्च क्षमता, जबकि "दात्री" का अर्थ है देने वाली या पुरस्कार देने वाली। यही कारण है कि देवी को सिद्धिदात्री कहा जाता है।Navdurga Ka Nauven Roop Maa Siddhidatri Kee Pooja Vidhi |
मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि:
- प्रस्तावना: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ़ कपड़े पहनें।
- मूर्ति या तस्वीर की स्थापना: पूजा स्थल पर मां सिद्धिदात्री की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
- अभिषेक: माता को गंगाजल से अभिषेक करें।
- पूजा सामग्री: मां को लाल चुनरी, अक्षत, फूल, माला, सिंदूर, फल, नारियल, चना, खीर, हलवा, पूड़ी आदि अर्पित करें।
- अन्य अर्पण: मोली, रोली, कुमकुम, पुष्प और चुनरी चढ़ाएं।
- वस्त्र अर्पण: मां को सफ़ेद रंग के वस्त्र अर्पित करें।
- भोग: मिष्ठान, पंच मेवा, फल आदि अर्पित करें और भोग लगाएं।
- मंत्र जाप: मां के मंत्रों का जाप करें। दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
- आरती: पान के पत्ते पर कपूर और लौंग रखकर माता की आरती करें।
- क्षमा प्रार्थना: पूजा के अंत में मां से क्षमा प्रार्थना करें।
- कन्या पूजन: कन्या पूजन करें और उन्हें भोजन कराएं।
- हवन: इस दिन विशेष हवन करने का विधान है।
- रंग का महत्व: पूजा करते समय बैंगनी या जामुनी रंग के वस्त्र पहनना शुभ रहता है।
- लाभ: मान्यता है कि मां सिद्धिदात्री की पूजा से परिवार में सुख-शांति आती है।
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मां सिद्धिदात्री का स्वरूप और प्रतीक
मां सिद्धिदात्री को देवी सरस्वती का स्वरूप भी माना जाता है, जो ज्ञान और विद्या की देवी हैं। उनका वाहन सिंह है, और वे कमल पर विराजमान होती हैं। मां के चार हाथ हैं, जिनमें कमल, शंख, गदा, और सुदर्शन चक्र धारण किए हुए हैं। इन प्रतीकों के माध्यम से वे साधकों को ज्ञान, शक्ति, और मोक्ष का आशीर्वाद देती हैं। मां सिद्धिदात्री का प्रिय रंग बैंगनी और लाल है, इसलिए इन रंगों के वस्त्र पहनकर उनकी पूजा करना शुभ माना जाता है।
आधे शिव, आधे देवी: अर्द्धनारीश्वर का रूप
मान्यता है कि मां सिद्धिदात्री की कृपा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ, और वे अर्द्धनारीश्वर कहलाए। यह घटना आध्यात्मिक दृष्टिकोण से मानव जीवन में स्त्री और पुरुष तत्वों के संतुलन का प्रतीक है।
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सिद्धियों और मोक्ष की प्राप्ति
जो भक्त मां सिद्धिदात्री की विधिपूर्वक पूजा करते हैं, उन्हें आठ प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं – अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व। इन सिद्धियों के माध्यम से साधक आत्मिक उन्नति के मार्ग पर अग्रसर होते हैं। मोक्ष की प्राप्ति के लिए मां की आराधना का विशेष महत्व है, जो जीवन और मृत्यु के चक्र से मुक्ति का मार्ग दिखाती है।
निष्कर्ष
मां सिद्धिदात्री की पूजा नवरात्रि के अंतिम दिन की जाती है, और उनके आशीर्वाद से साधक सभी प्रकार की इच्छाओं की पूर्ति और आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर होते हैं। उनके प्रति श्रद्धा और भक्ति से ही जीवन में समस्त सिद्धियों की प्राप्ति होती है।
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