Sharadiya Navratri : नवदुर्गा का छठा रूप मां कात्यायनी की पूजा विधि,Navdurga Ka Chhatha Roop Maa Katyayani Kee Pooja Vidhi

Sharadiya Navratri : नवदुर्गा का छठा रूप मां कात्यायनी की पूजा विधि

मां कात्यायनी, देवी दुर्गा के नौ रूपों में से छठा रूप हैं, जिनकी पूजा नवरात्रि के छठे दिन की जाती है। हिंदू धर्म में मां कात्यायनी को साहस, शक्ति और विजय का प्रतीक माना जाता है। उनके बारे में विशेष जानकारी इस प्रकार है:

Navdurga Ka Chhatha Roop Maa Katyayani Kee Pooja Vidhi

नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा विधि में विशेष महत्व दिया जाता है, क्योंकि यह दिन मां दुर्गा के छठे स्वरूप कात्यायनी की पूजा के लिए समर्पित होता है। इस दिन की पूजा विधि इस प्रकार है:

  • प्रातःकाल स्नान और वस्त्र धारण: भक्तों को सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना चाहिए और स्वच्छ कपड़े पहनने चाहिए।
  • मां की चौकी स्थापना: एक स्वच्छ स्थान पर मां कात्यायनी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें और चौकी को फूलों और पीले वस्त्रों से सजाएं।
  • वस्त्र और फूल अर्पित करना: मां को पीले रंग के वस्त्र और पीले फूल अर्पित करें, क्योंकि पीला रंग मां कात्यायनी को प्रिय है।
  • श्रृंगार सामग्री चढ़ाना: मां को रोली, कुमकुम, सिंदूर, और अक्षत (चावल) चढ़ाएं।
  • भोग अर्पण: पांच प्रकार के फल, मिठाई और शहद का भोग लगाएं। शहद का भोग विशेष रूप से किया जाता है, क्योंकि इससे व्यक्तित्व में निखार आता है।
  • ध्यान और आरती: मां कात्यायनी का ध्यान करें और उनकी आरती उतारें। इसके बाद दुर्गा सप्तशती या दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
  • पान और कपूर की आरती: पान के पत्ते पर कपूर और लौंग रखकर मां की आरती करें।
  • क्षमा प्रार्थना: पूजा के अंत में मां से अपने जाने-अनजाने में किए गए अपराधों के लिए क्षमा प्रार्थना करें।
  • जप: मंत्रों का जाप नियमित संख्या में करें, इसे कम या अधिक न करें।
  • विशेष नियम: व्रत रखने वाले भक्तों को इस दिन सोना नहीं चाहिए। इसके अलावा, विवाह में बाधा का सामना कर रहे लड़कों को मां कात्यायनी की पूजा विशेष रूप से करनी चाहिए।

यह माना जाता है कि मां कात्यायनी की कृपा से वैवाहिक जीवन में आने वाली अड़चनों का समाधान होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

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मां कात्यायनी की महिमा

मां कात्यायनी को ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। विशेष रूप से, उनके भक्त मानते हैं कि मां कात्यायनी की कृपा से ब्रजभूमि हमेशा सुरक्षित और समृद्ध रहती है। इसके अलावा, उन्हें महिषासुर मर्दिनी के रूप में भी पूजा जाता है, क्योंकि उन्होंने महिषासुर जैसे राक्षस का वध कर धर्म और सत्य की रक्षा की थी।

पूजा का महत्व और लाभ

  • मां कात्यायनी की पूजा से भक्तों को कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं।
  • कहा जाता है कि उनकी पूजा से इंद्रियों पर नियंत्रण पाया जा सकता है, जिससे मनुष्य अपनी इच्छाओं और वासनाओं पर विजय प्राप्त कर सकता है।
  • अविवाहित लड़कियों के लिए मां कात्यायनी की पूजा विशेष रूप से शुभ मानी जाती है। यह विश्वास है कि उनकी आराधना से उन्हें मनचाहा वर प्राप्त होता है।
  • मां कात्यायनी की कृपा से रोग, शोक, संताप और भय का नाश होता है और जीवन में सकारात्मकता और शांति का प्रवेश होता है।

मां कात्यायनी को प्रिय चीजें

मां कात्यायनी को शहद बहुत प्रिय है, इसलिए उनकी पूजा में शहद का भोग विशेष रूप से लगाया जाता है। इसके अलावा, लाल रंग उनके पूजा में महत्वपूर्ण माना जाता है। उन्हें लाल रंग के गुलाब के फूल अर्पित किए जाते हैं, क्योंकि लाल रंग ऊर्जा और शक्ति का प्रतीक है।

मां कात्यायनी का स्वरूप

मां कात्यायनी का स्वरूप तेजमय और चमकीला है। उनके वाहन का नाम सिंह है, जो उनकी साहस और शक्ति का प्रतीक है। मां की चार भुजाएं हैं:
  • दाहिने हाथ में ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में है, जो भय से मुक्ति का प्रतीक है।
  • दाहिने हाथ में नीचे वाला हाथ वरमुद्रा में है, जिससे भक्तों को आशीर्वाद मिलता है।
  • बाईं हाथ में ऊपर वाले हाथ में तलवार है, जो उनकी शक्ति और राक्षसों के विनाश का प्रतीक है।
  • बाईं हाथ में नीचे वाले हाथ में कमल है, जो उनकी सुंदरता और शांति का प्रतीक है।

मां कात्यायनी का मंत्र

  • “ॐ देवी कात्यायन्यै नमः”
इस मंत्र के जाप से भक्तों को मां की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में शक्ति, साहस और सफलता का आगमन होता है। मां कात्यायनी की पूजा के साथ श्रद्धालु ओं को यह विश्वास होता है कि वे अपने जीवन में सभी प्रकार की नकारात्मकता से मुक्ति प्राप्त करेंगे और उनकी इच्छाएं पूरी होंगी।

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