Sharadiya Navratri 2024 Day 7: शारदीय नवरात्रि के सातवां दिन मां कालरात्रि पूजा का महत्व,मंत्र,पूजा विधि,स्तुति,स्तोत्र,कवच,आरती,Sharadiya Navratri ke seventh day Maa Kalratri Puja ka mahatv,mantr,pooja vidhi,stuti,stotr,kavach,aarti

Sharadiya Navratri 2024 Day 7: शारदीय नवरात्रि के सातवां दिन मां कालरात्रि पूजा का महत्व,मंत्र,पूजा विधि,स्तुति,स्तोत्र,कवच,आरती

मां कालरात्रि की पूजा का महत्व 

मां कालरात्रि की पूजा का अत्यधिक महत्व है, विशेष रूप से नवरात्रि के सातवें दिन। उनकी पूजा संकटों से मुक्ति, भय नाश, और जीवन में शांति और सुरक्षा का अनुभव दिलाती है। मां कालरात्रि को सभी तरह के भयों और नकारात्मक शक्तियों का नाश करने वाली देवी माना जाता है। उनके नाम का अर्थ ही "रात की काल" है, जो अंधकार और सभी प्रकार की बाधाओं को समाप्त करती हैं।

  • संकटों से मुक्ति: मां कालरात्रि की पूजा करने से जीवन के सभी संकटों और कठिनाइयों से छुटकारा मिलता है।
  • तनाव नाश: मानसिक और भावनात्मक तनाव को दूर कर शांति प्राप्त होती है।
  • भयों का नाश: अग्नि, जल, शत्रु, जंतु, और अंधकार से संबंधित सभी भयों का नाश होता है।
  • रोग और शत्रु नाश: बीमारियों और शत्रुओं से मुक्ति मिलती है।
  • ग्रह-दोष निवारण: मां की पूजा ग्रह-बाधाओं और अशुभ प्रभावों को समाप्त करती है।
  • बल और आयु में वृद्धि: साधक की शक्ति और आयु में वृद्धि होती है।
  • अकाल मृत्यु का नाश: अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है।
  • सिद्धियों की प्राप्ति: मां की कृपा से साधक को सभी ऋद्धि-सिद्धियां प्राप्त होती हैं।
  • क्रोध पर नियंत्रण: साधक अपने क्रोध पर विजय प्राप्त करता है।
  • जीवन से समस्याएं दूर: जीवन में आने वाली सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान होता है।

मां कालरात्रि की पूजा का विशेष समय रात्रि है, क्योंकि वे रात्रि की देवी मानी जाती हैं। उनकी पूजा करने से जीवन में शक्ति, साहस, और सभी प्रकार के संकटों से रक्षा प्राप्त होती है।

शारदीय नवरात्रि के सातवां दिन: Maa Kalratri Mantr

मां कालरात्रि को गुड़हल के फूल चढ़ाएं जाते हैं और गुड़ का भोग लगाया जाता है. इसके बाद कपूर या दीपक से माता की आरती उतारें और पूरे परिवार के साथ जयकारे लगाएं. सुबह शाम आरती के बाद दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ कर सकते हैं और मां दुर्गा के मंत्रों का भी जप करना चाहिए. लाल चंदन की माला से मंत्रों का जप करें-
मां कालरात्रि का सिद्ध मंत्र-
  • 'ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम:।'
मां कालरात्रि के बीज मंत्र
  • 'ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै नमः 
मां कालरात्रि की पूजा में मंत्र जप का बहुत महत्व है  लाख जप करना चाहिए. इसके बाद रात्रि जागरण करना चाहिए और दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए. ऐसा करने से मां सभी नकारात्मक शक्तियों को दूर करती हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं. 

शारदीय नवरात्रि के सातवां दिन: Maa Kalratri Pooja Vidhi

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ़ कपड़े पहनें।
  • पूजा स्थान को साफ़ करें और लाल कंबल बिछाएं। 
  • मां कालरात्रि की मूर्ति या तस्वीर को पूजा स्थान पर रखें। 
  • मां को लाल रंग के वस्त्र अर्पित करें।
  • मां को गुड़हल का फूल और गुड़ का भोग लगाएं। 
  • मां को रोली, कुमकुम, पंच मेवा, पांच तरह के फल चढ़ाएं।
  • मां कालरात्रि के मंत्रों का जाप करें।
  • मां कालरात्रि की आरती करें।
  • आरती के बाद दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
  • मां कालरात्रि को ध्यान करें।
  • अगर अग्यारी करते हैं, तो लौंग, बताशा, गुग्गल, हवन सामग्री अर्पित करें। 
  • मां कालरात्रि को शहद का भोग अवश्य लगाएं।
  • मां कालरात्रि की पूजा से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।

शारदीय नवरात्रि के सातवां दिन: Maa Kalratri Stuti

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता। 
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
जय सार्वगते देवि कालरात्रि नमोस्तुते॥ 
ॐ ऐं सर्वाप्रशमनं त्रैलोक्यस्या अखिलेश्वरी। 
एवमेव त्वथा कार्यस्मद् वैरिविनाशनम् नमो सें ऐं ॐ।।

शारदीय नवरात्रि के सातवां दिन: Maa Kalratri Stotr

हीं कालरात्रि श्रीं कराली च क्लीं कल्याणी कलावती।
कालमाता कलिदर्पध्नी कमदीश कुपान्विता॥
कामबीजजपान्दा कमबीजस्वरूपिणी।
कुमतिघ्नी कुलीनर्तिनाशिनी कुल कामिनी॥
क्लीं ह्रीं श्रीं मन्त्र्वर्णेन कालकण्टकघातिनी।
कृपामयी कृपाधारा कृपापारा कृपागमा॥

शारदीय नवरात्रि के सातवां दिन: Maa Kalratri Kavach

ऊँ क्लीं मे हृदयम् पातु पादौ श्रीकालरात्रि।
ललाटे सततम् पातु तुष्टग्रह निवारिणी॥
रसनाम् पातु कौमारी, भैरवी चक्षुषोर्भम।
कटौ पृष्ठे महेशानी, कर्णोशङ्करभामिनी॥
वर्जितानी तु स्थानाभि यानि च कवचेन हि।
तानि सर्वाणि मे देवीसततंपातु स्तम्भिनी॥

शारदीय नवरात्रि के सातवां दिन: Maa Kalratri Aarti

कालरात्रि जय-जय-महाकाली, 
काल के मुह से बचाने वाली॥
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा, 
महाचंडी तेरा अवतार॥
पृथ्वी और आकाश पे सारा, 
महाकाली है तेरा पसारा॥
खडग खप्पर रखने वाली, 
दुष्टों का लहू चखने वाली॥
कलकत्ता स्थान तुम्हारा, 
सब जगह देखूं तेरा नजारा॥
सभी देवता सब नर-नारी, 
गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥
रक्तदंता और अन्नपूर्णा, 
कृपा करे तो कोई भी दुःख ना॥
ना कोई चिंता रहे बीमारी, 
ना कोई गम ना संकट भारी॥
उस पर कभी कष्ट ना आवें, 
महाकाली माँ जिसे बचाबे॥
तू भी भक्त प्रेम से कह, 
कालरात्रि माँ तेरी जय॥

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