Sharadiya Navratri 2024 Day 4: शारदीय नवरात्रि के चौथा दिन मां कूष्मांडा पूजा का महत्व,मंत्र,पूजा विधि,स्तुति,स्तोत्र,कवच,आरती,Sharadiya Navratri ke fourth day Maa Kushmanda Puja ka mahatv,mantr,pooja vidhi,stuti,stotr,kavach,aarti

Sharadiya Navratri 2024 Day 4: शारदीय नवरात्रि के चौथा दिन मां कूष्मांडा पूजा का महत्व,मंत्र,पूजा विधि,स्तुति,स्तोत्र,कवच,आरती

मां कूष्मांडा का पूजा महत्व 

मां कूष्मांडा की पूजा का विशेष महत्व है, क्योंकि यह भक्तों को असीमित सुख और समृद्धि प्रदान करती है। मां कूष्मांडा को अष्टभुजा धारी देवी माना जाता है और वे नवरात्रि के चौथे दिन पूजी जाती हैं। उनकी पूजा से भक्तों को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:

  • यश, बल, धन और आयु की वृद्धि: मां की कृपा से जीवन में यश और सम्मान मिलता है, साथ ही शारीरिक बल, धन और दीर्घायु का वरदान प्राप्त होता है।
  • सभी सिद्धियों की प्राप्ति: मां कूष्मांडा सभी सिद्धियों की दात्री मानी जाती हैं, उनकी पूजा से भक्तों को विशेष आध्यात्मिक और भौतिक शक्तियाँ प्राप्त होती हैं।
  • रोग-शोक का नाश: उनकी पूजा से सभी प्रकार के रोग और शोक दूर होते हैं, जिससे जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
  • मनोवांछित फल की प्राप्ति: मां कूष्मांडा की पूजा से भक्तों की सभी इच्छाएँ पूर्ण होती हैं, और उन्हें मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
  • शारीरिक और मानसिक विकारों से मुक्ति: मां की कृपा से भक्त शारीरिक और मानसिक विकारों से मुक्त होते हैं, और मानसिक शांति प्राप्त करते हैं।
  • मृत्यु लोक में सभी सुखों की प्राप्ति: मां कूष्मांडा की पूजा से मृत्यु लोक में सभी प्रकार के सांसारिक सुख और समृद्धि मिलती है।
  • परम पद की प्राप्ति: भक्तों को अंततः मोक्ष या परम पद की प्राप्ति होती है, जो आध्यात्मिक उन्नति का चरम लक्ष्य है।
  • जीवन शक्ति: मां कूष्मांडा की पूजा जीवन शक्ति और ऊर्जा का संचार करती है, जिससे व्यक्ति का जीवन शक्तिशाली और प्रेरणादायक बनता है।

मां कूष्मांडा की पूजा समर्पण और भक्ति से करने से भक्त जीवन के सभी कष्टों से मुक्त होकर एक सुखी और संपन्न जीवन का आनंद लेते हैं।

शारदीय नवरात्रि के चौथा दिन: Maa Kushmanda Mantr

नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है. इस दिन मां कूष्मांडा की स्तुति के लिए ये मंत्र बोला जाता है मां कूष्मांडा के मंत्र का जप करने से परिवार में खुशहाली आती है. इससे यश और बल में बढ़ोतरी होती है. आयु में वृद्धि होती है और स्वास्थ्य भी अच्छा बना रहता है

सरल मंत्र -

  • ॐ कूष्माण्डायै नम:।
देवी कूष्मांडा की उपासना इस मंत्र के उच्चारण से की जाती है
  • कुष्मांडा: ऐं ह्री देव्यै नम: वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
कुष्मांडा देवी के बीज मंत्र
  • ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्मांडायै नम:
  • या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
  • ऐं ह्री देव्यै नम: वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्। सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्विनीम्॥

शारदीय नवरात्रि के चौथा दिन: Maa Kushmanda Pooja Vidhi

मां कूष्मांडा की पूजा के लिए, नवरात्रि के चौथे दिन सुबह स्नान करके मंदिर की साज-सज्जा की जाती है. इसके बाद, मां कूष्मांडा की पूजा विधि के ये कदम उठाए जा सकते हैं: 
  • मां कूष्मांडा का ध्यान करें।
  • मां को पीले रंग के वस्त्र, पीली चूड़ियां, और पीली मिठाई अर्पित करें।
  • मां को लाल रंग के फूल, गुड़हल, या गुलाब चढ़ाएं।
  • मां को सिंदूर, धूप, दीप, और नैवेद्य चढ़ाएं।
  • मां को कुमकुम, मौली, अक्षत, पान का पत्ता, केसर, और शृंगार चढ़ाएं। 
  • मां को सफ़ेद कुम्हड़ा या उसके फूल अर्पित करें।
  • मां को हलवे और दही का भोग लगाएं।
  • मां की आरती करें।
  • दुर्गा सप्तशती या सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करें।
  • अंत में क्षमा याचना करें।
मां कूष्मांडा को पीला रंग बहुत पसंद है. मान्यता है कि मां को पीला कमल अर्पित करने से अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है।

शारदीय नवरात्रि के चौथा दिन: Maa Kushmanda Stuti

या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्। 
सिंहरूढा अष्टभुजा कुष्माण्डा यशस्वनीम्॥

शारदीय नवरात्रि के चौथा दिन: Maa Kushmanda Stotr

दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दारिद्रादि विनाशिनीम्।
जयंदा धनदां कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥

जगन्माता जगतकत्री जगदाधार रूपणीम्।
चराचरेश्वरी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥

त्रैलोक्यसुंदरी त्वंहि दु:ख शोक निवारिणाम्।
परमानंदमयी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥

शारदीय नवरात्रि के चौथा दिन: Maa Kushmanda Kavach

हसरै मे शिर: पातु कूष्माण्डे भवनाशिनीम्।
हसलकरीं नेत्रथ, हसरौश्च ललाटकम्॥

कौमारी पातु सर्वगात्रे वाराही उत्तरे तथा।
पूर्वे पातु वैष्णवी इन्द्राणी दक्षिणे मम।

दिग्दिध सर्वत्रैव कूं बीजं सर्वदावतु॥

शारदीय नवरात्रि के चौथा दिन: Maa Kushmanda Aarti

कूष्माण्डा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥

पिङ्गला ज्वालामुखी निराली। 
शाकम्बरी माँ भोली भाली॥

लाखों नाम निराले तेरे। 
भक्त कई मतवाले तेरे॥

भीमा पर्वत पर है डेरा। 
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥

सबकी सुनती हो जगदम्बे।
सुख पहुँचती हो माँ अम्बे॥

तेरे दर्शन का मैं प्यासा। 
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥

माँ के मन में ममता भारी। 
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥

तेरे दर पर किया है डेरा। 
दूर करो माँ संकट मेरा॥

मेरे कारज पूरे कर दो। 
मेरे तुम भंडारे भर दो॥

तेरा दास तुझे ही ध्याए। 
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥

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