Sharadiya Navratri 2024 Day 3: शारदीय नवरात्रि के तीसरा दिन मां चन्द्रघण्टा पूजा का महत्व,मंत्र,पूजा विधि,स्तुति,स्तोत्र,कवच,आरती,Sharadiya Navratri ke third day Maa Chandraghanta Puja ka mahatv,mantr,pooja vidhi,stuti,stotr,kavach,aarti

Sharadiya Navratri 2024 Day 3: शारदीय नवरात्रि के तीसरा दिन मां चन्द्रघण्टा पूजा का महत्व,मंत्र,पूजा विधि,स्तुति,स्तोत्र,कवच,आरती

मां चंद्रघंटा की पूजा का महत्व 

नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा का विशेष महत्व होता है। देवी चंद्रघंटा शांति, साहस और शक्ति की प्रतीक मानी जाती हैं। उनकी पूजा से भक्तों को आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है और मन को गहरी शांति मिलती है। मां चंद्रघंटा की कृपा से व्यक्ति निडर और साहसी बनता है, जिससे जीवन की कठिनाइयों का सामना करने की क्षमता बढ़ती है।


कुंडली में शुक्र ग्रह से जुड़े दोषों को दूर करने के लिए भी मां चंद्रघंटा की पूजा अत्यधिक लाभकारी मानी जाती है। उनकी पूजा से न केवल परिवार में सुख-समृद्धि आती है, बल्कि विवाह संबंधी अड़चनों का भी निवारण होता है। तनाव और मानसिक क्लेश को दूर कर, मां चंद्रघंटा भक्तों को स्पष्ट और सही निर्णय लेने की शक्ति प्रदान करती हैं। बौद्धिक क्षमता का विकास और मन में आनंद का अनुभव उनकी पूजा से प्राप्त होता है। मां चंद्रघंटा भय का नाश कर, आत्मविश्वास को बढ़ाती हैं। पूजा में दूध का प्रयोग विशेष रूप से कल्याणकारी माना गया है, क्योंकि इसे पवित्रता और शीतलता का प्रतीक माना जाता है।

शारदीय नवरात्रि के तीसरा दिन: Maa Chandraghanta Mantr

नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. इस दिन 'ऊँ देवी चंद्रघण्टायै नमः' मंत्र का 108 बार जाप किया जा सकता है. मां चंद्रघंटा को सफ़ेद कमल या पीले रंग का फूल अर्पित किया जा सकता है
  • मां चंद्रघंटा का बीज मंत्र है- 'ऐं श्रीं शक्तयै नम:
  • या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम:।।
  • पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥

शारदीय नवरात्रि के तीसरा दिन: Maa Chandraghanta Pooja Vidhi

  • नवरात्रि के तीसरे दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें।
  • साफ़ कपड़े पहनें और मां चंद्रघंटा का ध्यान करें। 
  • मां चंद्रघंटा की मूर्ति को लाल या पीले कपड़े पर रखें। 
  • मां को कुमकुम, सिंदूर, अक्षत, रोली, गंध, धूप, और फूल अर्पित करें। 
  • मां को दूध से बनी मिठाई, केसर की खीर, लौंग, इलाइची, पंचमेवा, पेड़ा, और मिसरी का भोग लगाएं। 
  • मां चंद्रघंटा की पूजा के दौरान मंत्रों का जाप करें। 
  • दुर्गा सप्तशती और चंद्रघंटा माता की आरती का पाठ करें। 
  • घी का दीपक और धूप जलाएं। 
  • आरती के दौरान पूरे घर में शंख और घंटा बजाएं। 
  • शाम के समय भी माता की आरती करें और ध्यान करें। 
  • मान्यता है कि मां चंद्रघंटा की पूजा से मंगल ग्रह की अशुभता दूर होती है। 
  • मान्यता है कि मां चंद्रघंटा को दूध से बनी चीज़ें बहुत पसंद हैं. 
  • मां चंद्रघंटा की पूजा में लाल और पीले फूल का प्रयोग किया जाता है। 
  • मां चंद्रघंटा को लाल चंदन, लाल चुनरी, और लाल फल (सेब) भी अर्पित किए जा सकते हैं। 

शारदीय नवरात्रि के तीसरा दिन: Maa Chandraghanta Stuti

या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। 
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम:॥
पिण्डजप्रवरारूढ़ा ण्डकोपास्त्रकेर्युता। 
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥

शारदीय नवरात्रि के तीसरा दिन: Maa Chandraghanta Stotr

आपदुध्दारिणी त्वंहि आद्या शक्तिः शुभपराम्।
अणिमादि सिद्धिदात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥
चन्द्रमुखी इष्ट दात्री इष्टम् मन्त्र स्वरूपिणीम्।
धनदात्री, आनन्ददात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥
नानारूपधारिणी इच्छामयी ऐश्वर्यदायिनीम्।
सौभाग्यारोग्यदायिनी चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥

शारदीय नवरात्रि के तीसरा दिन: Maa Chandraghanta Kavach

रहस्यं श्रुणु वक्ष्यामि शैवेशी कमलानने।
श्री चन्द्रघन्टास्य कवचं सर्वसिध्दिदायकम्॥
बिना न्यासं बिना विनियोगं बिना शापोध्दा बिना होमं।
स्नानं शौचादि नास्ति श्रध्दामात्रेण सिध्दिदाम॥
कुशिष्याम कुटिलाय वंचकाय निन्दकाय च 
न दातव्यं न दातव्यं न दातव्यं कदाचितम्॥

शारदीय नवरात्रि के तीसरा दिन: Maa Chandraghanta Aarti

नवरात्रि के तीसरे दिन चंद्रघंटा का ध्यान। 
मस्तक पर है अर्धचंद्र, मंद मंद मंद मंद मुसकान॥
जय मां चंद्रघंटा सुख धाम,पूर्ण कीजो मेरे सभी काम।
चंद्र समान तुम शीतल दाती,चंद्र तेज किरणों में समाती।
क्रोध को शांत करने वाली,मीठे बोल सिखाने वाली।
मन की मालक मन भाती हो,चंद्र घंटा तुम वरदाती हो।
सुंदर भाव को लाने वाली,हर संकट मे बचाने वाली।
हर बुधवार जो तुझे ध्याये,श्रद्धा सहित जो विनय सुनाएं।
मूर्ति चंद्र आकार बनाएं,सन्मुख घी की ज्योति जलाएं।
शीश झुका कहे मन की बाता,पूर्ण आस करो जगदाता।
कांचीपुर स्थान तुम्हारा,करनाटिका में मान तुम्हारा।
नाम तेरा रटूं महारानी,भक्त की रक्षा करो भवानी।

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