Navratri Special : मां दुर्गा के सिद्धदात्री पहाड़ावाली मंदिर में मन्नत पूरी होने पर माता को चढ़ती है चप्पल,चश्मा,Maa Durga Ke Siddhadatri Pahadawali Mandir Me Mannat Pooree Hone Par Mata ko Chadhatee Hai Chappal,Chashma

Navratri Special : मां दुर्गा के सिद्धदात्री पहाड़ावाली मंदिर में मन्नत पूरी होने पर माता को चढ़ती है चप्पल,घड़ी,सैंडल, चश्मा,

नवरात्रि के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से सभी सिद्धियां प्राप्त होती हैं। देवी पुराण के अनुसार भगवान शिव ने मां सिद्धिदात्री की कृपा से ही सभी सिद्धियां प्राप्त की थीं। इसीलिए उनका आधा शरीर देवी का था और वे अर्धनारीश्वर के नाम से प्रसिद्ध हुए। देव-दानव-गंधर्व-किन्नर-यक्ष-मनुष्य सभी मां सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं और सिद्धियां प्राप्त करते हैं।

मां सिद्धिदात्री मंदिर - जीजाबाई माता मंदिर

भोपाल के कोलार क्षेत्र में देवी का मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है और यहां माता सिद्धिदात्री विराजमान हैं. इस मंदिर को जीजाबाई माता मंदिर के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां देवी की पूजा बेटी के रूप में होती है और यहां आने वाले भक्त देवी को भेंट के रूप में नई-नई चप्पल चढ़ाते हैं
मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि अगर कोई भक्त माता को नई चप्पल, सैंडल, चश्मा, घड़ी या फिर कैप प्रसाद के रूप में चढ़ाता है तो उसके सभी समस्या दूर होने के साथ हर मनोकामना पूर्ण होती है। इतना ही नहीं जो लोग यहां मन्नत मांगते हैं, वह जरूर पूरी होती है।

मां सिद्धिदात्री मंदिर की स्थापना

इस मंदिर की स्थापना ओमप्रकाश महाराज ने करीब 30 वर्ष पहले की थी। इस मंदिर में पहुंचने के लिए भक्तों को तकरीबन 300 सीढ़ी चढ़कर पहाड़ी पर पहुंचना पड़ता है। मान्यता है कि भगवान शिव पार्वती के विवाह का अनुष्ठान कराया गया था. इस विवाह में उन्होंने पार्वती जी का खुद कन्यादान अपने हाथों से किया था, इसलिए पंडित ओम प्रकाश महाराज माता को बेटी मानकर पूजा करते हैं।
यहां लोग मन्नतें मांगने आते हैं और पूरी होने के बाद माता को नई चप्पल,जूते चढ़ाते, यह अनोखी परंपरा करीब 30 सालों से चली आ रही है। माता को चप्पल चढ़ाने के पीछे कहानी यह है कि पंडित ओम प्रकाश महाराज ने यहां मूर्ति स्थापना के साथ शिव-पार्वती विवाह कराया था,इसमें खुद कन्यादान किया था। तब से वह मां सिद्धदात्री को बेटी मानकर पूजा करते हैं

बाल रूप में विराजमान हैं देवी

धार्मिक मान्यता की मानें तो, जीजाबाई माता मंदिर में देवी सिद्धिदात्री बाल रूप में विराजमान हैं। इसी कारण ये मंदिर उन सभी चीजों को अर्पित किया जाता है, जिसकी जरूरत एक बेटी को होती है। हैरानी की बात यह है कि यहां पर जूते-चप्पल चढ़ाने के अलावा देवी सिद्धिदात्री को चश्मा, छाता, कपड़े, इत्र, कंघा, घड़ी और श्रृंगार का सामान तक चढ़वे में चढ़ाया जाता है। कहा जाता है कि इस मंदिर के दर्शन करने के लिए देश ही नहीं, बल्कि विदेश भर के लोग दर्शन करने आते है। खास बात है कि नवरात्रि औरव्रत-त्योहार में तो इस मंदिर में भक्तों की अच्छी-खासी भीड़ देखने को मिलती है।
नौवें दिन माताजी का पूजन, अर्चन, हवन आदि किया जाता है। उपरोक्त मंत्र का जाप करने से मां सिद्धिदात्री प्रसन्न होती हैं। मां सिद्धिदात्री के चार हाथों में शंख, चक्र, गदा और कमल इस बात का संकेत है कि वे सदैव हमारी सहायता के लिए तत्पर रहती हैं।

टिप्पणियाँ