नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा करने से अनेक लाभ
नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है, जो मां पार्वती का एक स्वरूप हैं। इन्हें पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण "शैलपुत्री" कहा जाता है। नंदी नामक वृषभ पर सवार ‘शैलपुत्री’ के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प शोभित होता है। जो शक्ति और शांति का प्रतीक है। इन्हें समस्त वन्य जीव-जंतुओं की रक्षक माना जाता है। मां शैलपुत्री को समस्त वन्य जीव-जंतुओं की रक्षक माना जाता है, इसलिए दुर्गम और कठिन स्थानों पर रहने वाले लोग उनके मंदिर की स्थापना पहले करते हैं, ताकि वह स्थान सुरक्षित और संरक्षित रह सके। उनका यह स्वरूप विशेष रूप से प्रकृति और पर्यावरण से जुड़ा हुआ है, जो मानवता के साथ सभी प्राणियों की सुरक्षा का प्रतीक है।
मंत्र : वन्दे वांछितलाभाय चन्दार्धकृतशेखराम्। वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।।
मां शैलपुत्री की पूजा के अनेक लाभ
मां शैलपुत्री की पूजा के अनेक लाभ होते हैं, जो जीवन के विभिन्न पहलुओं को सकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं। यहां मां शैलपुत्री की पूजा से मिलने वाले कुछ प्रमुख लाभ दिए गए हैं:
- सुख-समृद्धि: मां शैलपुत्री की पूजा से घर में सुख और समृद्धि का आगमन होता है।
- विवाह में सफलता: जिन लोगों के विवाह में समस्याएं आ रही हैं या विवाह नहीं हो पा रहा है, उन्हें मां की कृपा से विशेष लाभ मिलता है।
- ग्रह-कलेश का नाश: मां शैलपुत्री की पूजा से परिवार में शांति और ग्रह-कलेश समाप्त होते हैं।
- आरोग्य का वरदान: मां शैलपुत्री की कृपा से व्यक्ति को स्वास्थ्य लाभ और निरोगी काया प्राप्त होती है।
- प्रगति के पथ पर आगे बढ़ना: मां के मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति जीवन में प्रगति और उन्नति के मार्ग पर चलता है।
- चंद्र दोष से मुक्ति: मां शैलपुत्री की पूजा से चंद्रमा से जुड़े दोष दूर होते हैं, जिससे मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
- सुयोग्य वर की प्राप्ति: मां की कृपा से कुंवारी कन्याओं को योग्य वर की प्राप्ति होती है।
- धन-धान्य की समृद्धि: मां की पूजा से धन और धान्य की कभी कमी नहीं होती।
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