मां स्कंदमाता से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
मां स्कंदमाता, जो नवदुर्गा का पांचवां स्वरूप हैं, भक्तों के लिए एक विशेष महत्व रखती हैं। उनका नाम उनके पुत्र स्कंद (कार्तिकेय) से जुड़ा है, जिन्हें वे अपनी गोद में लिए हुए हैं। मां स्कंदमाता को पद्मासना देवी कहा जाता है क्योंकि वे कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं। उनकी चार भुजाएं होती हैं
Maa Skandamata se jude kuchh important facts |
मां स्कंदमाता से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
- स्वरूप: मां स्कंदमाता, नवदुर्गा का पांचवां स्वरूप हैं।
- पद्मासना देवी: इन्हें पद्मासना देवी कहा जाता है क्योंकि ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं।
- दांयी ओर ऊपर वाली भुजा में बाल कार्तिकेय को गोद में लिए हुए हैं।
- नीचे वाली दांयी भुजा में कमल पुष्प धारण किए हुए हैं।
- बाईं ओर ऊपर वाली भुजा वरद मुद्रा में है, जो जगत को तारने का प्रतीक है।
- नीचे वाली बाईं भुजा में भी कमल पुष्प धारण किया हुआ है।
- वाहन: मां स्कंदमाता का वाहन शेर है, जो शक्ति का प्रतीक है।
- पुण्य: मां स्कंदमाता की पूजा करने से दोगुना पुण्य प्राप्त होता है।
- मन और इंद्रियों का नियंत्रण: उनकी पूजा के समय भक्त को अपनी इंद्रियों और मन पर पूर्ण नियंत्रण रखना चाहिए।
- प्रिय भोग: मां स्कंदमाता को केले का भोग अति प्रिय है। इसके अलावा, खीर का प्रसाद भी अर्पित किया जा सकता है।
- संतान सुख का वरदान: मां स्कंदमाता की कथा सुनने या पढ़ने से भक्तों को संतान सुख और सुख-संपत्ति प्राप्त होने का वरदान मिलता है।
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