मां दुर्गा का सातवां स्वरूप मां कालरात्रि शत्रुओं का नाश करती हैं।
मां कालरात्रि काल का नाश करने वाली हैं, इसी वजह से इन्हें कालरात्रि कहा जाता है। मां कालरात्रि की आराधना के समय भक्त को अपने मन को भानु चक्र जो ललाट अर्थात सिर के मध्य स्थित करना चाहिए। इस आराधना के फलस्वरूप भानु चक्र की शक्तियां जागृत होती हैं। मां कालरात्रि की भक्ति से हमारे मन का हर प्रकार का भय नष्ट होता है। जीवन की हर समस्या को पल भर में हल करने की शक्ति प्राप्त होती है। शत्रुओं का नाश करने वाली मां कालरात्रि अपने भक्तों को हर परिस्थिति में विजय दिलाती हैं ।
मां कालरात्रि शत्रुओं का नाश करती हैं
महाशक्ति मां दुर्गा का सातवां स्वरूप हैं कालरात्रि। मां कालरात्रि काल का नाश करने वाली हैं, इसी वजह से इन्हें कालरात्रि कहा जाता है। मां कालरात्रि की आराधना के समय भक्त को अपने मन को भानु चक्र जो ललाट अर्थात सिर के मध्य स्थित करना चाहिए। इस आराधना के फलस्वरूप भानु चक्र की शक्तियां जागृत होती हैं। मां कालरात्रि की भक्ति से हमारे मन का हर प्रकार का भय नष्ट होता है। जीवन की हर समस्या को पल भर में हल करने की शक्ति प्राप्त होती है। शत्रुओं का नाश करने वाली मां कालरात्रि अपने भक्तों को हर परिस्थिति में विजय दिलाती हैं।
मां कालरात्रि का श्लोक अर्थ
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टक भूषणा।
वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥
अर्थ -
मां दुर्गा के सातवें स्वरूप का नाम कालरात्रि है। इनके शरीर का रंग घने अंधकार की तरह एकदम काला है। सिर के बाल बिखरे हुए हैं। गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला है। इनके तीन नेत्र हैं। ये तीनों नेत्र गोल हैं। इनकी नाक से अग्रि की भयंकर ज्वालाएं निकलती रहती हैं। इनका वाहन गधा है।
कालरात्रि जय-जय-महाकाली, काल के मुह से बचाने वाली॥
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा, महाचंडी तेरा अवतार॥
पृथ्वी और आकाश पे सारा, महाकाली है तेरा पसारा॥
खडग खप्पर रखने वाली, दुष्टों का लहू चखने वाली॥
कलकत्ता स्थान तुम्हारा, सब जगह देखूं तेरा नजारा॥
सभी देवता सब नर-नारी, गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥
रक्तदंता और अन्नपूर्णा, कृपा करे तो कोई भी दुःख ना॥
ना कोई चिंता रहे बीमारी, ना कोई गम ना संकट भारी॥
उस पर कभी कष्ट ना आवें, महाकाली माँ जिसे बचाबे॥
तू भी भक्त प्रेम से कह, कालरात्रि माँ तेरी जय॥
जैसा उनका नाम है, वैसा ही उनका रूप है। खुले बालों में अमावस की रात से भी काली, मां कालरात्रि की छवि देखकर ही भूत-प्रेत भाग जाते हैं। मां वर्ण काला है। खूले बालों वाली यह माता गर्दभ पर बैठी हुई है। इनकी श्वास से भयंकर अग्नि निकलती है। इतना भयंकर रूप होने के बाद भी वे एक हाथ से भक्तों को अभय दे रही है। मधु कैटभ को मारने में मां का ही योगदान था। मां का भय उत्पन्न करने वाला रूप केवल दुष्टों के लिए है। अपने भक्तों के लिए मां अंत्यंत ही शुभ फलदायी है। कई जगह इन्हें शुभकंरी नाम से भी जाना जाता है।
मां कालरात्रि की कथा
कथा के अनुसार दैत्य शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज ने तीनों लोकों में हाहाकार मचा रखा था। इससे चिंतित होकर सभी देवतागण शिव जी के पास गए। शिव जी ने देवी पार्वती से राक्षसों का वध कर अपने भक्तों की रक्षा करने को कहा। शिव जी की बात मानकर पार्वती जी ने दुर्गा का रूप धारण किया और शुंभ-निशुंभ का वध कर दिया। परंतु जैसे ही दुर्गा जी ने रक्तबीज को मारा उसके शरीर से निकले रक्त से लाखों रक्तबीज उत्पन्न हो गए। इसे देख दुर्गा जी ने अपने तेज से कालरात्रि को उत्पन्न किया। इसके बाद जब दुर्गा जी ने रक्तबीज को मारा तो उसके शरीर से निकलने वाले रक्त को कालरात्रि ने अपने मुख में भर लिया और सबका गला काटते हुए रक्तबीज का वध कर दिया।
मां कालरात्रि की पूजा विधि-
नवरात्रि के सातवें दिन सुबह स्नानादि से निवृत होने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद मां कालरात्रि की विधि विधान से पूजा अर्चना करें।
देवी को अक्षत्, धूप, गंध, रातरानी पुष्प और गुड़ का नैवेद्य आदि विधिपूर्वक अर्पित करें। अब दुर्गा आरती करें। इस के बाद ब्राह्मणों को दान दें, इससे आकस्मिक संकटों से आपकी रक्षा होगी। सप्तमी को रात में विशेष विधान के साथ देवी की पूजा की जाती है।
माँ कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने वाली हैं। दानव, दैत्य, राक्षस, भूत, प्रेत आदि इनके स्मरण मात्र से ही भयभीत होकर भाग जाते है। ये ग्रह-बाधाओं को भी दूर करने वाली हैं। इनके उपासकों को अग्नि-भय, जल-भय, जंतु-भय, शत्रु-भय, रात्रि-भय आदि कभी नहीं होते। इनकी कृपा से वह सर्वथा भय-मुक्त हो जाता है। मां कालरात्रि की पूजा से भक्त सभी सिद्धियां जीत सकता है। नवरात्रि के सातवें दिन साधक का मन सहस्त्रार चक्र तक पहुंच जाता है। इस तरह के भक्तों के लिए, ब्रह्मांड की सभी सिद्धियों को प्राप्त करने के दरवाजे खुल जाते है। इस दिन मां कालरात्रि की पूजा करने से सभी पाप धुल जाते है और रास्ते में आने वाली सभी बाधाएं पूरी तरह खत्म हो जाती है।
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