मां ब्रह्मचारिणी तप और शक्ति का प्रतीक हैं। मां भगवती को चीनी का भोग लगाएं, इससे आयु में वृद्धि होती है
मां ब्रह्मचारिणी तपस्या और शक्ति का प्रतीक हैं। देवी भगवती को चीनी का भोग लगाएं, इससे आयु में वृद्धि होती है।
अश्विन मास की शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तिथि तक शारदीय नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस बार शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ 3 अक्टूबर, गुरुवार से हो गया है, धर्म ग्रंथों के अनुसार, नवरात्रि में हर तिथि पर माता के एक विशेष रूप का पूजन करने से भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है।
माता ब्रह्मचारिणी का भोग
नवरात्र के इस दूसरे दिन मां भगवती को चीनी का भोग लगाने का विधान है। ऐसा विश्वास है कि चीनी के भोग से उपासक को लंबी आयु प्राप्त होती है और वह नीरोगी रहता है तथा उसमें अच्छे विचारों का आगमन होता है। साथ ही माता पार्वती के कठिन तप को मन में रखते हुए संघर्ष करने की प्रेरणा प्राप्त होती है।
मां ब्रह्मचारिणी तप की शक्ति का प्रतीक है
नवरात्रि की द्वितीया तिथि पर मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। देवी ब्रह्मचारिणी ब्रह्म शक्ति यानी तप की शक्ति का प्रतीक हैं। इनकी आराधना से भक्त की तप करने की शक्ति बढ़ती है। साथ ही, सभी मनोवांछित कार्य पूर्ण होते हैं।
मां ब्रह्मचारिणी हमें यह संदेश देती है कि जीवन में बिना तपस्या अर्थात कठोर परिश्रम के सफलता प्राप्त करना असंभव है। बिना श्रम के सफलता प्राप्त करना ईश्वर के प्रबंधन के विपरीत है। अत: ब्रह्मशक्ति अर्थात समझने व तप करने की शक्ति हेतु इस दिन शक्ति का स्मरण करें। योगशास्त्र में यह शक्ति स्वाधिष्ठान चक्र में स्थित होती है। अत: समस्त ध्यान स्वाधिष्ठान चक्र में करने से यह शक्ति बलवान होती है एवं सर्वत्र सिद्धि व विजय प्राप्त होती है।
ब्रह्मचारिणी ऐसे पड़ा माता का नाम :-
शास्त्रों में बताया गया है कि मां दुर्गा ने पार्वती के रूप में पर्वतराज के यहां पुत्री बनकर जन्म लिया और महर्षि नारद के कहने पर अपने जीवन में भगवान महादेव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। हजारों वर्षों तक अपनी कठिन तपस्या के कारण ही इनका नाम तपश्चारिणी या ब्रह्मचारिणी पड़ा। अपनी इस तपस्या की अवधि में इन्होंने कई वर्षों तक निराहार रहकर और अत्यन्त कठिन तप से महादेव को प्रसन्न कर लिया। उनके इसी तप के प्रतीक के रूप में नवरात्र के दूसरे दिन इनके इसी रूप की पूजा और स्तवन किया जाता है।
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के लिए सामग्री:-
- फूल:- मां ब्रह्मचारिणी को गुड़हल और कमल का फूल बहुत पसंद है. वहीं, बरगद के पेड़ का फूल भी उन्हें अत्यंत भाता है
- भोग:- मां ब्रह्मचारिणी को दूध और दूध से बनी चीज़ें बहुत पसंद हैं. इसलिए, उन्हें पंचामृत, खीर, बर्फ़ी, चीनी का भोग लगाया जाता है
- अगरबत्ती और दीपक:- पूजा के दौरान घी के दीपक और कपूर का इस्तेमाल किया जाता है.
- रंग:- मां ब्रह्मचारिणी का प्रिय रंग लाल है. पूजा के दौरान सफ़ेद रंग के वस्त्र पहनकर पूजा की जाती है
- मंत्र:-मां ब्रह्मचारिणी को प्रसन्न करने के लिए उनके बीज मंत्र 'ह्रीं श्री अम्बिकायै नमः' का 108 बार जाप किया जाता है. इसके अलावा, 'या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:' मंत्र का जाप भी शुभ माना जाता है
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. मां ब्रह्मचारिणी, पार्वती का एक रूप हैं. वे बिना किसी वाहन के नज़र आती हैं. उनके दाहिने हाथ में माला और बाएं हाथ में कमंडल होता है.
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