काशी में विराजमान मां महागौरी दुर्गा मंदिर
नवरात्रि विशेष: महागौरी को मां दुर्गा के 8वां स्वरूप पूजा की जाती है
महागौरी, मां दुर्गा का 8वां स्वरूप है। मां महागौरी को माता पार्वती का ही एक रूप कहा जाता है। इसके पीछे कहा जाता है कि माता पार्वती की तपस्या के कारण ही उन्हें महागौरी अवतार प्राप्त हुआ था। मां महागौरी का ध्यान, स्मरण और पूजन भक्तों के लिए बहुत ही कल्याणकारी होता है। ऐसा माना जाता है कि देवी महागौरी की पूजा करने से श्रद्धालु को अपने पापों से छुटकारा मिलता है और वे दिव्य उपलब्धियों को प्राप्त कर सकते हैं। पुराणों के अनुसार, माँ अन्नपूर्णा प्राचीन विश्वनाथ मंदिर में महागौरी के नाम से जानी जाती हैं। वे माँ दुर्गा का आठवां स्वरूप हैं।
काशी में आज देवी मंगला गौरी और मां अन्नपूर्णा की पूजा होती है। देवी मंगला गौरी का मंदिर पंचगंगा घाट क्षेत्र में है। वहीं, माता अन्नपूर्णा का मंदिर श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के समीप है। दोनों ही मंदिरों में दर्शन-पूजन के लिए सुबह से देवी भक्तों का हुजूम उमड़ा हुआ है।मान्यता है कि देवी महागौरी की कृपा से धन-संपदा, सौंदर्य और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। महागौरी सृष्टि का आधार होने के साथ ही अक्षत सुहाग की प्रतीक हैं।
काशी में विराजमान मां महागौरी
काशी के महागौरी दुर्गा मंदिर से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। कहा जाता है कि भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए माता गौरी जब तपस्या कर रही थीं, तभी वो कृष्ण वर्ण हो गईं। कहा जाता है कि बाद में माता गौरी को भगवान भोले ने गंगाजल से गौर वर्ण कर दिया। इसी के बाद से मां पार्वती को महागौरी देवी का नाम मिला और वो काशी में ही विराजमान हो गईं।
पूजा का सर्वश्रेष्ठ समय और मन्दिर का स्थान
यह मंदिर प्रातः 5:00 बजे से रात्रि 10:00 बजे तक खुलता है। आरती प्रातः और साँय काल होती हैं। और शाम यहां माता की आरती होती है जाना इस मंदिर प्रांगण में दोपहर के बाद श्रद्धालुओं को निःशुल्क भोजन दिया जाता है
स्थान
देवी महागौरी D-9/1, अन्नपूर्णा मंदिर में स्थित हैं। इस मंदिर को आने वाली संकरी गली विश्वनाथ गली कहलाती है। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए स्थानीय परिवहन उपलब्ध है।मां महागौरी के स्वयं सिद्ध बीज मंत्र:
- श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:।
- मां महागौरी का पूजन मंत्र:
- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महागौर्ये नम:।
- सर्वभूतेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।
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