मां स्कंदमाता की पूजा के लाभ और मां स्कंदमाता से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों के उत्तर,Benefits of worshiping Maa Skandamata and answers to frequently asked questions related to Maa Skandamata

मां स्कंदमाता की पूजा के लाभ और मां स्कंदमाता से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों के उत्तर

मां स्कंदमाता नवरात्रि के पांचवें दिन पूजी जाती हैं। वह भगवान स्कंद (कार्तिकेय) की माता हैं, और उनके इस रूप में मातृत्व और करुणा का प्रतीक है। मां स्कंदमाता की पूजा से भक्तों को ज्ञान, समृद्धि, और शांति की प्राप्ति होती है। उनकी पूजा से परिवारिक सुख और संतान की प्राप्ति भी होती है।

मां स्कंदमाता की पूजा के लाभ और

मां स्कंदमाता की पूजा के कई महत्वपूर्ण लाभ हैं, जो भक्तों के जीवन में सकारात्मक प्रभाव डालते हैं:

  • इच्छाओं की पूर्ति: मां स्कंदमाता की पूजा से जीवन की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और भक्तों की मनोकामनाएं सफल होती हैं।
  • संतान सुख: जो लोग संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं, उन्हें मां की कृपा से संतान का आशीर्वाद मिलता है।
  • ज्ञान और शुभ फलों की प्राप्ति: मां स्कंदमाता की आराधना से भक्तों को ज्ञान और जीवन में शुभ फल प्राप्त होते हैं।
  • सफलता की शक्ति: मां की पूजा से भक्तों को अपने कार्यों में सफल होने की शक्ति और संकल्प मिलता है।
  • सुख-सौभाग्य: मां स्कंदमाता की पूजा से जीवन में सुख, शांति और सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है।
  • परम शांति का अनुभव: उनकी कृपा से मानसिक शांति और आत्मिक सुख की अनुभूति होती है।
  • बुद्धि का विकास: मां की आराधना से बुद्धि और विवेक का विकास होता है, जिससे जीवन के निर्णय सही दिशा में होते हैं।
  • संकट से रक्षा: मां स्कंदमाता हर संकट से भक्तों की रक्षा करती हैं और उन्हें समृद्धि की ओर ले जाती हैं।
  • कार्तिकेय का आशीर्वाद: मां स्कंदमाता की पूजा से भगवान कार्तिकेय का आशीर्वाद मिलता है, जो साहस और शक्ति के प्रतीक हैं।
  • गुरु ग्रह की मजबूती: उनकी कृपा से गुरु ग्रह मजबूत होता है, जिससे जीवन में समृद्धि और उन्नति होती है।

मां स्कंदमाता को सफेद रंग अत्यंत प्रिय है, और केले तथा खीर का भोग अर्पित करने से मां की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

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मां स्कंदमाता से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों के उत्तर

स्कंदमाता किसकी देवी है?

नवरात्रि के पांचवें दिन मां दुर्गाजी के पांचवें स्वरूप मां स्कंदमाता की आराधना की जाती है। भगवान स्कंद (कार्तिकेय) की माता होने के कारण देवी के इस पांचवें स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है।

स्कंदमाता की पूजा क्यों करते हैं?

प्रेम और ममता की मूर्ति स्‍कंदमाता की पूजा करने से संतान प्राप्ति की मनोकामना पूर्ण होता है और मां आपके बच्‍चों को दीर्घायु प्रदान करती हैं। भगवती पुराण में स्‍कंदमाता को लेकर ऐसा कहा गया है कि नवरात्र के पांचवें दिन स्‍कंद माता की पूजा करने से ज्ञान और शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

स्कंदमाता की कथा क्या है?

एक पौराणिक कथा के अनुसार, कहते हैं कि एक तारकासुर नामक राक्षस था। जिसका अंत केवल शिव पुत्र के हाथों की संभव था। तब मां पार्वती ने अपने पुत्र स्कंद (कार्तिकेय) को युद्ध के लिए प्रशिक्षित करने के लिए स्कंद माता का रूप लिया था। स्कंदमाता से युद्ध प्रशिक्षण लेने के बाद भगवान कार्तिकेय ने तारकासुर का अंत किया था।

स्कंदमाता को क्या चढ़ाना चाहिए?

मां स्कंदमाता को श्वेत यानी सफेद रंग अति प्रिय है। मां को प्रसन्न करने के लिए पूजा में श्वेत रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए। मां स्कंदमाता को केले का भोग अति प्रिय है। इसके अलावा मां भगवती को आप खीर का प्रसाद भी अर्पित कर सकते हैं।

स्कंदमाता का प्रिय भोग क्या है?

मां स्कंदमाता को पीले रंग की वस्तुएं प्रिय है। इसलिए उन्हें केल, बेसन के लड्डू, केसर की खीर या फिर कोई अन्य पीली मिठाई अर्पित कर सकते हैं। मां स्कंदमाता के प्रिय फूल की बात करें, तो वो कमल है। इसलिए इस दिन मां के चरणों में कमल अवश्य चढ़ाएं।

स्कंदमाता की गोद में कौन है?

मां अपने भक्तों पर पुत्र के समान स्नेह लुटाती हैं। मां स्कंदमाता का स्वरूप: मां स्कंदमाता स्कंद कुमार भगवान कार्तिकेय की मां हैं। मां के स्वरूप की बात करें तो स्कंदमाता की गोद में स्कंद देव गोद में बैठे हुए हैं। मां स्कंदमाता कमल के आसन पर विराजमान हैं,इस वजह से इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है

स्कंदमाता को कौन सा फल पसंद है?

धर्म-समाज:आज होगी मां दुर्गा के पांचवे स्वरूप स्कन्दमाता की उपासना, मां को श्वेत रंग है पसंद, इसलिए सफेद फूल व केले का भोग लगाएं

स्कंदमाता का प्रिय रंग कौन सा है?

नवरात्रि के पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा होती है. ये देवी शक्ति की दाता मानी जाती है. इनकी पूजा करने से भक्तों को अपने काम में सफल होने की शक्ति मिलती है. मां स्कंदमाता को सफेद रंग प्रिय है

स्कंदमाता की प्रार्थना कैसे करें?

स्कंदमाता की विधिवत पूजा करें और धूप-दीप जलाएं। स्कंदमाता को पीला रंग बहुत पसंद है, इसलिए उन्हें पीले फूल और नैवेद्य अर्पित करें। पूजा समाप्त करने से पहले स्कंदमाता के पूजा मंत्रों का जाप करें। उसके बाद दुर्गा सप्तशती और स्कंदमाता की आरती का पाठ करें।

स्कंदमाता का अर्थ क्या होता है?

स्कंदमाता ( संस्कृत : स्कन्दमाता ) महादेवी के नवदुर्गा रूपों में से पाँचवाँ है। उनका नाम स्कंद से आया है, जो युद्ध के देवता कार्तिकेय का एक वैकल्पिक नाम है, और माता , जिसका अर्थ है माँ। नवदुर्गा में से एक के रूप में, स्कंदमाता की पूजा नवरात्रि के पांचवें दिन होती है

स्कंदमाता की पूजा क्यों की जाती है?

मां स्कंदमाता को मां दुर्गा के सभी नौ रूपों में सबसे ममतामई माना गया है. इनकी पूजा करने से व्यक्ति की बुद्धि का विकास होता है और ज्ञान की असीमित प्राप्ति होती है. संतान हीन या संतान की अभिलाषा रखने वालों के लिए इस व्रत का खास महत्व होता है. मां के इस स्वरूप की पूजा करने से सूनी गोद जल्द भर जाती है.

स्कंदमाता की उत्पत्ति कैसे हुई थी?

तारकासुर राक्षस का अंत केवल शिव पुत्र द्वारा ही संभव था। तारकासुर राक्षस का वद्ध करने के लिए मां पार्वित ने अपने पुत्र कार्तिकेय (जिनको स्कंद भी कहा जाता है) को दैत्य तारकासुर से युद्ध लड़ने के लिए प्रशिक्षित किया। जिसके लिए मां पार्वती को स्कंदमाता का रूप लेना पड़ा।

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