मां सिद्धिदात्री की पूजा के लाभ और मां सिद्धिदात्री से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों के उत्तर, Benefits of worshiping Maa Siddhidatri and answers to frequently asked questions related to Maa Siddhidatri

मां सिद्धिदात्री की पूजा के लाभ और मां सिद्धिदात्री से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों के उत्तर

मां सिद्धिदात्री, नवदुर्गा के नौवें और अंतिम स्वरूप हैं। वे सभी प्रकार की सिद्धियों (अलौकिक शक्तियों) की दात्री मानी जाती हैं और साधक को सिद्धियों तथा मोक्ष का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। उनकी पूजा से भक्त को आध्यात्मिक और सांसारिक सफलता, शांति, और समृद्धि प्राप्त होती है। मां सिद्धिदात्री की कृपा से साधक के जीवन में ज्ञान और आंतरिक शांति का उदय होता है।

मां सिद्धिदात्री की पूजा के लाभ

मां सिद्धिदात्री की पूजा से कई अद्भुत लाभ प्राप्त होते हैं, जो जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं:

  • आठ सिद्धियां और नौ निधियां: मां सिद्धिदात्री की कृपा से साधक को आठ प्रकार की सिद्धियां (अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व, वशित्व) और नौ निधियां प्राप्त होती हैं।
  • मोक्ष की प्राप्ति: मां की कृपा से साधक जन्म-मरण के चक्र से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त करता है, जो जीवन का सर्वोच्च उद्देश्य है।
  • रोग, ग्रह दोष और भय से मुक्ति: मां सिद्धिदात्री की पूजा से सभी प्रकार के रोग, ग्रह दोष, भय और शोक समाप्त हो जाते हैं। यह पूजा व्यक्ति के जीवन में शांति और सुरक्षा लाती है।
  • बुद्धि और विवेक की वृद्धि: मां की कृपा से साधक की बुद्धि और विवेक में बढ़ोतरी होती है, जिससे वह सही निर्णय लेने और जीवन में सफलता प्राप्त करने में सक्षम होता है।
  • यश, बल और धन की प्राप्ति: मां सिद्धिदात्री यश, बल, और धन प्रदान करती हैं, जिससे व्यक्ति का जीवन समृद्ध और सम्मानित होता है।
  • मनोवांछित कामनाओं की पूर्ति: मां की पूजा से साधक की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और रुके हुए कार्यों में भी सफलता प्राप्त होती है।
  • मानसिक शांति: मां सिद्धिदात्री की पूजा से व्यक्ति को मानसिक शांति और संतोष की प्राप्ति होती है, जिससे उसका जीवन सुखमय बनता है।

नवरात्रि के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की विशेष पूजा की जाती है, और उनका आशीर्वाद साधक के जीवन में समृद्धि और सुख-शांति लाता है।

FQA:-मां सिद्धिदात्री से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों के उत्तर

मां सिद्धिदात्री किसका प्रतीक है?

माँ दुर्गाजी की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री हैं। ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं। नवरात्र-पूजन के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती है। इस दिन शास्त्रीय विधि-विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ साधना करने वाले साधक को सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है।

मां सिद्धिदात्री का मंत्र क्या है?

इसके साथ ही देवी ( Maa Siddhidatri) के बीज मंत्र 'ऊँ ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नमो नम:' का 108 बार जाप करते हुए आहुति दें और फिर परिवार के साथ माता की आरती उतारें.

सिद्धिदात्री को कौन सा भोग लगाया जाता है?

ऐसा कहा जाता है कि माता सिद्धिदात्री को हलवा-पूड़ी और चना का भोग लगाना चाहिए। साथ ही इस प्रसाद को कन्याओं और ब्राह्मणों में बांटना बेहद शुभ माना गया है। ऐसा करने वाले साधक से मां प्रसन्न होती हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।

सिद्धिदात्री माता को क्या पसंद है?

माता सिद्धिदात्री को प्रसाद, नवरस युक्त भोजन, नौ प्रकार के पुष्प और नौ प्रकार के ही फल अर्पित करने चाहिए। मां सिद्धिदात्री को मौसमी फल, चना, पूड़ी, खीर, नारियल और हलवा अतिप्रिय है। कहते हैं कि मां को इन चीजों का भोग लगाने से वह प्रसन्न होती हैं।

मां सिद्धिदात्री को कौन सा रंग पसंद है?

मां दुर्गा का आठवां रूप है सिद्धिदात्री. भगवान शिव ने देवी के इसी स्वरूप से कई सिद्धियां प्राप्त की थी. इनकी पूजा नवरात्रि के 9वें दिन की जाती है. इन्हें बैंगनी रंग काफी पसंद है

सिद्धिदात्री की पूजा कैसे करें?

सुबह में स्नान करने बाद साफ कपड़े पहनें. उसके बाद पूजा स्थान पर मां सिद्धिदात्री की मूर्ति या तस्वीर की स्थापना करें. उनका गंगा जल से अभिषेक करें. माता को लाल चुनरी, अक्षत्, फूल, माला, सिंदूर, फल, नारियल, चना, खीर, हलवा, पूड़ी आदि अर्पित करते हुए पूजन करें.

मां सिद्धिदात्री कौन थीं?

देवी सिद्धिदात्री कमल पुष्प पर विराजमान हैं और सिंह की सवारी करती हैं। देवी मां को चतुर्भुज रूप में दर्शाया गया है। उनके एक दाहिने हाथ में गदा, दूसरे दाहिने हाथ में चक्र, एक बायें हाथ में कमल पुष्प और दूसरे बायें हाथ में शंख सुशोभित है। इनकी पूजा नवरात्रि के नवें दिन होती है।

माता सिद्धिदात्री की उत्पत्ति कैसे हुई थी?

मां सिद्धिदात्री भक्तों और साधकों को ये सभी सिद्धियां प्रदान करने में समर्थ हैं। देवीपुराण के अनुसार भगवान शिव ने इनकी कृपा से ही इन सिद्धियों को प्राप्त किया था। इनकी अनुकम्पा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसी कारण वे लोक में 'अर्द्धनारीश्वर' नाम से प्रसिद्ध हुए।

सिद्धिदात्री की पूजा क्यों की जाती है?

मां सिद्धिदात्री भक्तों को हर प्रकार की सिद्धि प्रदान करती हैं। उनको मां दुर्गा की 9वीं शक्‍त‍ि माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो भी पूरी व‍िध‍ि से उनकी साधना करता है उसे पूर्ण सृष्टि का ज्ञान प्राप्‍त होता है और उसमें ब्रह्मांड पर विजय प्राप्‍त करने की क्षमता आ जाती है। देवी सिद्धिदात्री का वाहन सिंह है।

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