मां शैलपुत्री की पूजा के लाभ और मां शैलपुत्री से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों के उत्तर,

मां शैलपुत्री की पूजा के लाभ और उनसे संबंधित कुछ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों के उत्तर 

नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। मां शैलपुत्री नवरात्रि के नौ रूपों में प्रथम देवी हैं, जिनकी पूजा से भक्तों को विभिन्न प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं। यहां मां शैलपुत्री की पूजा के लाभ और उनसे संबंधित कुछ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों के उत्तर दिए गए हैं:

मां शैलपुत्री की पूजा के लाभ

मां शैलपुत्री की पूजा के अनेक लाभ हैं, जिनसे भक्तों को सुख, समृद्धि और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है। यहां उनके पूजन के कुछ प्रमुख लाभों का विवरण है:

  • सुख-समृद्धि: मां शैलपुत्री की पूजा से घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है।
  • ग्रह कलेश का नाश: उनके आशीर्वाद से घर के सदस्यों के बीच आपसी कलह समाप्त होती है और परिवार में शांति बनी रहती है।
  • आरोग्य का वरदान: मां की पूजा से आरोग्य प्राप्त होता है, जिससे व्यक्ति शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहता है।
  • धन और यश की प्राप्ति: भक्तों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होती है और समाज में यश की प्राप्ति होती है।
  • कन्याओं को वरदान: कुंवारी कन्याओं को मनचाहा और सुयोग्य वर प्राप्त होता है।
  • धैर्य और इच्छाशक्ति: मां शैलपुत्री के मंत्रों के जाप से व्यक्ति में धैर्य, आत्मविश्वास, और इच्छाशक्ति की वृद्धि होती है।
  • चंद्र दोष का निवारण: चंद्रमा से जुड़े दोष दूर होते हैं और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
  • मानसिक और बौद्धिक विकास: उनके आशीर्वाद से मन और मस्तिष्क का संतुलित विकास होता है।
  • तपस्या की शक्ति: मां शैलपुत्री की आराधना से भक्तों में तपस्या और साधना करने की शक्ति उत्पन्न होती है।

मां शैलपुत्री का पूजन नवरात्रि के पहले दिन किया जाता है और वे पर्वतराज हिमालय की पुत्री तथा देवी पार्वती का स्वरूप मानी जाती हैं।

मां शैलपुत्री से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों के उत्तर

मां शैलपुत्री की पूजा करने से क्या होता है?

मां शैलपुत्री के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प होता है. शास्त्रों के अनुसार मां शैलपुत्री चंद्रमा को दर्शाती हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार माता रानी के शैलपुत्री स्वरूप की उपासना से चंद्रमा के बुरे प्रभाव निष्क्रिय हो जाते हैं. इनकी पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है

शैलपुत्री का महत्व क्या है?

मान्यता है कि मां शैलपुत्री की पूजा करने से इंसान को जीवन में शुभ फल की प्राप्ति होती है। नवरात्र का पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा और व्रत करने का विधान है। साथ ही यह दिन मां शैलपुत्री को समर्पित है। देवी शैलपुत्री को देवी पार्वती के नाम से भी जाना जाता है, जो राजा हिमालय और माता मैना की बेटी हैं।

शैलपुत्री का अर्थ क्या होता है?

शैलपुत्री देवी दुर्गा के नौ रूप में पहले स्वरूप में जानी जाती हैं। ये ही नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं। पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम 'शैलपुत्री' पड़ा। नवरात्र-पूजन में प्रथम दिवस इन्हीं की पूजा और उपासना की जाती है।

शैलपुत्री माता को क्या चढ़ाना चाहिए?

मां शैलपुत्री की पूजा में गाय के घी और दूध से बनी चीज़ों का भोग लगाया जाता है, तो इस दिन आप दूध से बनी बर्फी, खीर या फिर हलवे का भी भोग लगा सकते हैं। कद्दू का हलवा आप उन्हें भोग में चढ़ा सकते हैं, । धूप और दीपक जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और फिर मां की आरती करें। मां को भोग भी लगाएं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।

माता शैलपुत्री का मंत्र क्या है?

ऊं ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम:। 
प्रथम दुर्गा त्वंहि भवसागर: तारणीम्। धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यम्॥ त्रिलोजननी त्वंहि परमानंद प्रदीयमान्।

शैलपुत्री का दूसरा नाम क्या है?

मां शैलपुत्री का स्वरूप बेहत शांत और सरल है. देवी के एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में कमल का फूल शोभा दे रहा है. नंदी बैल पर सवार मां शैलपुत्री को वृषोरूढ़ा और उमा के नाम से भी जाना जाता है

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