मां कालरात्रि की पूजा के लाभ और मां कालरात्रि से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों के उत्तर, Benefits of worshiping Maa Kalratri and answers to frequently asked questions related to Maa Kalratri.
मां कालरात्रि की पूजा के लाभ और मां कालरात्रि से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों के उत्तर
मां कालरात्रि का नवदुर्गा के सातवें स्वरूप के रूप में विशेष महत्व है। उन्हें भयानक रूप में देखा जाता है, लेकिन उनका आशीर्वाद अत्यंत मंगलकारी और कल्याणकारी होता है। मां कालरात्रि की पूजा करने से साधक को भय, बाधाएं, नकारात्मक ऊर्जा और शत्रुओं से मुक्ति मिलती है। उनकी पूजा से साधक को साहस, धैर्य, और शक्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
मां कालरात्रि की पूजा अत्यंत शुभ और कल्याणकारी मानी जाती है। उनके भक्तों को कई लाभ प्राप्त होते हैं, जैसे:
- सभी संकटों से मुक्ति: मां कालरात्रि की कृपा से जीवन के सभी संकटों से छुटकारा मिलता है।
- तनाव से मुक्ति: उनकी पूजा से मानसिक तनाव और चिंता दूर होते हैं।
- भय निवारण: अग्नि, जल, जंतु, शत्रु, और रात्रि के भय से रक्षा होती है।
- ग्रह दोषों का निवारण: कुंडली में शनि दोष और अन्य ग्रह बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
- पापों से मुक्ति: मां की उपासना से सभी प्रकार के पापों का नाश होता है।
- सुख-शांति का वास: जीवन में सुख और शांति का स्थायी वास होता है।
- अकाल मृत्यु का निवारण: मां कालरात्रि की कृपा से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है।
- बल और आयु में वृद्धि: उनकी पूजा से शारीरिक बल और आयु में वृद्धि होती है।
- सिद्धियों की प्राप्ति: मां की कृपा से भक्त को विभिन्न सिद्धियों का वरदान प्राप्त होता है।
- भय से मुक्ति: मन के भीतर व्याप्त हर प्रकार का भय समाप्त हो जाता है।
- समस्याओं का समाधान: मां की पूजा से जीवन की समस्याओं को हल करने की शक्ति मिलती है।
ये भी पढ़ें:-
मां कालरात्रि से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों के उत्तर
मां कालरात्रि कौन है?
माँ कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है, लेकिन ये सदैव शुभ फल ही देने वाली हैं। इसी कारण इनका एक नाम 'शुभंकारी' भी है। अतः इनसे भक्तों को किसी प्रकार भी भयभीत अथवा आतंकित होने की आवश्यकता नहीं है। माँ कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने वाली हैं।
मां कालरात्रि का मंत्र क्या है?
ॐ कालरात्र्यै नम:।एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥
जय त्वं देवि चामुण्डे जय भूतार्ति हारिणि।
मां काली और कालरात्रि में क्या अंतर है?
कालरात्रि माता गले में विद्युत की माला धारण करती हैं। इनके बाल खुले हुए हैं और गर्दभ की सवारी करती हैं, जबकि काली नरमुंड की माला पहनती हैं और हाथ में खप्पर और तलवार लेकर चलती हैं। 3. काली माता के हाथ में कटा हुआ सिर है जिससे रक्त टपकता रहता है।
कालरात्रि माता को क्या चढ़ाएं?
मां कालरात्रि को गुड़हल के फूल चढ़ाएं जाते हैं और गुड़ का भोग लगाया जाता है, इसके बाद कपूर या दीपक से माता की आरती उतारें और पूरे परिवार के साथ जयकारे लगाएं. सुबह शाम आरती के बाद दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ कर सकते हैं और मां दुर्गा के मंत्रों का भी जप करना चाहिए !
मां कालरात्रि की पूजा करने से क्या होता है?
मां कालरात्रि की पूजा- अर्चना करने से सभी तरह के संकटों से मुक्ति मिलती है। मां कालरात्रि की कृपा से बुरी शक्तियों का प्रभाव समाप्त हो जाता है। मां कालरात्रि दुष्टों और शत्रुओं का संहार करने वाली हैं। मां कालरात्रि की पूजा- अर्चना करने से तनाव भी दूर हो जाता है।
मां कालरात्रि किसका प्रतीक है?
शास्त्रों में माता कालरात्रि को शुभंकरी, महायोगीश्वरी और महायोगिनी भी कहा जाता है। माता कालरात्रि की विधिवत रूप से पूजा अर्चना और व्रत करने से मां अपने भक्तों को सभी बुरी शक्तियां और काल से बचाती हैं अर्थात माता की पूजा करने के बाद भक्तों को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है।
मां कालरात्रि की सवारी क्या है?
माता कालरात्रि की सवारी गधा है तो सिद्धिदात्री कमल पर विराजमान है।मां कालरात्रि का पसंदीदा रंग कौन सा है?
शुभ रंग व प्रिय पुष्प- मां कालरात्रि का प्रिय रंग लाल माना जाता है। ऐसे में चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन पूजा के दौरान लाल वस्त्र पहनना शुभ रहेगा। वहीं, माता को लाल रंग के गुड़हल या गुलाब के पुष्प अर्पित करें। एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
कालरात्रि का दूसरा नाम क्या है?
कालरात्रि को शुभंकरी (शुभंकरी) के नाम से भी जाना जाता है, जिसका संस्कृत में अर्थ है शुभ/अच्छा करने वाली, क्योंकि मान्यता है कि वह अपने भक्तों को हमेशा सकारात्मक परिणाम प्रदान करती हैं। इसलिए, ऐसा माना जाता है कि वह अपने भक्तों को निडर बनाती हैं। इस देवी के अन्य, कम प्रसिद्ध नामों में रौद्री और धुमोरना शामिल हैं।
माता कालरात्रि का बीज मंत्र क्या है?
या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। एक वेधी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता। लम्बोष्ठी कर्णिकाकणी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।।कालरात्रि ने किसका वध किया था?
इन राक्षसों के हाहाकार से परेशान होकर सभी देवता गणेश और शिवजी के पास गए और इन से इस समस्या से बचने का उपाय मांगने लगे तब माता पार्वती ने दुर्गा का रूप धारण कर शुभ निशुम्भ का वध कर दिया.
मां कालरात्रि को कैसे प्रसन्न करें?
महासप्तमी के दिन मां कालरात्रि को गुड़ और गुड़ से बनी चीजें जैसे मालपुआ का भोग लगाया जाता है। इन चीजों का भोग लगाने से माता प्रसन्न होती हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। पूजा के समय माता को 108 गुलदाउदी फूलों से बनी माला अर्पित करें
टिप्पणियाँ