सूर्य रथ निर्णय वर्णन,Soory Rath Nirnay Varnan

सूर्य रथ निर्णय वर्णन,Soory Rath Nirnay Varnan

सूतजी बोले- हे मुनियो ! अब मैं आप लोगों से संक्षेप में सूर्य के रथ का तथा चन्द्र और ग्रहों के रथ का वर्णन करता हूँ।
सूर्य का रथ सुवर्ण मय है जो ब्रह्मा ने रचा है। सम्वत्सर इस रथ के अवयव हैं। यह तीन नाभि का चक्र और पाँच अरा वाला है। इस रथ को नौ सहस्त्र योजनका विस्तार है। सात घोड़े हैं जो छन्दों से निर्मित हैं। देवता तथा मुनिजन दिन रात्रि भास्कर रूपी शिव की स्तुति करते हैं। त्वष्टध, विष्णु, पुलस्त्य, पुलह, अत्रि, वसिष्ठ, अङ्गिरा, भारद्वाज, गौतम आदि ऋषि तक्षक एलापत्र आदि नाग, हा हा हूहू गन्धर्व, घृताची, पूर्वचित्ति  आदि अप्सरायें ये सब सूर्य मण्डल में ही बसते हैं। इस
प्रकार एक चक्र वाले रथ में जिसमें हरे रंग के सात घोड़े जुते हुए हैं ऐसे सूर्य दिन रात यात्रा करते हैं। रात्रि दिन आदि का विभाग सूर्य से ही होता है। सात द्वीपों वाली समुद्र पर्यन्त भूमि की यात्रा सूर्य अपने सात घोड़ों के रथ से पूर्ण करते हैं।

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