सूर्य का अभिषेक वर्णन
ऋषि बोले- ब्रह्मा ने देव, दैत्यों को जिस प्रकार से आधिपत्य के लिए अभिषिक्त किया, वह सब कहिए। सूतजी बोले- प्रजापति ब्रह्मा ने ग्रहों के आधिपत्य में भगवान सूर्य को, नक्षत्रों और औषधि के स्वामित्य में सोम को, जल का वरुण को, धन का कुबेर को, आदित्यों में विष्णु को, वसुओं में पावक को, प्रजापतियों में दक्ष को, देवताओं में इन्द्र को, दैत्य और दानवों में प्रह्लाद को, पितरों में धर्म को, राक्षसों में निऋति को, पशुओं में रुद्र को, नन्दियों में गणनायक को, वीरों में वीरभद्र को, मातृयों में चामुण्डा को, रुद्रों में नीललोहित को, विघ्नों का गजानन को, स्त्रियों में उमादेवी को, वाणी का सरस्वती को, पर्वतों का हिमालय को, नदियों में गङ्गा को, समुद्रों में क्षीर सागर को, वृक्षों में पीपल को, गन्धर्व विद्याधर किन्नरों का चित्ररथ को, नागों का अधिपति वासुकि, सर्पों का तक्षक को, पक्षियों का गरुड़ को, घोड़ों का उच्चैश्रवा को, वन के पशुओं का सिंह को, गौओं का वृषभ को, सेना का अधिपति गुह को अभिषिक्त किया। इसी प्रकार पृथ्वी का अधिपति पृथु को, चतुमूर्तियों में सर्वज्ञ शंकर को अभिषेक किया। सो हे ऋषियो ! यह मैंने तुम्हें विस्तार से कह दिया, जिनको पद्मयोनि ब्रह्म ने अधिपति बनाकर अभिषेक किया था।
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