श्री कालिका सहस्त्रनाम स्तोत्रम्
श्री कालिका सहस्त्रनाम स्तोत्रम् - Shri Kalika Sahastranam Stotram
- ॥ श्री शिव उवाच ॥
कथितोऽयं महामंत्रः सर्वमंत्रोत्तमोत्तमः ।
यामासाद्य मया प्राप्तमैश्वर्य पदमुत्तमम् ॥
संयुक्तः परया भक्त्या यथोक्त विधिना भवान् ।
कुरुतामर्चनं देव्यास्त्रैलोक्य विजिगीषया ॥
॥ श्री राम उवाच ॥
प्रसन्नो यदि मे देव परमेश पुरातन।
रहस्यं परमं देव्याः कृपया कथय प्रभो ॥
विनार्चनं विना होमं विना न्यासं विना बलिं ।
विना गंधं विना पुष्पं विना नित्योदितां क्रियां ॥
प्राणयामं विनाध्यानं विना भूतविशोधनम्।
विनादानं विना जापं येन काली प्रसीदति ॥
॥ श्री शिव उवाच ॥
पृष्ट त्वयोत्तमं प्राज्ञ भृगुवंश समुद्भव।
भक्तानामपि भक्तोसि त्वमेव साधयिष्यसि ॥
देवीं दानव कोटिनीं लीलया रुधिरप्रियाम्।
सदा स्तोत्र प्रियामुग्रां कामकौतुक लालसां ॥
सर्वदानन्द हृदयामासवोत्सव मानसाम्।
माध्वी कमत्स्यमांसानुरागिणीं वैष्णीं पराम् ॥
श्मशान वासिनीं प्रेतगण नृत्य महोत्सवाम्।
योगप्रभावां योगेशीं योगीन्द्र हृदयस्थिताम् ॥
तामुग्रकालिकां राम प्रसीदयितुमर्हसि।
तस्याः स्तोत्र' परं पुण्यं स्वयं 'काल्या प्रकाशितम्' ॥
तव तत् कथयिष्यामि श्रुत्वा वत्सावधारय ।
गोपनीयं प्रयवेत पठनीयं परात्परम् ॥
यस्यैक कालपठनात् सर्वविघ्नाः समाकुलाः।
नश्यन्ति दहने दीसे पतङ्गा इव सर्वतः ॥
गद्यपद्यमयी वाणी तस्य गङ्गाप्रवाहवत् ।
तस्यदर्शन मात्रेण वादिनो निष्ाभां गताः ॥
तस्य हस्ते सदैवास्ति सर्वसिद्धिनं संशयः।
राजानोऽपि च दासत्वं भर्जते किं परे जनाः ॥
निशाथे मुक्त केशस्तुः नग्नः शक्ति समाहितः।
मनसा चिन्तयेत् काली महाकालेन चालितां ॥
पठेत् सहस्त्रनामाख्यं स्तोत्रं मोक्षस्य साधनम् ।
प्रसन्ना कालिका तस्य पुत्रत्वेनानुकम्पते ।।
यथा ब्रह्ममृतै ब्रह्मकुसुमैः पूजिता परा।
प्रसीदति तथानेन स्तुता काली प्रसीदति ॥
विनियोगः-
॥ अथ स्तोत्रम् ॥
कालिका कालरात्रिश्च महाकाल नितम्बिनी।
कालभैरव भार्या च कुलवत्र्मप्रकाशिनी ॥
कामदा कामिनी कन्या कमनीयस्वरूपिणी ।
कस्तूरीरस लिप्ताङ्गी कुञ्जरेश्वर गामिनी ॥
ककारवर्ण सर्वाङ्गी कामिनी कामसुन्दरी।
कामार्त्ता कामरूपा च कामधेनुः कलावती ॥
कांता कामस्वरूपा च कामाख्या कुलकामिनी ।
कुलीना कुलवत्यम्बा दुर्गा दुर्गति नाशिनी ॥
कौमारी कलजा कृष्णा कृष्णदेहा कृशोदरी।
कृशाङ्गी कुलिशांगीजा क्रीङ्कारी कमला कला ॥
करालास्या कराली च कुलकांता पराजिता।
उग्रा उग्रप्रभा दीप्ता विप्रचित्ता महाबला ॥
नीला घना मेघनादा मात्रा मुद्रा मितामिता।
ब्राह्मी नारायणी भद्रा सुभद्रा भक्तवत्सला ॥
माहेश्वरी च चामुण्डा वाराही नारसिंहिका।
वज्राङ्गी वज्राकङ्काला नृमुण्डस्खग्विणी शिवा ॥
मालिनी नरमुण्डाली गलद्रक्त विभूषणा।
रक्तचन्दन सिक्ताङ्गी सिंदुरारुण मस्तका ॥
घोररूपा घोरदंष्ठा घोरा घोरतरा शुभा।
महादंष्ट्रा महामाया सुदन्ती युगदन्तुस ॥
सुलोचना विरूपाक्षी विशालाक्षी त्रिलोचना।
शारदेन्दु प्रसन्नास्या स्फुरत् स्मेताम्बुजेक्षणा ॥
अट्टहासा प्रफुल्लास्या स्मेरवक्त्रा सुभाषिणी।
प्रफुल्लपद्यवदना स्मितास्या प्रियभाषिणी ॥
कोटराक्षी कुलश्रेष्ठा महती बहुभाषिणी।
समुतिः कुमतिश्चण्डा चण्डमुण्डातिवेगिनी ॥
सुकेशी मुक्तकेशी दीर्घकेशी महाकुचा।
प्रेतदेहाकर्णपूरा प्रेतपाणिसुमेखला ॥
प्रेतासना प्रियप्रेता पुण्यदा कुलपण्डिता ।
पुण्यालया पुण्यदेहा पुण्यश्नोका च पावनी ॥
पूता पवित्रा परमा परा पुण्य विभूषणा।
पुण्यनाम्नी भीतिहरा वरदा खड्गपाशिनी ॥
नृमुण्डहस्ता शान्ता च छिन्नमस्ता सुनासिका ।
दक्षिणा श्यामला श्यामा शांता पीनोन्नतस्तनी ॥
दिगम्बरी घोररावा सुकान्तरक्त वाहिनी।
घोररावा शिवासंगा निःसंगा मदनातुरा ॥
मत्ता प्रमत्ता मदना सुधासिन्धु निवासिनी।
अभिमत्तामहामत्ता सर्वाकर्षण कारिणी ॥
गीतप्रिया वाद्यरता प्रेतनृत्य परायणा ।
चतुर्भुजा दशभुजा अष्टादशभुजा तथा ॥
कात्यायनी जगन्माता जगती परमेश्वरी।
जगद्वन्धुर्जगद्धात्री जगदानन्द कारिणी ॥
जगज्जीववती हेमवती माया महालया।
नागयज्ञोपवीताङ्गी नागिनी नागशायिनी ॥
नागकन्या देवकन्या गान्धारी किन्नरी सुरी।
मोहरात्रि महारात्रि दारुणामा सुरासुरी ॥
विद्याधरी वसुमति यक्षिणी योगिनीजरा।
राक्षसी डाकिनी बेदमयी वेदविभूषणा ॥
श्रुतिस्मृति महाविद्या गुह्यविद्या पुरातनी।
चिंताचिंता स्वधा स्वाहा निद्रातंद्रा च पार्वती ॥
अपर्णा निश्चला लोला सर्वविद्या तपस्विनी।
गङ्गा काशी शची सीता सती सत्यपरायणा ॥
नीतिः सुनीतिः सुरुचिस्तुष्टिः पुष्टिधृतिः क्षमा।
वाणी बुद्धि महालक्ष्मी लक्ष्मीनर्नीलसरस्वती ॥
स्रोतस्वती स्रोतवती मातंगी विजया जया।
नदी सिन्धुः सर्वमयी तारा शून्य निवासिनी ॥
शुद्धा तरंगिणी मेधा लाकिनी बहुरूपिणी।
सदानन्दमयी सत्या सर्वानन्द स्वरूपिणी ॥
सुनन्दा नन्दिनी स्तुत्या स्तवनीया स्वभाविनी।
रंकिणी टंकिणी चित्रा विचित्रा चित्ररूपिणी ॥
पद्मा पद्यालया पद्मसुखी पद्मविभूषणा ।
शाकिनी हाकिनी क्षान्ता राकिणी रुधिरप्रिया ॥
धान्तिर्भव रुद्राणी मृडानी शत्रुमर्दिनी।
उपेन्द्राणी महेशानी ज्योत्स्रत्रा चेन्द्रस्वरूपिणी ॥
सूर्यात्मिका रुद्रपनी रौद्री स्वी प्रकृतिः पुमान।
शक्तिः सूक्तिर्मतिमती भुक्तिर्मुक्तिः पतिव्रता ॥
सर्वेश्वरी सर्वमता सर्वांणी हरवल्लभा।
सर्वज्ञा सिद्धिदा सिद्धा भाव्या भव्या भयापहा ॥
कत्रीं हीं पालयित्री शर्वरी तामसी दया।
तमित्रा यामिनीस्था च स्थिरा धीरा तपस्विनी ॥
चार्वड्ङ्गी चंचला लोलजिह्वा चारु चरित्रिणी।
त्रपा त्रपावती लज्जा निर्लज्जा ह्रीं रजोवती ॥
सत्ववती धर्मनिष्ठा श्रेष्ठा निष्ठुरवादिनी।
गरिष्ठा दुष्टसंही विशिष्टा श्रेयसीघृणा ॥
भीमा भयानका भीमनादिनी भीः प्रभावती।
वागीश्वरी श्रीर्यमुना यज्ञकत्रीं यजुःप्रिया ॥
ऋक्सामाश्वर्वनिलया रागिणी शोभनस्वरा।
कलकण्ठी कम्बुकण्ठी वेगुवीणापरायणा ॥
वंशिनी वैष्णवी स्वच्छा धात्री त्रिजगदीश्वरी।
मधुमती कुण्डलिनी ऋद्धिः सिद्धिः शुचिस्मिता ॥
रम्भोवंशी रती रामा रोहिणी रेवती रमा।
शङ्खिनी चक्रिणी कृष्णा गदिनी पद्मिनी तथा ॥
शूलिनी परिधास्वा च पाशिनी शार्ङ्गपाणिनी।
पिनाकधारिणी धूम्रा शरभी वनमालिनी ॥
वज्रिणी समरप्रीता वेगिनी रणपण्डिता।
जटिनी विम्बिनी नीला लावण्याम्बुधिचन्द्रिका ॥
बलिप्रिया सदा पूज्या पूर्णा दैत्येन्द्र माथिनी।
महिषासुरसंहन्त्री वासिनी रक्तदन्तिका ॥
रक्तपा रुधिराक्ताङ्गी रक्तखर्पर हस्तिनी।
रक्तप्रिया गांसरुचिरा सवासरक्त मानसा ॥
गलच्छोणित मुण्डालिकण्ठमाला विभूषणा।
शवासना चितान्तस्था माहेशी वृषवाहिनी ॥
व्याघ्रत्वगम्बरा चीनचेलिनी सिंहवाहिनी।
वामदेवी महादेवी गौरी सर्वज्ञभाविनी ॥
बालिका तरुणी वृद्धा वृद्धमाता जरातुरा।
सुधुर्विलासिनी ब्रह्मवादिनी ब्राह्मणी मही ॥
स्वप्नावती चित्रलेखा लोपामुद्रा सुरेश्वरी।
अरुन्धती तीक्ष्णा च भोगवायनुवादिनी ॥
मन्दाकिनी मन्दहासा ज्वालमुख्य सुरान्तका।
मानदा 'मानिनी मान्या माननीया मदोद्धता ॥
मदिरा मदिरान्मादा मेध्या नव्या प्रसादिनी।
सुमध्यानन्तगुणिनी सर्वलोकोत्तमोत्तमा ॥
जयदा जित्वरा जेत्री जय श्रीर्जयशालिनी।
सुखदा शुभदा सत्या सभासंक्षोभ कारिणी ॥
शिवदूती भूतिमती विभूतिर्भीषणानना।
कौमारी कुलजा कुन्ती कुलस्वी कुलपालिका ॥
कीर्तिर्यशस्विनी भूषा भूष्या भूतपति प्रिया।
सगुणा निर्गुणा धृष्टा निष्ठा काष्ठा प्रतिष्ठिता ।।
धनिष्ठा धनदा धन्यावसुधा स्वप्रकाशिनी।
उर्वी गुों गुरुश्रेष्ठा सगुणा त्रिगुणात्मिका ॥
महाकुलीना निष्कामा सकामा कामजीवना।
कामदेवकला रामाभिरामा शिवनर्तकी ॥
चिन्तामणि कल्पलता जानती दीनवत्सला।
कार्त्तिकी कार्त्तिका कुत्या अयोध्या विषमा समा ॥
सुमंत्रा मंत्रिणी घूर्णा हृादिनी क्लेशनाशिनी।
त्रैलोक्य जननी हृष्टा निर्मासा मनोरूपिणी ॥
तडाग निम्नजठरा शुष्कमांसास्थि मालिनी।
अवन्ती मधुरा माया त्रैलोक्य पावनीश्वरी ॥
व्यक्ताव्यक्तानेकमूर्त्तिः शर्वरी भीमनादिनी।
क्षेमङ्करी शंकरी च सर्वसम्मोह कारिणी ॥
अर्द्ध तेजस्विनी क्लिन्ना महातेजस्विनी तथा।
अद्वैता भोगिनी पूज्या युवती सर्वमङ्गला ॥
महाभैरव पत्नी च परमानन्दभैरवी ।
सुधानन्दभैरवी च उन्मादानन्दभैरवी ॥
मुक्तानन्दभैरवी च तथा तरुणभैरवी ।
ज्ञाननन्दभैरवी च अमृतानन्दभैरवी ॥
महाभयङ्करी तीव्रा तीव्रवेगा तपस्विनी ।
त्रिपुरा परमेशानी सुन्दरी पुरसुन्दरी ॥
त्रिपुरेशी पञ्चदशी पञ्चमी पुरवासिनी।
महासप्तदशी चैव घौडशी त्रिपुरेश्वरी ॥
महांकुश स्वरूपा च महाचक्रेश्वरी तथा ।
नवचक्रेश्वरी चक्रे श्वरी त्रिपुरमालिनी ॥
राजराजेश्वरी धीरा महात्रिपुर सुन्दरी।
सिन्दूर पूर रुचिरा श्रीमत्त्रिपुरसुन्दरी ॥
सर्वाङ्गसुन्दरी रक्ता रक्तवस्त्रोत्तरीविणी ।
जावायावकसिन्दूर रक्तचन्दन बारिणी ॥
जावायावकसिन्दूर रक्तचन्दन रूपधृक् ।
चामरी बालकुटिलनिर्मल श्यामकेशिनी ॥
वज्रमौक्तिक रत्राढ्य किरीट मुकुटोज्ज्वला ।
रत्नकुण्डल संसक्त स्फुरद्गण्ड मनोरमा ॥
कुंजरेश्वर कुम्भोत्थ मुक्तारञ्जित नासिका।
मुक्ताविद्रुम माणिक्यहाराढ्य स्तनमण्डला ॥
सूर्यकान्तेन्दु कान्ताढय स्पर्शाश्मकंठभूषणा ।
बीजपूरस्फुरद्वीज दन्तपंक्तिरनुत्तमा ।
कामकोदण्डका भुग्रभूकाटाक्ष प्रवर्षिणी ।
मातङ्गकुम्भवक्षोजा लसत्कोकनदेक्षणा ।
मनोज्ञ शष्कुलीकर्णा हंसीगति विडम्बिनी।
पद्मरागांगद ज्योतिर्दो चतुष्कप्रकाशिनी ॥
नानामणि परिस्फूर्जच्छुद्ध कांचनकंकना।
नागेन्द्रदन्त निर्माणवलयांकित पाणिनी ॥
अंगुरीयक चित्रांगी विचित्र क्षुद्रघण्टिका।
पट्टाम्बर परीधाना कलमञ्जीर शिंजिनी ॥
कर्पूरागरुकस्तूरी कुंकुमद्रव लेपिता।
विचित्र रत्न पृथिवी कल्प शाखि तलस्थिता ॥
स्व्त्रद्वीप स्फुरद्रक्त सिंहासन विलासिनी ।
षट्चक्रभेदनकरी परमानन्द रूपिणी ॥
सहखदलपद्यान्त चन्द्रमण्डलवर्त्तिनी ॥
ब्रह्मरूपशिव क्रोडनानासुख विलासिनी।
हर विष्णु विरिचीन्द्र ग्रहनायक सेविता ॥
शिवा शैवा च रुद्राणी तथैव शिववादिनी।
मातङ्गिनी श्रीमती च तथैवानन्द मेखला ॥
डाकिनी योगिनी चैव तथोपयोगिनी मता।
माहेश्वरी वैष्णवी च भ्रामरी शिवरूपिणी ॥
अलम्बुषा वेगवती क्रोधरूपा सुमेरवला।
गान्धारी हस्तजिह्वा च इडा चैव शुभङ्करी ॥
पिङ्गला ब्रह्मदूती च सुषुम्ना चैव गन्धिनी।
आत्मयोनि ब्रह्मयोनिर्जगद् योनिरयोनिजा ॥
भगरूपा भगस्थात्री भगिनी भगरूपिणी।
भगात्मिका भगाधाररूपिणी भगमालिनी ॥
लिंगाख्या चैव लिंगेशी त्रिपुरा भैरवी तथा।
लिंगगीतिः सुगीतिश्च लिंगस्था लिंगरूपधृक् ॥
लिंगमाना लिंगभवा लिंगलिंगा च पार्वती।
भगवती कौशिकी च प्रेमा चैव प्रियंवदा ॥
गृधरूपा शिवारूपा चक्रिणी चक्ररूपधृक।
लिंगाभिधायिनी लिंगप्रिया लिंगनिवासिनी ॥
लिंगस्था लिंगनी लिंगरूपिणी लिंगसुन्दरी।
लिंगगीतिर्महाप्रीता भगगीतिर्महासुखा ॥
लिंगनामसदानन्दा भगनामसदागतिः ।
लिंगमालाकण्ठभूषा भगमाला विभूषणा ॥
भगलिंगामृतप्रीता भगलिंग स्वरूपिणी।
भगलिंगस्य रूपा च भगलिंग सुखावहा ॥
स्वयम्भू कुसुमप्रीता स्वयम्भू कुसुमार्चिता।
स्वयम्भू कुसुमप्राणा स्वयम्भू पुष्पतर्पिता ॥
स्वयम्भू पुष्प घटिता स्वयम्भू पुष्पधारिणी।
स्वयम्भू पुष्पतिलका स्वयम्भू पुष्पचर्चिता ॥
स्वयम्भू पुष्पनिरता स्वयम्भू कुसुमग्रहा।
स्वयम्भू पुष्पयज्ञांशा स्वयम्भू कुसुमात्मिका ॥
स्वयम्भू पुष्यनिचिता स्वयम्भू कुसुमप्रिया।
स्वयम्भू कुसुमादान लालसोन्मत्तमानसा ॥
स्वयम्भू कुसुमानन्दलहरी खिग्धदेहिनी ॥
स्वयम्भू कुसुमाधारा स्वयम्भू कुसुमाकुला।
स्वयम्भू पुष्पनिलया स्वयम्भू पुष्पवासिनी ॥
स्वयम्भू कुसुमत्रिग्धा स्वयम्भू कुसुमात्मिका।
स्वयम्भू पुष्पकरिणी स्वयम्भू पुष्पवाणिका ॥
स्वयम्भू कुसुमध्याना स्वयम्भू कुसुमप्रभा ।
स्वयम्भू कुसुमज्ञाना स्वयम्भू पुष्पभागिनी ॥
स्वयम्भू कुसुमोल्लासा स्वयम्भू पुष्पवर्षिणी।
स्वयम्भू कुसुमोत्साहा स्वयम्भू पुष्परूपिणी ॥
स्वयम्भू कुसुमोन्मादा स्वयम्भू पुष्पसुन्दरी।
स्वयम्भू कुसुमाराध्या स्वयम्भू कुसुमोद्भवा ॥
स्वयम्भू कुसुमव्याग्रा स्वयम्भू पुष्पपूर्णिता ।
स्वयम्भू पूजक प्रज्ञा स्वयम्भू होतृमातृका ॥
स्वयम्भू दातुरक्षित्री स्वयम्भू रक्ततारिका ।
स्वयम्भू पूजकग्रस्ता स्वयम्भू पूजक प्रिया ॥
स्वयम्भू वन्दकाधारा स्वयम्भू निन्दकान्तका ।
स्वयम्भू प्रदसर्वस्वा स्वयम्भू प्रदपुत्रिणी ॥
प्रदसस्मेरा स्वयम्भू स्वयम्भू प्रदशरीरिणी ॥
सर्वकालोद्भव प्रीता सर्वकालोद्भवात्मिका।
सर्वकालोद्भवोद्भावा सर्वकालोद्भवोदभवा ॥
कुण्डपुष्प सदा प्रीतिगेलि पुष्पसदारतिः ।
कुण्डगोलोद्भव प्राणा कुण्डगोलोद्भवात्मिका ॥
स्वयम्भूवा शिवाधात्री पावनी लोकपावनी।
कीर्तिर्यशस्विनी मेधा विमेधा शुक्रसुन्दरी ॥
अश्विनी कृत्तिका पुष्या तेजस्का चन्द्रमण्डला।
सूक्ष्मा सूक्ष्मा वलाका च वरदा भयनाशिनी ॥
वरदाभयदा चैव मुक्तिबन्ध विनाशिनी।
कामुका कामदा कान्ता कामाख्या कुलसुन्दरी ॥
दुःखदा सुखदा मोक्षा मोक्षदार्थ प्रकाशिनी।
दुष्टा दुष्टमतिश्चैव सर्वकार्य विनाशिनी ॥
शुक्राधारा शुक्ररूपा शुक्रसिन्धु निवासिनी।
शुक्रालया शुक्रभोगा शुक्रपूजा सदारतिः ॥
शुक्रपूज्या शुक्रहोम सन्तुष्टा शुक्रवत्सला ।
शुक्रमूर्तिः शुक्रदेहा शुक्रपूजक पुत्रिणी ॥
शुक्रस्था शुक्रिणी शुक्र संस्पृहा शुक्रसुन्दरी।
शुक्रस्नाता शुक्रकरी शुक्रसेव्याति शुक्रिणी ॥
महाशुक्रा शुक्रभवा शुकवृष्टि विधायिनी।
शुक्राभिधेया शुक्रार्हा शुक्रवन्दक बन्दिता ॥
शुक्रानन्दकरी शुक्रसदानन्दाभिधायिका ।
शुक्रोत्सवा सदाशुक्रपूर्णा शुक्रमनोरमा ॥
शुक्रपूजकसर्वस्वा शुक निन्दक नाशिनी।
शुक्रात्मिका शुक्रसम्वत् शुक्राकर्षण कारिणी ॥
शारदा साधक प्राणा साधका सक्तमानसा।
साधकोत्तम सर्वस्वा साधकाभक्तरक्तता ॥
साधकानन्द सन्तोषा साधकानन्द कारिणी।
आत्मविद्या ब्राहाविद्या परब्रह्म स्वरूपिणी ॥
॥ फलश्रुति ॥
त्रिकूटस्था पञ्चकूटा सर्वकूटशरीरिणी।
सर्ववर्णमयी वर्णजपमाला विधायिनी ॥
इति श्री कालिका नाम सहस्त्रं शिवभाषितम्।
गुह्याद्गुह्यतरं साक्षात् महापातक नाशनम् ॥
पूजाकाले निशीथे च सन्ध्योयीरुभयोरपि।
लभते गाणपत्यं स यः पठेत साधकोत्तमः ॥
यः पठेत पाठयेद्वापि शृणोति श्रवयेदध।
सर्वपाप विनिर्मुक्तः स याति कालिकापुरम् ॥
श्रद्धयाऽश्रद्धया वापि यः कञ्चिम्मानवः स्मरेत्।
दुर्ग दुर्गशतं तीर्खा स याति परमां गतिम् ॥
बंच्या वा काकबंच्या वा मृतवत्सा च यांगना ।
श्रुत्वा स्तोत्रमिदं पुत्रान् लभते चिरजीविनः ॥
यं यं कामयते कार्य पठन् स्तोत्रमनुत्तमम् ।
देवीपाद प्रसादेन तत्तदाप्नोति निश्चितम् ॥
॥ इति श्रीकालिका कुल सर्वस्वे कालिका सहस्रनाम स्तोत्रं समाप्तम् ॥
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