श्री वामदेव जी की महिमा | भगवान शिव के इन पंच अवतार बहुत कम लोग जानते,Shree Vaamadev Jee Kee Mahima | Bhagavaan Shiv Ke In Panch Avataar Bahut Kam Log Jaanate

श्री वामदेव जी की महिमा | भगवान शिव के इन पंच अवतार बहुत कम लोग जानते

श्री वामदेव जी की महिमा का वर्णन

सूतजी बोले- तीसवाँ कल्प रक्त नाम का कल्प कहा जाता है। इस कल्प में महान तेजस्वी ब्रह्मा लाल रंग को धारण करते हैं। पुत्र की कामना से महान तेजस्वी ब्रह्मा जी ने परमेष्ठी शिव का ध्यान किया। तब एक महान तेजस्वी कुमार प्रगट हुए जो लाल रंग के आभूषण और लाल ही वस्त्र तथा माला पहने हुए थे। उनके लाल नेत्र थे तथा वे बड़े ही प्रतापवान थे। रक्त वस्त्र पहने हुए उन महान आत्मा कुमार को देखकर ध्यान के सहारे से ये देव ईश्वर हैं, ऐसा जान लिया और उनको ब्रह्मा जी ने प्रणाम किया। उन वामदेव भगवान की ब्रह्मा जी ने ब्रह्म मानकर स्तुति की। हृदय में प्रतीत हुए उन वामदेव ने ब्रह्मा जी से यह कहा कि हे पितामह ! आपने मुझे पुत्र की कामना से ध्यान किया है तथा ब्रह्म जानकर बड़ी भक्ति से मेरी स्तुति की है। इससे आप हर एक कल्प में ध्यान योग्य के बल को प्राप्त करके मुझ सभी लोकों के दाता ईश्वर को जान सकोगे।


इसके बाद उस महान आत्मा के द्वारा विशुद्ध ब्रह्म तेज से युक्त महान चार कुमार प्रकट हुए। उनके नाम विरिजा, विवाहु, विशोक और विश्व भावना हैं। ये चारों बड़े भारी ब्रह्मण्य और ब्रह्म के समान ही वीर और अध्यवसायी हुए, जो रक्त वस्त्र और रक्त माला को धारण करने वाले तथा लाल चन्दन का लेपन करने वाले हैं। लाल कुमकुम तथा लाल भस्म को शरीर में लगाते हैं। हजारों वर्षों के अन्त में ब्रह्म-वामदेव जी का गुणगान करते हुए, संसार के हित की कामना से, अपने शिष्यों को समस्त धर्म का उपदेश देकर पुनः वे अविनाशी रुद्र, महादेव जी में ही लीन हो जाते हैं। ये तथा दूसरे श्रेष्ठ द्विजाती लोग उस ईश्वर को जानकर तथा महादेव और उनके भक्तों में परायण होकर ध्यान से उन्हें देखते हैं वे सभी निर्मल और ब्रह्मचारी मनुष्य पापों से छूटकर रुद्र लोक को जाते हैं तथा संसार के आवागमन से भी मुक्त हो जाते हैं।

भगवान शिव के इन पंच अवतार बहुत कम लोग जानते

शिव पुराण में भगवान शिव के अवतारों के वर्णन प्रस्तुत है, भगवान शिव को सर्वव्यापक माना जाता हैं देवों के देव महादेव ने संसार के उद्धार और लोकहित के लिए समय-समय पर अनेक अवतार लिए हैं. भगवान शिव ने जो पंच अवतार लिए वह किन कारणों से लिए उनके बारे में आज हम इस लेख से जानेंगे !
  • वामदेव अवतार
रक्त नाम के बीसवें कल्प में ब्रह्मा जी का शरीर रक्तवर्ण का हो गया और ध्यान करते हुए उनके मन में अचानक पुत्र प्राप्ति का विचार आया. उसी समय उन्हे एक पुत्र भी प्राप्त हुआ. जिसने लाल रंग के कपड़े पहने हुए थे, साथ ही उसके सारे आभूषण भी लाल रंग के थे. ब्रह्मा जी उसे भगवान शिव का प्रसाद समझकर बहुत खुश हुए और उन्होंने भगवान शिव की स्तुति करनी शुरू की. उस लाल वस्त्रधारी के विरज, विवाह, विशाख और विश्वभान नाम के चार पुत्र हुए, जिसके बाद भगवान शिव ने ब्रह्माजी को सृष्टि रचना की आज्ञा दी !
  • सद्योजात अवतार
सद्योजात अवतार भगवान शिव के पंच अवतार का पहला अवतार है. उस कल्प में ब्रह्म का ध्यान करते हुए ब्रह्माजी की शिखा से श्वेत लोहित कुमार उत्पन्न हुए. तब सद्योजात को शिव अवतार जानकर ब्रह्माजी खुश होकर उनका बार-बार चिंतन करने लगे. जिसके बाद ब्रह्माजी के चिंतन से परमब्रह्म स्वरूपी यशस्वी ज्ञानी कुमार उत्पन्न हुए, जिनके नाम थे. सुनंद, नंदन, विश्वनंदन और उपनंदन, तब सद्योजात भगवान शिव ने ब्रह्माजी को परम ज्ञान प्रदान किया और सृष्टि को उत्पन्न करने की शक्ति उन्हें प्रदान की !
  • तत्पुरुष अवतार
इक्कीसवें कल्प में ब्रह्माजी ने पीले रंग के वस्त्र धारण किए और पुत्र कामना का ध्यान करते हुए ब्रह्माजी को एक महान तेजस्वी, दीर्घ भुजाओं वाला पुत्र प्राप्त हुआ. उस पुत्र को ब्रह्माजी ने उसे तत्पुरुष शिव समझा, जिसके बाद उन्होंने गायत्री का जाप शुरू किया !
  • घोर अवतार
शिव कल्प में ब्रह्मा जी को हजारों वर्षों बाद एक दिव्य पुत्र की प्राप्ति हुई, वह बालक काले रंग का था. उसने काले कपड़े, काली पगड़ी और सभी चीजें काले रंग की पहनी हुई थी. तब इस अघोर और घोर पारक्रमी कृष्ण एव अद्भुद देवेश को देखकर ब्रह्माजी ने प्रणाम किया. फिर ब्रह्माजी उनकी स्तुति करने लगे, उस कृष्णवर्णी कुमार के भी चार पुत्र हुए जिनका नाम कृष्ण, कृष्णशिख, कृष्णास्य और कृष्ण कणठधारी नाम के चार पुत्र हुए ये सभी तेजस्वी और शिवस्वरुप ही थे, इन्होंने ही ब्रह्माजी द्वारा रची जा रही सृष्टि का विस्तार करने के लिए घोर नाम के योग का प्रचार किया !
  • भगवान ईशान अवतार
परम अद्भुत विश्वरूप नामक कल्प हुआ, जिसमें ब्रह्माजी पुत्र की कामना से ध्यानमग्न थे, तभी उनके चिंतन से सिंहनाद करने वाली विश्वरुपा सरस्वती प्रकट हुईं. साथ ही परमेश्वर के पांचवें अवतार भगवान ईशान प्रकट हुए, जिसका रंग स्फुटिक के समान उज्जवल था और उन्होंने अनेक प्रकार के सुंदर रत्न-आभूषण धारण किए हुए थे. भगवान ईशान के भी चार पुत्र हुए, जिनके नाम थे जटी, मुंडी, शिखंडी और अर्धमुंड, उनके चारों पुत्रों ने भी योग मार्ग अपना लिया !

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