शिव की अष्ट मूर्तियों की महिमा का वर्णन,Shiv Kee Asht Moortiyon Kee Mahima Ka Varnan

शिव की अष्ट मूर्तियों की महिमा का वर्णन

सनत्कुमार बोले- हे नन्दी! आठ मूर्ति वाले महेश की महिमा को फिर और भी वर्णन कीजिए। नन्दिकेश्वर बोले- जो जगत को व्याप्त करके स्थित हैं, ऐसी अष्ट मूर्ति शिव की महिमा को मैं तुम्हारे प्रति वर्णन करूंगा। चर और अचर भूतों को धारण करने वाला 'शर्वदेव' उसे कहा है। उस शर्व की पत्नी विकेशी कही है। उसका पुत्र अंगारक यानी मंगल है। वेद वादियों ने भव उसे कहा है। उसकी पत्नी को उमा कहते हैं तथा पुत्र शुक्र कहा है। वन्हि स्वरूप भगवान शिव हैं उन्हें पाशुपति कहा गया है उनकी पत्नी को स्वाहा कहते हैं उनका पुत्र षडमुख नाम से कहा है, जो समस्त भुवनों में व्याप्त है। पवनात्मा भगवान को ईशान कहते हैं। ईशान की पत्नी को शिवा नाम वाली कहा है उनका पुत्र मनोजक (हनुमान) कहा है। आकाशत्मा जो शिव का रूप है उसे भीम कहा है। दशों दिशायें उनकी पति रूप देवियाँ हैं।


सूर्यात्मा भगवान देव उन ईश्वर के सर्ग (पुत्र) हैं और सूर्य स्वरूप को रुद्र कहा है। सुर्वचला उसकी देवी है तथा पुत्र शनिश्चर है। सोमात्मक रूप को महादेव नाम से कहा गया है उनकी पत्नी रोहिणी है और पुत्र को बुध कहा है। यजमान स्वरूप है उसे विद्वानों ने 'उग्र' कहा है तथा कुछ दूसरे विद्वान उसी रूप को ईशान भी कहते हैं। उग्रदेव की पत्नी को दीक्षा कहते हैं उनका पुत्र 'सन्तान' नाम से कहा जाता है। देह धारियों के शरीरों में जो कठिनता या कठोरता है वह भगवान का पार्थिव (पृथ्वी सम्बन्धी) भाग जानना चाहिए। तत्ववेत्ताओं ने सब देह धारियों के शरीर में पशुपति की मूर्ति जो वायु है वह शिव का रूप है। शरीर में जो शोभा स्थान है वह ईशान का रूप है। शरीर में नेत्र आदि का जो तेज है वह भीम की मूर्ति जाननी चाहिए। सर्वभूतों का जो चन्द्र रूप मन है वह रुद्र का स्वरूप जानना चाहिए। यजमान का जो स्वरूप है महादेव की मूर्ति जानना चाहिए।

चौदह योनियों में उत्पन्न प्राणियों को उग्र मूर्ति जानना चाहिए। ऋषि लोग अष्टमूर्ति मय शिव को कहते हैं। अन्य लोग सप्तमूर्ति मय कहकर उसकी आठवीं मूर्ति सब भूतों में व्याप्त आत्मा को बताते हैं। जिस पुरुष ने अष्टमूर्तियों की आराधना की हो। उसने सबका उपकार किया तथा अभय प्रदान किया। अष्टमूर्ति का आराधन और अर्चन सर्वोपकारमय और सर्व अनुग्रहमय है इसमें संशय नहीं है। अतः शिव की आराधना करने वाले पुरुष को सबके लिए अभय प्रदान करना चाहिए। 

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