श्री ( महाविद्या ) बाला त्रिपुर सुन्दरी स्तोत्र
श्रीबाला त्रिपुर सुंदरी स्तोत्र के बारे में कुछ जानकारी
- इस स्तोत्र में कहा गया है कि जो व्यक्ति निशाकाल में इसका पाठ करता है, वह पृथ्वी पर महापुरुषों का नेता बनता है और स्वर्ग में इंद्र के समान शौर्य-लक्ष्मी से युक्त होता है !
- इस स्तोत्र में कहा गया है कि जो व्यक्ति विन्दु-पीठ पर बाला का अर्चन करता है, वह शिव-स्वरूप हो जाता है !
- इस स्तोत्र में कहा गया है कि भगवती श्रीबाला का यह मंत्र-मय स्तोत्र अति श्रेष्ठ है !
- इस स्तोत्र में कहा गया है कि इसे भक्ति-हीन व्यक्तियों को नहीं बताना चाहिए और इसे अत्यन्त गुप्त बनाए रखना चाहिए !
॥ श्री भैरव उवाच ॥
विनियोगः
ऋष्यादिन्यासः
षडङ्गन्यासः-
करन्यास:-
अङ्गन्यासः-
॥ ध्यानम् ॥
अरुण किरणजालै रञ्जिताशावकाशा।
विधृतजप वटीका पुस्तकाभीतिहस्ता ।
इतरकरवराढ्या फुाङ्गकङ्कारसंस्था।
निवसतु हृदि बाला नित्यकल्याणरूपा ॥
मानसोपचारैः संपूज्य स्तोत्रं पठेत्-
कामेश्वरि ! त्र्यक्षरी कामराजं जपेद् दिनान्ते तव मन्त्रराजम् ।
रम्भाऽपि जृम्भारिसभां विहाय भूमौ भजेत् तं कुलदीक्षितं च ॥२॥
तार्तीयकं बीजमिदं जपेद् यस्त्रैलोक्य मातस्त्रिपुरे! पुरस्तात् ।
विधाय लीलां भुवने तथान्ते निरामयं ब्रह्मपदं प्रयाति ॥३ ॥
धरासय त्रिवृत्ताष्ट - पत्र षट्कोण नागरे !
विन्दुपीठेऽर्चयेद् बालां बोऽसौ प्रान्ते शिवो भवेत् ॥४॥
इति मन्त्रमयं स्तवं पठेद् यस्त्रिपुराया निशि वा निशावसाने ।
स भवेद् भुवि सार्वभौम मौलिस्त्रिदिवे शक्र समान शौर्यलक्ष्मी ॥५ ॥
इतीदं देवि ! बालाया स्तोत्रं मन्त्रमयं परम् ।
अदातव्यमभक्तेभ्यो गोपनीयं स्वयोनिवत् ॥६ ॥
॥ इति श्रीरुद्रयामले तन्त्रे भैरव भैरवी संवादे श्रीबाला त्रिपुरसुन्दरी स्तोत्रम् ॥
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