कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि,विभिन्न राज्यों में अलग-अलग तरीके,Krishna Janmashtami puja method, different methods in different states
कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि,विभिन्न राज्यों में अलग-अलग तरीकों से मनाई जाती है
हिंदू धर्म में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पर्व का बेहद महत्व है। माना जाता है भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को आधी रात के समय श्री कृष्ण ने कंस का अंत करने के लिए धरती पर जन्म लिया था। तभी से इस खास तिथि को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है।
प्रत्येक वर्ष श्री कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस विशेष दिन पर भगवान श्री कृष्ण की उपासना करने से व्यक्ति को सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही जीवन में आ रही सभी प्रकार की समस्याएं दूर हो जाती है.
कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि
कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा विधि विशेष रूप से महत्वपूर्ण और धार्मिक अनुष्ठान है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का उत्सव मनाया जाता है। नीचे दी गई विधि का पालन करके आप इस पावन अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा कर सकते हैं:
- स्नान और शुद्धिकरण:
- पूजा की तैयारी:
- ध्यान और मूर्ति स्थापना:
- पाद्य और अर्घ्य अर्पण:
- पंचामृत स्नान:
- श्रृंगार:
- भोग और अर्पण:
- आरती और प्रार्थना:
इस पूजा विधि का पालन कर आप भगवान श्रीकृष्ण की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
कृष्ण जन्माष्टमी विभिन्न राज्यों में अलग-अलग तरीकों से मनाई जाती है
कृष्ण जन्माष्टमी पूरे विश्व में बहुत ही धूमधाम और भक्ति के साथ मनाई जाती है, और यह भारत के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग तरीकों से मनाई जाती है। प्रत्येक क्षेत्र की अपनी विशिष्ट परंपराएं और रस्में होती हैं, जो इस त्यौहार को और भी खास बनाती हैं।
- उत्तर भारत: उत्तर भारत में कृष्ण जन्माष्टमी का विशेष महत्व है। यहाँ पर रास लीला का मंचन प्रमुख रूप से होता है, जो भगवान कृष्ण और राधा की लीला पर आधारित है। जम्मू में लोग पतंग उड़ाने का भी आनंद लेते हैं, जो इस त्यौहार का एक अनोखा हिस्सा है।
- पूर्वोत्तर और पूर्वी भारत: मणिपुर में, राधा-कृष्ण की प्रेम कहानी को नृत्य नाटिका के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, जिसे रास लीला कहा जाता है। यहाँ के लोग भागवत पुराण और भगवद गीता के दसवें अध्याय का पाठ करते हैं। बच्चे भगवान कृष्ण और गोपियों के रूप में सजाए जाते हैं, और उनकी कहानियों को सुनाया जाता है।
- पश्चिम बंगाल और ओडिशा: पश्चिम बंगाल और ओडिशा में, लोग आधी रात तक उपवास रखते हैं और कृष्ण की पूजा करते हैं। इस क्षेत्र में भागवत पुराण का दसवां अध्याय पढ़ा जाता है, जो भगवान कृष्ण के जीवन से संबंधित है। अगले दिन 'नंद उत्सव' मनाया जाता है, जो नंद और यशोदा के प्रति सम्मान प्रकट करता है।
- राजस्थान और गुजरात: गुजरात में जन्माष्टमी के अवसर पर माखन हांडी की रस्म होती है, जो महाराष्ट्र की दही हांडी की तरह ही है। लोग लोक नृत्य करते हैं, भजन गाते हैं, और कृष्ण मंदिरों में जाकर दर्शन करते हैं।
- महाराष्ट्र: महाराष्ट्र में जन्माष्टमी को गोकुलाष्टमी भी कहा जाता है, और यहाँ दही हांडी की परंपरा बहुत प्रसिद्ध है। दही से भरी हुई मटकी को मानव पिरामिड बनाकर तोड़ा जाता है, जो भगवान कृष्ण की माखन चुराने की लीलाओं की याद दिलाता है। इस परंपरा में भाग लेने वाले लोग गिरने वाले प्रसाद को शुभ मानते हैं।
- दक्षिण भारत: दक्षिण भारत में इस त्यौहार को गोकुलाष्टमी के नाम से मनाया जाता है। तमिलनाडु में लोग कोलम (रंगोली) बनाते हैं और भक्ति गीत गाते हैं। कृष्ण के घर आने की प्रतीकात्मकता के लिए घर के अंदर कृष्ण के पदचिह्न बनाते हैं, और उन्हें मक्खन, पान और फल अर्पित किए जाते हैं।
FQA:-
- कृष्ण जन्माष्टमी की कथा क्या है?
भगवान कृष्ण का जन्म देवकी और वासुदेव से हुआ था - हालाँकि, उनका पालन-पोषण यशोदा और नंद ने किया था। भगवान कृष्ण के मामा, राक्षस राजा कंस एक अत्याचारी था - उसने एक बार एक भविष्यवाणी सुनी थी जिसमें कहा गया था कि देवकी का एक बच्चा उसे मार देगा। इसलिए, उसने देवकी और उसके पति को मारने की कोशिश की।
- कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं कैसे दें?
हे कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेवाय एक मात्र स्वामी तुम सखा हमारे हे नाथ नारायण वासुदेवा कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई! आपके द्वार पर ठाकुर जी आएं, आपका आंगन सदा खुशियों से महकता रहे। जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं! कृष्ण जिनका नाम, गोकुल जिनका धाम, ऐसे श्री कृष्ण भगवान को, हम सब का प्रणाम।
- जन्माष्टमी में मुख्य भोजन क्या है?
माखन और मिश्री भगवान श्री कृष्ण का सबसे प्रिय प्रसाद माना जाता है। यह फ्रेश मक्खन और मिश्री या चीनी के साथ आसानी से घर पर तैयार की जा सकती है। जिससे आप श्री कृष्ण कौन की मनपसंद का भोग लगा सकते हैं। दूध में थोड़े चावल, ड्राई फ्रूट्स, मखाने, साबूदाने आदि को मिलाकर पकाने पर बहुत ही स्वादिष्ट डेजर्ट तैयार होता है।
- जन्माष्टमी पर खीर क्यों रखा जाता है?
कान्हा को जन्माष्टमी पर खीरे का भोग जरूर लगाया चाहिए. ऐसी मान्यता है कि खीरे का भोग लगाने से भगवान श्रीकृष्ण बहुत खुश होते हैं और अपने भक्तों के सारे कष्ट हर लेते हैं.
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