रूठी लक्ष्मी को मनाकर घर कैसे लाएं
पाठकों। आपके बनाए भवन, मकान, दफ्तर आदि में लक्ष्मी की चहल-पहल सदैव बनी रहे, यही जानकारी देना इस शीर्षक का मूल उद्देश्य है। इसके लिए आपको लक्ष्मी उपासना और अन्य वास्तु नियम सिद्धान्तों के अतिरिक्त कुछ उन्य उपाय भी करने होंगे। इन्हीं की जानकारी इंस प्रकरण में हम आपको देने जा रहे हैं। सर्व प्रथम दिशाओं और कोणों को पहचानिए और वास्तु नियमानुसार उनका संवर्द्धन करें- पूर्वी भाग-यह भाग मालिक और पुरुष सन्तान पर अपना प्रभाव डालता है।
- प्लाट, मकान, बिजनेस सेन्टर, फैक्ट्री, कोलाबोरेशन, दुकान का पूर्वी भाग ज्यादा खुला व नीचा हो तो पुत्र सन्तान होकर वंश वृद्धि होती है। उन्हें धन दौलत व सुखी जीवन मिलता है। ऐसे स्थान पर लक्ष्मी सदैव निवास करती है।
- पूर्व की ओर चार दीवारी नीची रखें तथा भवन की कोई भी
- दीवार या छत उसे न छुए। इससे यश मान, सम्मान, प्रतिष्ठा व लोकप्रियता मिलती है।
- उस खुले भाग का फर्श नीचा रखें तथा भवन की कोई भी दीवार या छत उसे न हुए। इससे फर्श पर गरमाई लाकर भारी दौलत लाती है।
- पूर्व की ओर से नाली से पानी निकले तो इससे जो फर्श की गश्माई पैदा होती है, उससे भारी नाम, या व लोकप्रियता मिलती है।
- पूर्व दिशा की दीवार पश्चिम दीवार से नीची व पतली हो तो वंश बढ़ता है। दीवार के ऊपर से उठने वाली गरमाई संतान के लिए स्थायी जीवन देती है।
- पूर्व दिशा की ओर बरामदा झुका हुआ व दलानदार बने तो लोकप्रियता मिलती है। यश, मान, सम्मान के चर्चे दूर-दूर तक होते हैं। लोग दांत तले उंगली दबाए अचम्मा करते रह जाते हैं कि यह क्या हो गया? दिन-रात प्रशंसा के पुल बांघते चले जाते हैं।
- पूर्व दिशा की उत्तरी भाग में कुआं, नल या अन्डर-ग्राउन्ड टैंक हो तो यह गरमाई भारी दौलत देती है। इसके दक्षिण भाग में आग हो तो खूब दौलत बरसेगी। आप पुकार उठेंगें- "खुदा जब देता है तो छप्पड़ फाड़ कर देता है। "लौट कर लक्ष्मी घर को आई गई, सभी के मुख से ऐसा सुनने को मिलेगा।
- यदि आपको अपने मकान, प्लाट फैक्ट्री के पूर्व में प्लाट या मकान अथवा फैक्ट्री मोल मिलती है, जो तुरन्त ते लीजिए। इससे आंपके प्लाट या फैक्ट्री की गरमाई दस गुणा से भी ज्यादा बढ़ जायेगी और आपके पास सम्मान्, धन, यश और लोकप्रियता का अंबार लग जायेगा। आप यही कहेंगे कि "रूठी लक्ष्मी पुनः प्रसन्न होकर घर आ गयी।"
- फर्श की गरमाई का ज्यादा बढ़ जाना-ज्यादा सुखी व धनी जीवन की "गारन्टी है।
दक्षिण भाग-
- अपने प्लाट, मकान, बिजनेश सेन्टर, फैक्ट्री, कोलाबोरेशन का दक्षिणी भाग पूरा दक्षिण-पश्चिम से पूर्व तक ऊँचा करवा दें।
- हो सके तो फर्स का लेबल सबसे ऊँचा करवा दें।
- यदि दक्षिणी भाग में अन्डरग्राउन्ड टैंक, पिट, कुआं नल आदि हैं तो उन्हें बन्द करवा दें।
- दक्षिणी दीवार आग की दीवार है। यहां से पानी की सारी व्यवस्था हटा दें।
- वहां उत्तरी भाग में से कम खुली जगह रखें।
- कोने हमेशा त्खाली रखें।
- घर के अधिकांश भारी सामान दक्षिणी भाग में रखें।
- हो सके, तो दक्षिणी भाग में एक मंजिल ऊँचा बना दें।
- दक्षिण-पश्चिम की दीवारें मोटी (मोटे पलास्तर) रखें।
- रसोई, जैनरेटर आदि की व्यवस्था दक्षिण-पूर्व में रखें।
- पूर्व का कोना 90° से ज्यादा बनाएँ। नोट-ऐसा करते ही सारी आफतें, गरीबी, अपमान, बीमारियां और बेरोज गारी विदा हो जायेगी। कारोबार चल पड़ेगा। खूब आय होने लगेगी। आयु व घन स्थिर होने लगेगा। सभी कह उठेंगे-लो!" रूठी लक्ष्मी फिर से घर को आ गई।"
दक्षिण दिशा की गरमाई घर, मकान, दुकान, फैक्ट्री, बिजनेस सेन्टर, कोलाबोरेशन आदि में जाए, तो जितनी ज्यादा हो फर्स की गरमाई सांस लेगी, उतनी ही ज्यादा धन, दौलत, अन्न व अपार खुशियां आकर स्थिर हो जायेगी। दक्षिण-पूर्व की आग से और दक्षिण-पश्चिम की चबूतरे की सबसे ज्यादा ऊँचाई लम्बा स्थायी जीवन, दीर्घ आयु व उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करता है। दक्षिण-पूर्व की आग से स्वास्थ्यदावी गरमाई जीवन दान देती है। यह "महामृत्युजंय योग" के 28 भागों का एक बढ़िया जीवनदायी तरीका है। दक्षिण-पश्चिम की सबसे ज्यादा ऊँचाई से लम्बी आयु की गरमाई उस घर में रहने वाले हर व्यक्ति को मिलती है। यहां से सांसों के बढ़ने का हुक्म जारी होता है। इसके ठीक रहते दिल की क्या मजाल जो वक्त से पहले धड़कना बन्द कर दे। इससे ठीक रहते व्यक्ति व्यवहार कुशल, मृदुभाषी, छल-कपट रहित, चरित्रवान, स्वस्थ, निरोग, धनी व लम्बी आयु बाले पाए जाते हैं।
पश्चिमी भाग-
- अपने प्लाट, मकान बिजनेस सेन्टर, फैक्ट्री, दुकान, कोलाबोरेशन का पश्चिमी भाग दक्षिण-पश्चिम में सबसे ऊँचा और पूर्व उत्तर तक ज्यादा दलानदार बनाएं। इससे धरती की गरमायी जाग उठेगी। मकान खुलकर सांस ले सकेगा, जिसके कारण घर में खुशहाली लौट आयेगी।
- हमेशा पश्चिम दिशा वाली सड़क या गली में दो दरवाजे लगाने चाहिए। ये दोनों दरवाजे पश्चिम के आधे से ज्यादा उत्तर की ओर होने चाहिए। इससे आय को खींच लायेगी।
- कभी भूलकर भी दरवाजे या खिड़की पश्चिम के दक्षिण भाग या आधे से ज्यादा दक्षिण-पश्चिम भाग में न लगाएं। इससे बड़ा भारी नुकसान हो जाता है। धरती की गरमायी फर्श के नीचे चली जाती है और दक्षिण-पश्चिम से आने वाली हवा और प्रकाश के रास्ते मारक व घातक खतरनाक ऊर्जा घर में आ घुसती है, जिससे घर का विनाश-सत्यानाश होते देर नहीं लगती।
- यदि आप अपने मकान के उत्तर का प्लॉट खरीद लें तो तुरन्त पश्चिम में लगा दरवाजा, खिड़की एकदम बन्द कर दें। वरना बहुत भारी नुकसान हो जाएगा। गरमायी धरती के नीचे चली जाएगी। मारक, घातक हवाएं घर में घूमने लगेंगी। यह बहुत तबाही लाती हैं।
- इन हवाओं को बेअसर करने के लिए प्रिज्म रखकर प्रकाश की किरण को सात रंगों के बांट दिया जाता है, जिससे कुछ हद तक मारक, घातक हवाओं का असर खत्म हो जाता है।
- वैसे भी सात रंग पश्चिम दिशा से घर में अवश्य ही आने चाहिए,
- ताकि घर के फर्श की गरमायी सात रंग के सपनों में खो जाए, ये सात रग घर के फर्श की गरमाई को फर्श के ऊपर ही रहने देते हैं, नीचे उतरने ही नहीं देते। उस कारण घर में गरीबी, बीमारी बफत या मुसीबत नहीं आ सकती। हमेशा सुख-शान्ती, धन-दौलत घर में बरसती ही रहती है।
- भी-कभी अवतल दर्पण या एक्रेलिक दर्पण से इस मारक, घातक हवा को खत्म करना पड़ता है। जब यह हवा आती है, तो इस दर्पण में कभी ऊपर तो कभी नीचे होकर न्यूट्रल हो जाती है। इस प्रकार घर, फैक्ट्री, मकान, दुकान बच जाता है। घर की गरमाई कायम रहती है। रुपये व धन का चक्र बना रहता है। तब पता ही नहीं चलता कि कोई खतरनाक हवा नुकसान करने आई थी और कुछ किए बिना ही खाली हाथ लौट गई।
- एक सीथ में दो दरवाजे लगाने से भारी आंच के साधन बनते हैं।
- दो से ज्यादा दरवाजे या खिड़की एक सीध में लगवाने पर भारी नुकसान हो जाता है। गरमाई नीचे उतर जाती है, अतः लाभ का तो प्रश्न ही नहीं रह जाता।
- मकान-प्लाट के पश्चिम में खाली प्लाट मकान न लें, यह मुसीबत का घर होता है। इसे बलग हीं रखें तो अच्छा। या फिर पहले पश्चिमी प्लाट को अपने मकान से ज्यादा ऊँचाई का बनाएं, फिर अपने मकान को उस मकान में मिला सकते हैं। इस प्रकार बने घर की गरमाई ही वास्तविक गरमाई बनकर भाग्य को चमका देगी।
पश्चिम दिशा में किसी भी कीमत पर गोल या चौकोर खम्भे नहीं बनने चहिए। चौकोर खग्मे दिवालिया कर देते हैं। इससे फर्श की गरमाई बहुत नीचे उतरकर घरातल में चली जाती है। सभी धनदायी भवन दक्षिणी भागों में पश्चिम से पूर्व को बने होते हैं। ऐसी जगहों में फर्श की गरमायी पूरे जोर के साथ बनी रहती है। सब कुछ कमल के खिले फूलों की तरह खिल उठता है। धन-दौलत खूब आती है। लेन-देन का व्यापार खूब होता है। आप अन्दाजा भी नहीं लगा सकते हैं-इतना भारी लाभ बहुत होता है। फर्श की 28 प्रकार की गरमाइयों में से धन बरसाने वाली फर्श की गरमाई को तैयार करना होता है। फर्श पर गरमाई लाने को कोशिश "लक्ष्मी अनुष्ठान" करके भी की जा सकती है। कमल के फूल फर्श पर गिराना, नींबू पानी या संतरे के छिलकों का अर्क मिला पानी या चावल के एक दो दाने बिखेरना या सिट्रिक एसिड फर्श साफ करने वाले पानी में मिलाना ये सभी बातें भी फर्श पर गरमाई लाकर भारी दौलत लाती है।
उत्तरी भाग- अपने प्लाट, मकान, बिजनेस सेन्टर, फैक्ट्री, कोलाबोरेशन का उत्तरी भाग पूरा उत्तर-पश्चिम से उत्तर-पूर्व तक खुला व नीचा करवा दें।
- फर्श की लेवल नीचा करके उत्तर पूर्व की ओर दलान देकर सबसे नीचा कर दें।
- इस भाग के आधे उत्तर-पूर्व की ओर ढलान देते हुए अन्डर गाउन्ड टैंक, पिट, बेसमेन्ट, कुंआं, फव्वारा, नल आदि लगवाएं।
- यह दिवार सबसे नाजुक दीवार है। यह जरा-सा भी वजन सहन
- नहीं कर सकती। तुरन्त विरोध करके मुसीबत पैदा कर देती है।
- यह पानी की दीवार है. सिर्फ जल स्त्रोत की व्यवस्था करें।
- इसे सबसे नीचा रखें। चारदिवारी भी नीची रखें।
- उत्तर की दीवार पतली व छोटी रखें।
- उत्तर-पश्चिम का कोना 90° ज्यादा बनाएं।
- उत्तर पूर्व का कोना 90° से कम रखें।
- उत्तर-पूर्व में किसी भी किस्मत पर जगह मिलती हो, तो लेकर मिला लें।
ऐसा करते ही सारी आफतें, कर्ज, गरीबी, बीमारी, धमकियां, बेरोजगारी विदा हो जायेगी। चैन की सांस आने लगेगी। सब कुछ शान्त हो जायेगा। धन अखबार की रद्दी की तरह घर में आ जायेगा। आयु व वन स्थिर होने "लगेगा। गंगा स्नान के सारे पुण्य उत्तर-पूर्व को खुला व नीचा करते ही मिल जायेंगे। हर कोई आपको विश्वास पात्र व सत्य बोलने वाला समझेगा। आपकी हर बात पर भरोसा किया जायेगा। उत्तर दिशा से उठने वाली गरमाई तीनों लोकों में देवी-देवताओं में, प्रकृति के पांच तत्वों में तथा संसारी समाज में आपको मदद करने का हुक्म देती रहेगी। उत्तर दिशा की गरमाई इतनी नाजुक व तुरन्त फलदायी होती है, कि संसार में कुछ भी ऐसा नहीं है, जो इस गरमाई का विरोध कर सके। रातों रात यह गरीबी को अमीरी में बदल देती है।
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