माता लक्ष्मी कलश स्थापना विधि और कलश पूजन,Mata Lakshmi Kalash Sthaapana Vidhi Aur Kalash Poojan

माता लक्ष्मी कलश स्थापना विधि और कलश पूजन 

सर्वप्रथम संतरंगे गुलाल से अष्टदल कमल पूजा स्थल पर माता काली सिंहासन के आगे बनावें। पश्चात्‌ शुद्ध मिट्टी या जौ का थड़ा बनावें  उस थड़ा के मध्य सिन्दूर से पांच तिलक किया हुआ जल से .भरा घड़ा  पश्चात्‌ कलश के के पास हाथ रखकर यह मंत्र पढ़े

कलश भूमि स्पर्श मंत्र 

'ऊ भूरसि मुमिरस्य दितिरसि विष्वछाया विश्वस्य घत्रीं पृथ्वी दुखहिं पृथ्वी मां हिसी।

इसके पश्चात् कलश के मुख को दाहिनी हथेली से बन्द करके निम्नलिखित मंत्र पढ़ें-

ॐ वरूणस्योत्तम्भ वरुणस्य स्कम्म सर्जनी स्थां वरुणस्य ऋतसदन्यसि वरुणस्य ऋतसदनमीस वरुणस्य ऋतसदनमासीद् ।
नोट-अब कलश में सर्वांसधि डालें।

कलश सर्वोसधि समर्पण मंत्र

ॐ या औषधि पूर्वाजाता देवेभ्य स्वियुगम्पुरा । 
मनैनुवश्चणामहग्वं शतन्धामणि सप्त च।।

नोट-कलश में दुर्वा डालें।

कलश दुर्वादल समर्पण मंत्र

ॐ काण्डात काण्डात प्ररोहन्ति पुरुषः परुषपरि। 
एवानो दुर्वैप्रतनु सहस्त्रेण शतेन च।।

नोट-कलश में पुंगीफल (सुपारी) डालें-

कलश पुंगीफल समर्पण मन्त्र

ॐ या फलिनीयां अफलां अपुष्पा यास्य पुविषणीः । 
बृहस्पतिः प्रसूतास्तानो मुंचनत्वग्वं हसः ।।

नोट-अब कलश में पंचरत्न डालें-

कलशपंचरत्न समर्पण मंत्र

ॐ परिवाज पतिः कविरग्नि र्हव्यान्य क्रमी दघद्रत्नानि दाशुषे ।

अब कलश में सुवर्ण या द्रव्य डालें-

कलश द्रव्य समर्पण मंत्र

ॐ हिण्यगर्भः समवर्त्ततार्गे भूतस्य जातः पतिरेक आसीत्।
स दाधार पृथ्वीद्या मुतोमाङ्‌ग करमै देवाय हविषा विधेम ।।
अब कलश में आम का पल्लव डालें-

आम्र पल्लव समर्पण मंत्र

ॐ अम्बे अम्बिके अम्बालिके नमानयंति कस्यद् । किंजिद वासिनं कलशं दद्यात ।।
नोट-अब कलश में पानी वाला नारियल रखें-
  • कलश श्री फल समप्रण मंत्र
ॐ श्रीश्यते लक्ष्मीश्य पत्नया बहोरात्रों पार्श्वे नक्षत्राणि रूप मश्विनो व्याप्तम। इष्पान्नि षाणां मुम्म इषाण सर्व लोकम्भ ईषाण ।।
नोट-कलश में लाल वस्त्र एवं मौली लपटें।
  • कलश वस्त्र समर्पण मंत्र
ऊँ वस्त्रों पवित्रमसि शतघारं वसो पवित्र मसि सहस्त्र धारम। देवचत्स्वा सविता पुनातु वसोः पवित्रेण शतधोरण सुत्वा काम धुक्षः ।।
नोट-अब वालश के साथ गाय का गोबर स्पर्श करावें।
  • कलश में गाय का गोबर स्पर्श मंत्र
ॐ मानस्तोषे तनयेमान आयुष्मान व्यर्दिवृविषः सदामित्वा हवामहे इति गोमयेन कलश स्पर्शयेत।
नोट-अब हाथ जोड़कर बरुण देव का आवाहन करें-
  • श्री वरूण देव आवाहन मंत्र
ॐ तत्वा यामि ब्रह्मणा बन्दमानस्त यजमानो हविर्भिः। अहेऊ मानो वरूणेह बोध्युषाग्वं आयुः प्रमोषि ।। ॐ भूर्भुवः स्वः भो वरूण इहतिष्ठ। स्थापयामि पुजयामि। नोट-इसके पश्चात् सम्पूर्ण तीर्थ एवं नदियों का कलश पर आवाहन करें 
  • सम्पूर्ण तीर्थों एवं नदियों का आवाहन
ॐ सर्वे समुद्रा सरितसंतिर्थानी जलदाः नदाः आयान्तु देविः पूजार्थ दुरितक्ष्कारकाः। कलशस्य मुखे विष्णुः कण्ठे रुद्रः समाश्रितः ।।
  • कलश प्राण प्रतिष्ठा मंत्र
नोट-निम्न मंत्र पढ़ते हुए कलश पर अक्षत छिड़के-
ऊँ मनोजूतिर्जुषताभाज्यस्य बृहस्पति र्यज्ञामिवं तनोत्व रिष्टं यज्ञ सीममं दधातु। विश्व देवास इह महाकाली महाकाल सर्व देव सवेदेवि मदयन्तामे इह प्रतिष्ठ।
नोट-अब कलश पर वरुण देव, नवग्रह, ईष्टदेव लक्ष्मी, सरस्वती, नवदुर्गा, राम लक्ष्मण, सीता, हनुमान, राधा-कृष्ण, ग्राम देवता, कुदेवता, भगवान शिव, गौरी, आदि समस्त देवि देवताओं की पूजा इस प्रकार करें जैसे पीछे भगवान विष्णु का पूजन किए हैं। तत्पश्चात् माता लक्ष्मी का आवाहन करें।
  • माता लक्ष्मी आवाहन मंत्र
आगच्छ वरदे देवि दैत्यदर्प निषूदिनि। पूजां गृहाण सुमुखि नमस्त शंकर प्रिये ।।
नोट-सिंहासन पर बिछे वस्त्र का स्पर्श करते हुए यह मंत्रोच्चारण
  • महालक्ष्मी आसन समर्पण मंत्र
ऊँ विचित्र रत्न खचितं दिव्यास्तरण संयुक्तम् ।
स्वर्ण सिंहासन चारू गृहीष्व महाकाली पूजितः ।। हिन्दी अनुवाद हे मातेश्वरी लक्ष्मी माता! यह सुन्दर स्वर्णमय सिंहासन ग्रहण कीजिए, इसमें विचित्र रत्न जड़े गये हैं, तथा इस पर दिव्य बिस्तर बिछा हुआ है।
नोट-अब हाथ की अंजुली में जल लेकर निम्न मंत्र पढ़ें, मंत्र समाप्त होते ही जल सिंहासन पर छोड़ दें।
  • पाद्य जल सर्मप्रण मंत्र
ॐ सर्वतीर्थ समूद भूत पाद्यं गन्धदिभिर्युतम। अनिष्ट हर्त्ता गृहाणेदं भगवती भक्त वत्सला ।।
ॐ श्री दक्षिणा काली नमः। पाद्यं समर्पयामि ।।
हिन्दी का अनुवाद हे भक्त वत्सला माता लक्ष्मी! यह सारे तीर्थों के जल से तैयार किया गया तथा गंध (चन्दन) आदि से मिश्रित पाद्य जल, पैर पखारने हेतु ग्रहण करें।
नोट-पुनः अरधि से चन्चन मुक्त जल सिंहासन पर निम्न मंत्र उच्चारण कर समर्पित करें।
  • माता लक्ष्मी को अर्घ्य समर्पण मन्त्र
ॐ श्री मातेश्वरी महालक्ष्मी नमस्तेस्तु ग्रहाण करुणाकारी।
अर्घ्य च फलं संयुक्तं गंधमाल्याक्षतै-युतम् ।।
हिन्दी अनुवाद हे माता लक्ष्मी! आपको नमस्कार है। आप गन्ध, पुष्प अक्षत और फल आदि रसों से युक्त यह अर्घ्यं जल स्वीकार करें। नोट-अब निम्न मंत्र उच्चारण करते हुए अरमी से तीन बार जल सिंहासन न छोड़े।
  • माता लक्ष्मी को आचमन कराने का मंत्र
मातेश्वरी लक्ष्मी नमस्तुभ्यं त्रिदेशेरेभिविन्ति ।
गंगोदकेन देवेशि कुरुष्वा चमनं भगवतिः ।।
श्री माता लक्ष्मी नमः। आचमनीयं जलं समर्पयामि ।। हिन्दी अनुवाद-हे भगवती लक्ष्मी मां! आपको नमस्कार है। आप गंगाजल से आचमन करें।
नोट-इसके पश्चात् अरची में दूध भरकर माता लक्ष्मी की प्रतिमा को स्नान करावें।
  • माता लक्ष्मी को दूध से स्नान कराने का मंत्र
भगवती कामधेनु समुदभूतं सर्वेषां जीवन परम्। पावनं यज्ञाहेदेश्य पयः स्नानार्थ समर्पितम् ।।
हिन्दी अनुवाद-हे भगवती। काम धेनु के धन से निकला, सबके लिए पवित्र, जीवन दायी तथा यज्ञ के हेतु यह दुग्ध आपके स्नान हेतु समर्पित है।
नोट-अब अरबी में दही लेकर माता काली को स्नान कराइये।
  • दघि स्नान मन्त्र
शिवा भवानी पयस्तु समुदभुतं मधुराम्लं शशिप्रभम् । दध्यानीतं मया देवि स्नानार्थ प्रतिगृहयन्ताम् ।।
हिन्दी अनुवाद है लक्ष्मी जी! यह दूध से निर्मित खट्टा-मीठा चन्द्र
के समान उजला दही ले आया हूं। आप इससे स्नान कीजिये। नोट-इसके पश्चात् अरधी में गाय का घी लेकर माता काली को स्नान कराइये।
  • माता लक्ष्मी को घृत से स्नान कराने का मंत्र
जो भगवती नवनीत समुत्पननं सर्वसंतोष कारकम् । घृतं तुम्यं प्रदास्यामि स्ननानार्थ प्रतिगृहयन्ताम्।।
हिन्दी अनुवाद-हे विष्णु प्रिया । मक्खन से उत्पन्न तथा सबको संतुष्ट करने वाला यह गाय का घृत आपको अर्पित करता हूँ। आप इससे स्नान-कीजिए।
नोट-अब अरथी में शहद भरकर माता लक्ष्मी को स्नान करावें।
  • माता लक्ष्मी को शहद से स्नान कराने का मंत्र
भो खप्पड़वाली मातुः पुष्प रेणु समुंद भूत सुस्वादु मधुरं मधु । तेज पुष्टि करं दिव्यं स्नानार्थ प्रतिगृहयन्ताम।।
हिन्दी अनुवाद हे लक्ष्मी माता जी! पुष्प के पराग से उत्पन्न, तेज की पुष्टि करने वाला दिव्य स्वादिष्ट मघु आपके समक्ष प्रस्तुत है, इसे स्नान के लिए ग्रहण करें।
करावें। नोट-इसके पश्चात् शक्कर घोले रस से माता लक्ष्मी को स्नान
  • शर्करा रस से स्नान कराने का मंत्र
कमल वासिनी मातेश्वरी इयुसार समुद भुतं शर्करा पुष्टिवा शुभा। मलाप हारिका दिव्यं स्नानार्थं प्रतिगृहयन्ताम् ।।
हिन्दी अनुवाद है महालक्ष्मी माँ। ईख के सार तत्व से यह शर्करा रस निर्मित है, जो पुष्टि कारक, शुभ तथा मैल को दूर करने वाली है, यह दिव्य शर्करा रस आपकी सेवा में प्रस्तुत है।
नोट-अब माता लक्ष्मी की प्रतिमा को पुनः गंगा जल से स्नान करावें।
  • शब्द्धोदक स्नान मंत्र
गंगा च यमुनाचैव गोदावरी सरस्वती।
नर्वदा सिन्धु कावेरी स्नानार्थ प्रतिकृहयन्ताम् ।। हिन्दी में अनुवाद-हें दयामयी अम्बे ! यह शुद्ध जल के रूप में गंगा, यमुना, गोदावरी, नर्वदा, सिन्धु और कावेरी यहां विद्यमान हैं। शुद्धोदक स्नान के लिए यह जल ग्रहण करें। नोट-अब माता जी के ऊपर सुगन्धित इत्र छिड़कें।
  • सुवासित स्नान मंत्र
चम्पा काशोक सकुल मालती मोगरादिर्भिः। वासित स्निग्धता हेतु तैल चारू प्रतिगृहयन्ताम् ।। हिन्दी अनुवाद हे भक्त रक्षिका लक्ष्मी माता जी! चम्पा, अशोक, मौलसरी, मालती और मोगरा आदि से वासित तथा चिकनाहट के हेतु यह तेल और इत्र आप ग्रहण करें।
माता लक्ष्मी को वस्त्र समर्पण मंत्र
भो भक्तप्रिया मातुः शीतवातोष्ण संत्राणं लज्जाया रक्षणं परम देव लंकारणं वस्त्रभतः शान्ति प्रयच्छ मे।। हिन्दी अनुवाद हे भक्तप्रिया मातेश्वरी यह वस्त्र आपकी सेवा में समर्पित है। यह सर्दी गर्मी, हवा से बचाने वाला, लज्जा का उत्तक रक्षक तथा शरीर का अलंकार है, इसे ग्रहण कर हमें शान्ति प्रदानं करें। नोट-अब प्रतिमा के मस्तक में चन्दन लगायें।
  • चन्दन समर्पण मंत्र
श्री खण्ड चन्दनं दिव्यं गंधाढ्यं सुमनोहरम्। विलेपन चन्दनं प्रतिगृहयन्ताम ।। हिन्दी अनुवाद हे करूणामयी माता! यह दिव्य श्री खण्ड रक्त चन्दन सुगंध से पूर्ण तथा मनोहर है। विलेपन के लिए यह चन्दन स्वीकार करें। नोट-अब माता लक्ष्मी जी के ऊपर अक्षत छिड़कें।
  • माता लक्ष्मी जी को अक्षत समप्रण मंत्र
अक्षतास्य भगवतिः कंकु माक्त सुशोभिताः। मया निवेदिता भक्त्या गृहाण परमेश्वरि ।।
हिन्दी अनुवाद हे परमेश्वरी! ये कुंकुम (लाल गुलाल) में रंगे हुए सुन्दर अक्षत हैं, आपकी सेवा में समर्पित करता हूँ, इन्हें ग्रहण कीजिए।
नोट-अब माता लक्ष्मी को बिल्वपत्र एवं पुष्प चढ़ाइये।
  • बिल्वपत्र एवं पुष्प समर्पण मंत्र
बन्दारूज नाम्बदार मन्दार प्रिये धीमहि। मन्दार जानि रक्त पुष्पाणि स्वेताकार्दीन्मुपेहि भो।।
हिन्दी अनुवाद-वन्दना करने वाले भक्तों के लिए मन्दार कल्प वृक्ष समान कामना पूरक है। हे मन्दार प्रिय लक्ष्मी माता, मन्दार तथा लाल पुष्प आप कृपया ग्रहण करें।
  • माता लक्ष्मी जी को पुष्प माला अर्पण मंत्र
भगवतिः माल्यादीनि सुगन्धिनि माल्यादीन वै देविः। मायाह्नतानि पुष्पाणि गृहायन्ता पूजनाय भो।।
हिन्दी अनुवाद-हे भगवती! लाल पुष्प मालती इत्यादि पुष्पों की मालाएं और पुष्प आपके लिए लाया हूँ, आप इन्हें पूजा के लिए ग्रहण करें।
  • माता लक्ष्मी जी को सिन्दूर समर्पण मंत्र
सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुख वर्द्धनम्। शुभदं कामदं चैव सिदूरं प्रति गृह यन्ताम् ।।
हिन्दी अनुवाद हे मातेश्वरी! सुन्दर लाल, सौभाग्य सूचक, सुखवर्द्धन, शुमद, तथा काम पूरक सिन्दूर आपकी सेवा में अर्पित है। इसे स्वीकार करें।
नोट-इसके पश्चात् माता जी के चरणों में लाल गुलाल समर्पित करें।
  • लाल गुलाल अर्पण मंत्र
नाना परिमले द्रव्यौ निर्मितं चूर्णमुत्तम्। गुलाल नामकं चूर्ण गन्धाढ्यं चारू प्रति गृह यन्ताम।। हिन्दी अनुवाद हे माता लक्ष्मी जी! तरह-तरह के सुगन्धित द्रव्यों से निर्मित यह गन्ध युक्त गुलाल नामक उत्तम चूर्ण ग्रहण कीजिए। नोट- अब माता लक्ष्मी को सुगन्धित धूप या अगरबत्ती दिखावें।
  • सुगन्धित धूप अर्पण मंत्र
वनस्पति, रसोद, भूतो गन्धोढ्यो गन्ध उत्तमः। आत्रेयः सर्वदेवानां घूपोढ्यं प्रतिगृह यन्ताम् ।। हिन्दी अनुवाद-अब माता जी को प्रज्जवलित दीप दिखायें।
  • माता लक्ष्मी जी को दीप दर्शन मंत्र
साज्यं य वर्तिसंयुक्त वहिनां योजितं मया । दीप गृहाण त्रैलोक्य तिमिरापहम् ।। भक्त्या दीपं प्रयच्छामि देवि महेश्वरी। त्राहि मां निरयाद् घोरा हो पंचोतिर्न मोस्तुतते ।। हिन्दी अनुवाद हे मातेश्वरी! भी में दुबोई रूई की बत्ती को अग्नि से प्रज्जवलित करके दीपक आपकी सेवा में अर्पित कर रहा हूँ। इसे चहण कीजिए। यह दीप त्रिभुबन के अन्धकार को मिटाने वाला है। मैं अपनी माता श्री लक्ष्मी को यह दीप अर्पित करता हूँ। हे देवि ! बाप हमें चोर नरक से बचाइये।
नोट-इसके पश्चात् विभिन्न प्रकार की मिठाइयां व नाना प्रकार के फल नैवेद्य समर्पित करें।
  • नैवेध समर्पण करने का मंत्र
नैवेद्य गृह यन्ताम देविः भक्ति में वाचलं कुरू। ईप्सित में वरं देहि परत्र च परां गतिम् ।। शर्करा खण्ड खाद्यानि दीव्यक्षीर घृताणि च। आहारं भक्ष्य भोज्यं च नैबेद्यं प्रति गृहयन्ताम् ।।
हिन्दी अनुवाद है भक्तवत्सला! आप यह नैवेद्य ग्रहण करें तथा मेरी मक्ति को अविचल करें। मुझे वांछित बर दीजिए और परलोक में परम गति प्रदान कीजिए। शक्कर व चीनी से तैयार किए गये खाद्य पदार्थ वही, दूध, घी, एवं भक्ष्य भोज्य विभिन्न फल आहार नैवेद्य के रूप में अर्पित हैं, इसे स्वीकार कीजिए।
नोट-अब सिंहासन पर पान बीड़ा चढ़ायें।
  • पान बीड़ा समर्पण मंत्र
ॐ पूंगीफल मर्हादव्यं नागवल्ली दलैर्युतम् एला चूर्णादि संयुक्तं ताम्बूलं प्रतिगृहयन्ताम् ।।
हिन्दी अनुवाद हे दवा सिन्धु मातेश्वरी लक्ष्मी! महान दिव्य पूंगीफल, इलायची, और चूना आदि से युक्त पान का बीड़ा आपकी सेवा में अर्पित है, इसे ग्रहण करें।
नोट-इसके पश्चात् माता जी को नारियल फल सिंहासन पर भेंट करें।
  • नारियल फल अर्पण मंत्र
इदं फलं मया भगवति स्थापित पुस्तस्तव। तेन मे सफलावाति र्भवेज्जन्मनि जन्मनि ।।
हिन्दी अनुवाद हे सर्व सुख दात्री माता लक्ष्मी जी! यह नारियल फल मैंने आपके समक्ष समर्पित किया है, जिससे हमें जन्म-जन्मांतर तक आप हमें सफलता प्रदान करें।
  • मुख्य द्वार विनायक पूजन
नोट-उपासकों! अब मुख्य द्वार पर रोली चन्दन से "स्वस्तिक" का चिन्ह बनाकर नीचे लिखित मंत्र से गंगाजल, चन्दन, धूप, दीप, पुष्प, विल्वपत्र आदि से पूजन करें।
ॐ मुख्य द्वार विनायकाय नमः ।।
  • कलम दवात का पूजन
नोट-अब नीचे लिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए कलम व दवात में मौली बांधें-
लेखनी निर्मिता पूर्व ब्राह्मण परमेष्ठिना। लोकानां च हितार्थाय तस्मातां पूजायाम्यहम् ।।
नोट-इसके पश्चात् कलम-दवात पर गंगाजल, अक्षत, चन्दन, पुष्प,
बिल्वपत्र चढ़ावें और दोनों हाथ जोड़कर निम्न मंत्र पढ़ते हुए उनकी वन्दना करें-
  • कलम-दवात की प्रार्थना
शास्त्राणां व्यवहाराणां विद्यानामाप्नु याघतः । अतस्त्वां पूजयिष्यामी मम हस्ते स्थिरो भवः ।। नोट-अब नवीन व पुराने बही-खाते पर माता सरस्वती का पूजन (पंचोपचार) निम्न मंत्र द्वारा करें।
  • बही-खाता पूजन मंत्र
ऊँ वीणा पुस्तक धारिण्यै श्री सरस्वत्यै नमः ।।
नोट-अब माता सरस्वती का दोनों हाथ जोड़कर निम्न मन्त्रा पढ़ते हुए ध्यान करें-
  • श्री सरस्वती ध्यान मन्त्र
या कुन्देन्दु तुषार घवला या शुभ्र वस्त्रा वृता। या वीणा वरदण्ड मण्डित करा या श्वेत मद्यासना ।। या ब्रह्मा च्युत शंकरा प्रभृति भिर्देवैः सदा वन्दिता। सा मां पातु सरस्वती भगवती निः शेष जाड्‌यापहा ।। नोट-अब गल्ले और तिजोरी को खोलकर (उसमें चांदी के ग्यारह सिक्के अवश्य हों) "कुबेर" का "पंचोपचार पूजन करें। फिर हाथ जोड़कर कुबेर देवता की प्रार्थना करें।
  • गल्ले और तिजोरी के अन्दर श्री कुबेर का ध्यान मन्त्र
आवाह यामि देव त्वामिहा याहि कृपा कुरू। कोशं वर्द्धय नित्यं त्वं परिरक्ष सुरेश्वर ।। धनदाय नमस्तुभ्यं निधि पद्माधिपाय च। भगवान त्वत्प्रसादेन धन धान्यादि सम्पदः ।।
नोट-अब तराजू बटखरे के ऊपर गंगा जल अक्षत, चन्दन, पुष्प, धूप, दीप, बिलप, नैवेद्य से निम्न मंत्र का उच्चारण करते हुए पूजन करें-
  • तराजू बटखरे का पूजन मंत्र
ॐ तुला खण्ड भारत्तोलक देव आवाहयामि नमः । नोट-दोनों हाथ जोड़कर तुला का ध्यान करें-
  • तुला ध्यान मंत्र
नमस्ते सर्वदेवानां शक्तित्वे सत्यमाश्रिता।
साक्षी भूता जबद्धात्री निर्मिता विस्वयेनिना ।।
नोट-अब थाली में 21 दीपक जलाकर उनकी पूजा गंगाजल, बिल्वपत्र, पुष्प, चन्दन, अक्षत, नैवेद्य आदि द्वारा निम्न मंत्र से करें।
  • प्रज्जवलित 21 दीपक का पूजन पंत्र
क्त प्रज्जवलित ज्योतिषे नमः ।। नोट-अब दोनों हाथ जोड़कर दीप का ध्यान करें-
  • प्रज्जवलित दीपक ध्यान मंत्र
त्वं ज्योतिस्त्वं रविश्चन्द्रो विद्युदग्निश्च तारकाः । सर्वेषां ज्योतिषां ज्योतिर्दीपा बल्यै नमो नमः ।।
  • माता लक्ष्मी को दक्षिणा अर्पण मंत्र
हिरण्यगर्भ गर्भस्यं हेम बीजं विभावसोः। अनंत पुण्यं फल दमतः शान्ति प्रयच्छमे ।।
हिन्दी अनुवाद हे दयालु माता। सुवर्ण हिरण्य गर्भ ब्रह्मा के गर्भ से स्थित अग्नि का बीज है। यह अनन्त पुण्य फलदायक है। परमेश्वरी! यह आपकी सेवा में अर्पित है। इसे ग्रहण कर हमें शान्ति प्रदान करें।
नोट-इसके पश्चात् दोनों हथेलियों में पुष्प भरकर, मंत्र पढ़ने के पश्वात् माता की पुष्पांजली समर्पित खड़े होकर करें।

पुष्पांजली समर्पण मंत्र

नाना सुगन्धि पुष्पाणि यथा कलोद् भवा च। 
पुष्पांजली र्मया दत्तौ गृहाण परमेश्वरिः ।।

हिन्दी अनुवाद-हे परमेश्वरी! यथा समय पर उत्पन्न होने वाले तरह-तरह के सुगन्धित पुष्प मैं पुष्पांजली के रूप में अर्पित कर रहा हूँ इन्हें स्वीकार कीजिए।
नोट-अब हाथ जोड़कर खड़े होकर माता लक्ष्मी जी के सिंहासन या प्रतिमा के चारों ओर घूम-घूम कर पांच बार "प्रदक्षिणा" करें और निम्नलिखित मंत्र से उच्चारण करते रहें।

प्रदक्षिणा मंत्र

यानि कानि च पापानि च ज्ञाताज्ञात कृताणि च। 
तानि सर्वाणि नश्यन्ति प्रदक्षिणा पदे पदे ।। 

हिन्दी अनुवाद हे कृपालु माता जी! मनुष्यों से जाने-अनजाने में जो पाप हो जाते हैं. वे पाप परिक्रमा करते समय पद पद पर नष्ट हो जाते हैं। नोट-इसके पश्चात् गढ़वी में जन भरकर बूंद-बूंद सिंहासन के पास गिरावें और निम्न मंत्र का उच्चारण करें।

माता लक्ष्मी को विशेष अर्घ्य अर्पण मंत्र

रक्ष रक्ष भक्तवत्सला रक्ष त्रिलोक्य रक्षिकाः।
भक्तानां भयं कर्त्ता त्राता भाव भवार्णवात् ।।

हिन्दी अनुवाद हे त्रिलोक की रक्षा करने वाली लक्ष्मी जी ! रक्षा कीजिए रक्षा कीजिए रक्षा किजिए। आप भक्तों को अभय देने वाली और भवसागर से उनकी रक्षा करने वाली हैं।
नोट-इसके पश्चात् माता लक्ष्मी की आरती करें और भगवती को आरती दिखाते हुए इस पुस्तक के अन्तिम पृष्ठ पर लिखी हुई "आरती बन्दना" गावें। आरती बन्दना समाप्त होने के बाद गाता लक्ष्मी को प्रणाम करें। इसके पश्चात् प्रसाद वितरण करें। माता लक्ष्मी की प्रतिमा (या तस्वीर) के समक्ष रात भर 21 दीपक प्रज्जवलित रहने चाहिए। प्रातः काल पुनः महालक्ष्मी का पंचोपचार पूजन एवं आरती करें। तत्पश्चात् प्रतिमा को उठाकर पूजन स्थल (घर की पूजा स्थल) पर स्थापित कर दें और नित्य ही प्रातः काल स्नान से पवित्र होकर प्रतिमा को धूप-दीप दिखातें और लक्ष्मी चालीसा का पाठ किया करें तो आपके गृह में लक्ष्मी का निवास होना अनिवार्य है-यह "बेदों की वाणी" है।

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