समस्त ऐश्वर्य प्राप्ति हेतु महालक्ष्मी यंत्र साधना | Mahalaxmi Yantra Sadhana to attain all the opulences

समस्त ऐश्वर्य प्राप्ति हेतु महालक्ष्मी यंत्र साधना

महालक्ष्मी यंत्र कथा- साधकों! "महालक्ष्मी यंत्र साधना" की एक मनोहर दिव्य कथा पौराणिक "लक्ष्मी सूक्त ग्रन्थ" में वर्णित है, जो इस प्रकार है-
एक बार धर्मराज युधिष्ठिर ने हाथ जोड़कर विनम्र शब्दों में भगवान् श्री कृष्ण से प्रार्थना की हे भगवन् ! आप दीन रक्षक, कृपालु, भक्त वत्सल हैं। कोई ऐसा सरल उपाय हमें बताएँ, जिससे हमारा नष्ट राज्य पुनः प्राप्त हो तथा महालक्ष्मी की हम पर अति कृपा हो।


भगवान वासुदेव बोले, हे राजन! जब दैत्य राजा बलि राज किया करते थे, उस समय उनके राज्य में सम्पूर्ण प्रजा प्रसन्न व सुखी थी और धन-धान्य की प्रचुरता थी। अभाव व कष्ट का कहीं नाम तक नहीं था। बलि मेरा भी प्रिय भक्त था। उसने एक बार सौ अश्वमेद्य यज्ञ करने की कठोर प्रतिज्ञा की। उनमें से जब 99 यज्ञ हो चुके और मात्र एक यज्ञ ही शेष था, तब इन्द्र को अपना सिंहासन छिन जाने का भय हुआ कारण कि 100 अश्वमेद्य यज्ञ करने वाला इन्द्रासन का अधिकारी होता है। इस भय के कारण वह रूद्रादि देवताओं के पास पहुँचा, परन्तु उसका वे कुछ भी. उपाय नहीं कर सके। तब समस्त देवता इन्द्र को साथ लेकर क्षीर सागर में शेष शय्या पर विराजमान श्री विष्णु भगवान के पास गए। इन्द्र ने अनेकों वेद मंत्रों से भगवान की स्तुति कर अपना दुख भगवाना विष्णु को सुनाया। विष्णु बोले कि इन्द्र, तुम घबराओं मत, तुम्हारे इस भय का मैं अन्त कर दूँगा। यह आश्वासन देकार दन्हें पुनः इन्द्र लोक भेज दिया।
भगवान स्वयं वामन का अवतार धारण कर सौवां यज्ञ कर रहे राजा बलि के यहां पहुंचे। राजा से उन्होनें मात्र तीन पग पृथ्वी दान में मांगी। दान का संकल्प हाथ में लेकर भगवान ने एक पैर से सारी पृथ्वी नाप ली। दूसरे पैर से अंतरिक्ष और तीसरा चरण राजा के सिर पर रख दिया जिससे राजा बलि सब कुछ हार गए और समस्त ऐश्वर्यों से विहीन हो गए। इतना होने पर भी विष्णु राजा बलि से वर मांगने को कहा। तब वर रूप में राजा बलि ने कहा कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी, चतुदर्शी एवं अमावस्या की रात्रि में प्राणी यदि अपने गृह में सिद्ध महालसक्ष्मी यंत्र का पूजन करे तो उस प्राणी के गृह में आपकी प्रिया लक्ष्मी दासी बनकर रह जावें, अर्थात् उनके घर में समस्त धन, वैभव, ऐश्वर्य प्राप्त हो जाये ।
इस प्रकार वर मांगने पर भगवान विष्णु ने कहा कि हे राजन् ! यह वर हमने तुम्हें दिया। इस दिन महालक्ष्मी यंत्र की स्थापना करने वाले के घर में लक्ष्मी सदैव निवास करेंगी और अंन्त में वह मेरे धाम में आश्रय पाएगा। यह कहकर भगवान् विष्णु ने राजा बलि को पाताल लोक का राज्य देकर इन्द्र का भय दूर किया। ऐसा माना जाता है कि तभी से - "सिद्ध महालक्ष्मी यंत्र" की स्थापना मानव प्राणी अपने गृह में करते आ रहे हैं। जिनके गृह में इस महायंत्र की स्थापना होती है उनके घर में कभी लक्ष्मी का अभाव नहीं होता।

महालक्ष्मी यंत्र की साधना करने के लिए, आप ये तरीके अपना सकते हैं:

  • श्रीयंत्र को लाल कपड़े पर रखें और पंचामृत अर्पित करें.
  • इसके बाद, गंगाजल से इसे साफ़ करें और तिलक और अक्षत लगाएं.
  • अब, 'ओम श्री' मंत्र का जाप करें. आप 108 मनकों की माला से एक बार या 21 बार जाप कर सकते हैं.
  • अष्टगंध से श्रीयंत्र और अष्ट लक्ष्मी के चित्र पर तिलक करें.
  • कमलगट्टे को हाथ में लेकर, ये मंत्र जपें: ऐं ह्रीं श्रीं अष्टलक्ष्मीयै ह्रीं सिद्धये मम गृहे आगच्छागच्छ नमः स्वाहा.
  • जाप करने के बाद, आठों दीपक घर की आठ दिशाओं में लगाएं और कमलगट्टे को घर की तिजोरी में रख दें.
  • वैभव लक्ष्मी का मंत्र है: ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नमः. इस मंत्र का जाप 108 बार करने से लाभ मिलता है.
  • देवी मां का मंत्र है: धनाय नमो नमः. इस मंत्र का रोज़ाना 11 बार जाप करने से धन से जुड़ी परेशानियां दूर होती हैं

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