महालक्ष्मी यंत्र'' की साधना से लाभ | Mahalakshmi Yantr Kee Saadhana Se Laabh

महालक्ष्मी यंत्र'' की साधना से लाभ | Mahalakshmi Yantr Kee Saadhana Se Laabh

महालक्ष्मी यंत्र को घर या अपने प्रतिष्ठान में लगाने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और उनकी कृपा बनी रहती है. बस इस यंत्र को सही दिशा और शुभ मुहूर्त में लगाया जाए. घर का उत्तर-पूर्व कोना पूजा के लिए आदर्श स्थान है. इसलिए, पूजा करने वाले को पूर्व या पश्चिम की ओर मुंह करके बैठना चाहिए
मान्यता है कि महालक्ष्मी यंत्र की साधना करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और उनकी कृपा बनी रहती है. ज्योतिष में धन संबंधी दिक्कतों को दूर करने के कई उपाय बताए जाते हैं जिनमें से एक उपाय है महालक्ष्मी यंत्र. कहा जाता है कि महर्षि वशिष्ठ ने महालक्ष्मी को धरती पर वापस लाने के लिए श्री महालक्ष्मी यंत्र को स्थापित किया था और उसकी साधना की थी. इस यंत्र की साधना से ही लक्ष्मी जी पृथ्वी पर प्रकट हुई थीं !

महालक्ष्मी यंत्र'' की साधना से लाभ

  • श्री सूक्त महाग्रन्थ” में वर्णन मिलता है कि जो प्राणी अपने गृह में- सिद्ध महालक्ष्मी यंत्र की स्थापना करता है, उनके गृह में धन का अभाव नहीं होता।
  • इस यंत्र की साधना करने से या सिद्ध यंत्र गुरू से प्राप्त कर धारण करने से साधक का व्यक्तित्व अत्यधिक आकर्षक एवं भव्य हो जाता है। साधक के इर्द-गिर्द एक तेज चक्र आभा मण्डल निर्मित हो जाता है,
  • जिससे उसके आस-पास के लोग स्वतः उसकी ओर आकर्षित होते हैं
  • और उसकी हर आज्ञा का ना-नुच किए बिना पालन करते हैं। 
  • यह यंत्र साधना सिद्ध होते ही या यंत्र धारण करते ही व्यक्ति की दरिद्रता, रोग, शत्रुभय, ऋण आदि की स्थिति स्वतः ही नष्ट हो जाती है।
  • नौकरी, इंटरव्यू, परीक्षा में निश्श्चत सफलता मिलती है।
  • व्यवसाय में दिन दूना रात चौगुना तरक्की होने लगती है और अगर वह व्यक्ति नौकरी पेशा करने वाला हो तो उसकी पदोन्नपति शीघ्र होती है।
  • जन्म कुंडली में निर्मित दुर्योग फलहीन हो जाते हैं, अगर दुर्घटना एवं अकाल मृत्यु का योग हो तो वह भी अल्प हो जाता है, एक प्रकार से नष्ट ही हो जाता है।
  • साधक जिस कार्य में हाथ डालता है, उसमें विजय ही प्राप्त करता है।
  • ऐसा व्यक्ति समाज में सम्मानीय एवं पूजनीय हो जाता है। उच्च कोटि के मंत्रीगण एवं अधिकरी भी उसकी बात को मस्तक पर धारण करते हैं। वह सभी को प्रिय होता है। जीवन में उसे किसी चीज को अभाव नहीं रहता।
  • उसके सामने सभी सफलताएँ चरण चूमती हैं।
  • उसके साथ-साथ उसका पारिवारिक जीवन अत्यन्त सुखी हो जाता है। यदि परिवार में कोई क्लेश व्याप्त हो, तो वह भी समस्त हो जाता है।
  • उसकी समस्त इच्छाएं और कामनाएं पूर्ण होती हैं और वह स्वयं भी आश्चर्य चकित हो जाता है।
  • ऊपर बताई गई स्थितियाँ तो मात्र सूर्य को रोशनी दिखाने के समान हैं। वास्तच में तो वह अपने आप में ही अद्वितीय तेजस्वी युग पुरुष बन जाता है, साथ ही साथ वह समस्त ज्ञान-विज्ञान में पारंगत हो। वर्तमान पीढ़ी का मार्ग दर्शन करने में सक्षम हो जाता है। उसे दुनिया दिव्य पुरुष की संज्ञा से विभूषित कर आदर भाव से देखती है।

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