महाकाली पूजन | गणपति स्मरण,Mahakali puja Ganpati Smaran

महाकाली पूजन गणपति स्मरण 

काली पूजा का महत्व सभी नकारात्मकता को खत्म करना और किसी के जीवन में सकारात्मकता लाना है। देवी काली की पूजा भक्तों को स्वास्थ्य, धन, समृद्धि, शांति, सुरक्षा और बुराइयों से लड़ने के साहस का आशीर्वाद देने के लिए की जाती है। काली चौदस की पूजा से पहले अभ्यंग स्नान यानी नरक चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पहले शरीर पर उबटन लगाकर स्नान करना जरूरी माना जाता है। स्नान के बाद शरीर पर इत्र लगाएं, एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर मां काली की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। इसके बाद विधि-विधान से मां काली की पूजा करें और मां काली के सामने दीपक जलाएं।

Mahakali puja Ganpati Smaran

महाकाली पूजन

प्रत्येक साधना काल में साधक को ब्रहा मुहूर्त में' उठना चाहिए, क्योंकि शान्त, सुरम्य एवं शीतल मन्द, सुगन्धित वायु से सुरभित वातावरण ही साधनोपयोगी होता है। शय्या में ही बैठे-बैठे अपने शिरो देश में सहस्रदल कमल कर्णिकामध्यस्थितं, द्विभुजं वराभयकरं श्वेतमाल्यानुलेपनं, स्वप्रकाशरूपं स्ववामस्थितं, सुरक्त भक्तया स्वप्रकाशरूपया भगवत्या सहितं गुरु-ध्यान करें। इसके बाद मानसिक पूजा करके प्रणामांजलि समर्पित करें -

गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः ।
गुरुः साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ।।

अखण्डमण्डलाकारं व्याप्तं येन चराचरम् । 
तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः ।।

अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया।
 चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः ।।

इसके बाद शौच-स्नानादि से निवृत्त होकर शुद्ध-धौत (सफेद) वस्त्र धारण करके, पवित्र आसन पर बैठ जायें, सामने चौकी पर कपड़ा बिछाकर भगवती काली का चित्र व यंत्र स्थापित करें। गुरु चित्र भी स्थापित करना चाहिए।

पवित्रीकरण :

बायें हाथ में जल लेकर दाहिने हाथ की अंगुलियों से अपने ऊपर जल छिड़कें, तथा निम्न मंत्र का उच्चारण करें -

ॐ अपवित्रः अपवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा।
 यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः ।

आचमन :-

फिर आचमनी से जल लेकर तीन बार जल पीयें और निम्न मंत्र का उच्चारण करें -

  • ॐ महाकाल्यै नमः क्रीं आत्मतत्त्वं शोधयामि नमः ।
  • ॐ महाकाल्यै नमः ऐं विद्यातत्त्वं शोधयामि नमः।
  • ॐ महाकाल्यै नमः हीं सर्वतत्त्वं शोधयामि नमः।

दिग् बन्धन :-

बायें हाथ में चावल लेकर दायें से ढक कर निम्न मंत्रों का उच्चारण करें -

अपसर्पन्तु ये भूता ये भूता भूमि संस्थिताः।
 ये भूता विघ्नकर्तारस्ते नश्यन्तु शिवाज्ञया ।।

 अपक्रामन्तु भूतानि पिशाचाः सर्वतो दिशम् ।
 सर्वेषामविरोधेन पूजा कर्म समारभे ।।

बायें हाथ में' रखे हुए चावलों को निम्न मंत्रोच्चार करते हुए सभी दिशाओं में उछाल दें-
  • ॐ प्राध्यै नमः पूर्व दिशा में।
  • ॐ प्रतीच्यै नमः पश्चिम दिशा में।
  • ॐ उदीच्यै नमः  उत्तर दिशा में।
  • ॐ अवाच्यै नमः  दक्षिण दिशा में।
  • ॐ ऊर्ध्वाय नमः ऊपर की ओर।
  • ॐ पातालाय नमः नीचे की ओर ।
Ganpati Smaran

गणपति स्मरण :-

दोनों हाथ जोड़ कर गणपति का स्मरण करें, जो विघ्नविघातक हैं और साधना में आने वाली समस्त बाधाओं को दूर करने वाले हैं-

गजाननं भूतगणाधि सेवितं',
 कपित्थ जम्बू फल चारु भक्षणम्।

उमासुतं शोक विनाश कारक; 
नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम् ।।

भगवान गणपति अपने सभी गणों के अधिपति हैं, सुस्वादु फलों का भक्षण करने वाले हैं तथा साधकों के शौक और संताप को दूर करने वाले हैं, उनके चरणों में मैं नमन करता हूं।

टिप्पणियाँ