माँ सरस्वती | श्रुतदेवी माँ शारदा की पूजा विधि
सरस्वती, ज्ञान और चेतना का प्रतिनिधित्व करती हैं। वे वेदों की जननी हैं और उनके मंत्रों को 'सरस्वती वंदना' भी कहते हैं। माना जाता है कि सरस्वती, शिव और देवी दुर्गा की बेटी हैं। वह मनुष्य की वाणी, बुद्धि और विद्या की शक्तियों से संपन्न होती हैं।
Maa Saraswati Shrut Devi Maa Sharda Kee Pooja Vidhi |
माँ सरस्वती पूजा विधि
- मां सरस्वती की पूजा से पहले नहा-धोकर सबसे पहले पीले वस्त्र धारण कर लें !
- पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं !
- अपने ठीक सामने पीला वस्त्र बिछाकर मां सरस्वति की मूर्ति को उस पर स्थापित करें !
- देवी की मूर्ति अथव चित्र स्थापित करने के बाद सबसे पहले कलश की पूजा करें !
- इसके उपरांत नवग्रहों की पूजा करें और फिर मां सरस्वती की उपासना करें.
- इसके बाद पूजा के दौरान उन्हें विधिवत आचमन और स्नान कराएं.फिर देवी को श्रंगार की वस्तुएं चढ़ाएं.
- जिसके बाद रोली मौली, केसर, हल्दी, चावल, पीले फूल, पीली मिठाई, मिश्री, दही, हलवा आदि का प्रसाद मां के सामने अर्पित कर ध्यान में बैठ जाएं.
- मां सरस्वती के पैरों में श्वेत चंदन लगाएं.
- पीले और सफेद फूल दाएं हाथ से उनके चरणों में अर्पित करें और ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः का जाप करें. शिक्षा की बाधा का योग है तो इस दिन विशेष पूजन करके उससे छुटकारा पाया जा सकता है.’
अष्टप्रकारी पूजा याने
- जल पूजा,
- चंदन पूजा
- पुष्प पूजा
- धूप पूजा
- दीपक पूजा
- अक्षत पूज
- नैवेद्य पूजा
- फल पूजा
श्रुतदेवी माँ शारदा की पूजा विधि
- माँ शारदा की मूर्ति (फोटो अथवा यंत्र) पूर्व या उत्तरदिशा में स्थापन करे ।
- माँ शारदा की स्तुति-स्तवनादि करके भावपूर्वक अष्टप्रकारी पूजा प्रारंभ करे ।
- महामंत्र गर्भित श्री सरस्वती स्तोत्र की गाथा बोलते हुए अष्टप्रकारी पूजा करे ।
श्लोक... मंत्र... २७ डंके... और क्रमसे एक-एक पूजा इस विधि से स्वद्रव्य एवं श्रेष्ठ द्रव्य से (हो सके तो नित्य) अष्टप्रकारी पूजा करे ।
जल पूजा
श्लोकः ॐ ऐं ह्रीं श्रीं मंत्र रुपे, विबुध जन नुते, देव देवेन्द्र वंद्ये, चंच च्चंद्रा वदाते, क्षिपित कलि मले, हार-नीहार गौरे । भीमे भीमाट्ट हास्ये, भव भय हरणे, भैरवे भीम वीरे, हाँ हीं हूँकार नादे, मम मनसि सदा, शारदे देवि तिष्ठ ।।१।।
- मंत्र: ॐ ह्रीं श्रीं सरस्वती देव्यै जलं समर्पयामि स्वाहा ।
चंदन पूजा
श्लोकः हा पक्षे बीज गर्ने, सुर वर रमणी, चर्चिता नेकरुपे, कोंपं वं झं विधेयं, धरित धरि वरे, योग नियोग मार्गे ।
हं सं सः स्वर्ग राज, प्रति दिन नमिते, प्रस्तुता लाप पाठे.
दैत्येन्द्र र्थ्यांयमाने, मम मनसि सदा, शारदे देवि तिष्ठ ॥२॥
- मंत्र: ॐ ह्रीं श्रीं सरस्वती देव्यै चंदनं समर्पयामि स्वाहा ।
पुष्प पूजा
श्लोकः दैत्यै दैत्यारि नाथै, र्नमित पद युगे, भक्ति पूर्व स्त्रि सन्ध्यम्, यौः सिद्धैश्च नम्र, रह मह मिकया, देह कान्तिश्च कान्तिः । औं ईं ॐ विस्फुटाभा, क्षर वर मृदुना, सुस्वरेणा सुरेणा- त्यंन्तं प्रोद्गीय माने, मम मनसि सदा, शारदे देवि तिष्ठ ।।३।।
- मंत्र: ॐ ह्रीं श्रीं सरस्वती देव्यै पुष्पं समर्पयामि स्वाहा ।
धूप पूजा
श्लोकः क्षौं क्षी हूँ क्षः स्वरूपे, हन विषम विषं, स्थावरं जंगमं वा, संसारे संसृतानां, तव चरण युगे, सर्व काले नराणाम् । अव्यक्ते व्यक्त रूपे प्रणत नर वरे, ब्रह्म रुपे स्वरूपे, ऐं ऐं ब्लूँ योगिगम्ये, मम मनसि सदा, शारदे देवि तिष्ठ ।।४।।
- मंत्र: ॐ ह्रीं श्रीं सरस्वती देव्यै धूपं आघ्रापयामि स्वाहा ।
दीपक पूजा
श्लोकः सम्पूर्णा त्यन्त शोमैः, शश धर धवलै, र्रास लावण्य भूतैः, रम्यैः स्वच्छैश्च कांतै, र्निज कर निकरै, चंद्रिका कार भासैः । अस्माकिनं भवाब्जे, दिन मनु सततं, कल्मषं क्षालयन्ती, श्राँ श्री ब्रू मंत्र रुपे, मम मनसि सदा, शारदे देवि तिष्ठ ।।५।।
- मंत्र: ॐ ह्रीं श्रीं सरस्वती देव्यै दीपं दर्शयामि स्वाहा
अक्षत पूजा
श्लोक भाषे पद्मासनस्थे, जिन मुख निसृते, पद्म हस्ते प्रशस्ते, प्राँ प्री हूँ प्रः पवित्रे, हर हर दुरितं, दुष्टजं दुष्ट चेष्टं । वाचां लाभाय भक्त्या, त्रि दिव युवतिभिः, प्रत्यहं पूज्य पादे, चंडे चंडी कराले, मम मनसि सदा, शारदे देवि तिष्ठ ।।६।।
- मंत्र: ॐ ह्रीं श्रीं सरस्वती देव्यै अक्षतं समर्पयामि स्वाहा ।
नैवेद्य पूजा
श्लोक - नम्री भूत क्षितीश, प्रवर मणि मुकुटोद्, घृष्ट पादार विंदे, पद्मास्ये पद्म नेत्रे, गज गति गमने, हंसयाने विमाने । कीर्तिश्री बुद्धि-चक्रे, जय विजय जये, गौरी गंधारी युक्ते, ध्येया ध्येय स्वरूपे, मम मनसि सदा, शारदे देवि तिष्ठ ।।७।।
- मंत्र: ॐ ह्रीं श्रीं सरस्वती देव्यै नैवेद्यं समर्पयामि स्वाहा ।
फल पूजा
श्लोक विद्यु ज्ज्वाला प्रदिप्तां, प्रवर मणि मयी, मक्ष मालां सुरूपां, रम्या वृत्ति र्धरित्री, दिन मनु सततं, मंत्रकं शारदं च । नागेन्द्र रिन्द्र चन्द्र, मनुज मुनि जनैः संस्तुता या च देवी,
कल्याणं सा च दिव्यं, दिशतु मम सदा, निर्मलं ज्ञान रत्नम् ।।८।।
- मंत्र: ॐ ह्रीं श्रीं सरस्वती देव्यै फलं समर्पयामि स्वाहा ।
अंतिम प्रार्थना श्लोक
कर बदर सदृश मखिल, भुवतलं यत् प्रसादतः कवयः ।
पश्यंति सूक्ष्म मतयः, सा जयति सरस्वती देवी ।।९।।
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