अक्षय तृतीया | कथा | अक्षय तृतीया का महत्‍व | टोटके,Akshaya Tritiya | Katha | Akshay Trteeya Ka Mahat‍va | Totake

अक्षय तृतीया | कथा | अक्षय तृतीया का महत्‍व | टोटके

अक्षय तृतीया के दिन क्या खरीदना चाहिए - सोने या चांदी जैसी महंगी चीज ही नहीं और भी कई चीजें है जिन्हें अक्षय तृतीया के दिन खरीदना शुभ होता है. आप मिट्टी का घड़ा, बर्तन, कौड़ी, जौ, पीली सरसो, दक्षिणावर्ती शंख, श्रीयंत्र या धनिया के बीज खरीद कर भी अक्षय तृतीया के शुभ फल का घर ला सकते हैं

Akshaya Tritiya  | Katha | Akshay Trteeya Ka Mahat‍va | Totake

यह दिन बहुत पवित्र माना गया है। इस दिन होम, जप, तप, दान, स्नान आदि से प्राप्त होने वाले पुण्य अक्षय रहते हैं। इसी कारण इस तिथि का नाम अक्षय तृतीया पड़ा। इसी दिन भगवान् परशुराम का जन्म हुआ था। अतः इसे परशुराम तीज भी कहते हैं। इस दिन गंगा-स्नान का भारी माहात्म्य है। जो मनुष्य इस दिन गंगा में स्नान करता है, वह निश्चय ही सारे पापों से मुक्त हो जाता है। इस दिन प्रातः काल घड़ा, पंखा, चावल, दाल, नमक, घी, चीनी, साग, इमली, फल, वस्त्र और दक्षिणा ब्राह्मणों को देनी चाहिए। इसी दिन श्री बद्री नारायणजी का चित्र सिंहासन पर रख कर मिश्री और भीगीं हुई चने की दाल का भोग लगावें। तुलसी दल चढ़ावे और भगवान् की श्रद्धा व भक्तिपूर्वक पूजा करके आरती करें। अक्षय तृतीया के सम्बन्ध में नीचे लिखी कथा प्रचलित है-

अक्षय तृतीया कथा

एक बार महाराज युधिष्ठिर ने श्रीकृष्णचन्द्र से पूछा- हे भगवान्! कृपा करके अक्षय तृतीया का माहात्म्य वर्णन करें। इसे सुनने की मेरी बड़ी प्रबल इच्छा है। भगवान् श्रीकृष्ण बोले- हे राजन् ! सुनो। यह परम पुण्यमयी तिथि है। इस दिन दोपहर से पहले स्नान, जप, तप, होम, स्वाध्याय, पितृतर्पण और दानादि करने वाला महाभाग अक्षय पुण्य फल का भागी होता है। इसी दिन से सत्ययुग का भी आरम्भ होता है, इसलिए यह युगादि तृतीया के नाम से भी प्रसिद्ध है। हे युधिष्ठिर! प्राचीनकाल में एक बहुत निर्धन, सदाचारी और देव-ब्राह्मणों में श्रद्धा रखने वाला वैश्य था। कुटुम्ब-परिवार बहुत बड़ा था, जिसके कारण वह सदैव व्याकुल रहता था। उसने किसी से वैशाख शुक्ल तृतीया के माहात्म्य में सुना कि इस दिन किये हुए दान, जप, हवन आदि से अक्षय पुण्य प्राप्त होता है। उसने अक्षय तृतीया के दिन प्रातःकाल गंगाजी के पावन जल में स्नान करके विधिपूर्वक देवताओं और पितरों का पूजन किया। फिर उसने गोले के लड्डू, पंखा, जल से भरे घड़े, जौ, गेहूँ, नमक, सत्तू, दही, चावल, गुड़, स्वर्ण, वस्त्र आदि दिव्य वस्तुओं का भक्तिपूर्वक दान किया। स्त्री के बार-बार मना करने तथा कुटुम्बीजनों से चिन्तित और बुढ़ापे के कारण अनेक रोगों से पीड़ित होने पर भी वह अपने धर्म-कर्म से विमुख नहीं हुआ। यह सब अक्षय तृतीया का ही पुण्य-प्रभाव है।

अक्षय तृतीया का महत्‍व

अक्षय तृतीया  का धार्मिक महत्‍व बहुत ही खास माना गया है। इसे युगादि तिभि भी माना जाता है। मान्‍यता है कि इस दिन भगवान विष्‍णु के परशुराम अवतार का जन्‍म हुआ था। अक्षय तृतीया के दिन ही युधिष्ठिर को कृष्‍णजी ने अक्षय पात्र दिया था। जिसमें कभी भी भोजन समाप्‍त नहीं होता था और इसी पात्र से युधिष्ठिर अपने जरूरतमंद लोगों को भोजन करवाते थे। इसलिए अक्षय तृतीया के दिन दान पुण्‍य करने का भी विशेष महत्‍व माना जाता है। अक्षय तृतीया के दिन से त्रेतायुग का भी आरंभ हुआ था। इसी शुभ दिन पर गंगा का अवतरण भी धरती पर हुआ था। इतनी विशेषताओं की वजह से अक्षय तृतीया के दिन को साल का सबसे शुभ मुहूर्त माना जाता है।

अक्षय तृतीया के टोटके

  • ज्‍योतिष शास्‍त्र के मुताबिक इस द‍िन मां लक्ष्‍मी की पूजा करते समय माथे पर केसर और हल्‍दी का तिलक लगाना चाहिए। ऐसा करने से घर और जातक के जीवन में मां लक्ष्‍मी की कृपा बनी ही रहती है।
  • मां लक्ष्‍मी को श्रीयंत्र अति प्रिय है. ऐसे में अक्षय तृतीया के दिन श्री यंत्र की विधि-व‍िधान से पूजा करके घर की तिजोरी में या फिर आप जिस भी स्‍थान पर धन रखते हों, वहां रखने से आप पर मां लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है !
  • शास्‍त्रों के मुताबिक, अक्षय तृतीया के द‍िन किये गए दान से मां लक्ष्‍मी अत्‍यंत प्रसन्‍न होती हैं. ऐसे में आपको इस दिन जरूरतमंदों या ब्राह्मणों को खरबूजा, तिल, घी, वस्‍त्र, चांदी और नमक का दान करना चाहिए. ऐसा करने से मां लक्ष्मी के साथ साथ भगवान विष्णु भी आपसे प्रसन्न होते हैं !
  • अक्षय तृतीया के द‍िन पूजा में एकाक्षी नार‍ियल यान‍ि कि एक आंख और एक मुंह वाला नारियल रखना बहुत ही शुभ होता है. ऐसा करने से आपका कल्याण होता है !
  • अक्षय तृतीया के दिन 11 कौड़‍ियों को लाल रंग के वस्‍त्र में बांधकर मां लक्ष्‍मी के चरणों में रखने से आपके समस्त कष्ट दूर होते हैं और आपके घर में सुख समृद्धि का आगमन होता है !

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