सीता चरित्र: माता सीता का जन्म कैसे हुआ और कुछ नाम,Sita Character Maata Seeta Ka Janm Kaise Hua Aur Kuchh Naam

सीता चरित्र: माता सीता का जन्म कैसे हुआ और कुछ नाम

सीता चरित्र :-

हिन्दू धर्म में सीता को पतिव्रता, धर्मपत्नी, और आदर्श स्त्री माना जाता है. सीता मिथिला के राजा जनक की बेटी थीं और उनका विवाह अयोध्या के राजा दशरथ के बेटे राम से हुआ था. सीता को विष्णु की पत्नी लक्ष्मी का अवतार भी माना जाता है. सीता अपने समर्पण, आत्म-बलिदान, साहस, और पवित्रता के लिए जानी जाती हैं. सीता ने पतिव्रता धर्म का पूरी तरह से पालन किया और भगवान राम के प्रति अपना पूरा आत्मा समर्पित किया. उन्होंने राजमहल का ऐश्वर्य त्याग कर वन में संघर्षशील जीवन बिताया. पति के आदेश पर वन में साधारण स्त्री की तरह रहते हुए उन्होंने एक मां का कर्तव्य निभाया. सीता का चरित्र शुद्ध, सरल, सात्विक, शिक्षित-कलाओं से युक्त, संस्कारों, समझदारी, समन्वय, शालीनता, सुदृढ़ता, और सहृदयता से परिपूर्ण रहा. सीता ने विषम से विषम परिस्थिति में धैर्य नहीं खोया. वे त्याग, पति के मान और पतिव्रत का पालन जीवनपर्यंत करती रही. सीता की सहनशक्ति आजकल की लड़कियों के लिए आदर्श है. वह खुद पराक्रमी थीं और जिस धनुष्य को रावण भी न उठा सका था, उस धनुष्य के साथ वह खेला करती थीं. तत्कालीन राजकुमारीयों की तरह वह राजकारण, धर्मकारण, समाजकारण, और न्यायशास्र अच्छी तरह जानती थीं !
Sita Character Maata Seeta Ka Janm Kaise Hua Aur Kuchh Naam

माता सीता का जन्म कैसे हुआ

वाल्मीकि रामायण के मुताबिक, माता सीता का जन्म मिथिला (जनकपुर) नेपाल में हुआ था. एक बार मिथिला में भयंकर अकाल पड़ गया था, जिससे राजा जनक परेशान हो गए थे. तब एक ऋषि ने राजा जनक से यज्ञ करने और धरती पर हल चलाने का सुझाव दिया. यज्ञ के बाद, राजा जनक खेत जोत रहे थे, तभी उनका हल किसी कठोर चीज़ से टकराकर अटक गया. जब उस जगह खुदाई की गई, तो एक कलश मिला जिसमें एक सुंदर कन्या थी. राजा जनक ने उस कन्या को कलश से बाहर निकाला और उसे अपनी पुत्री के रूप में स्वीकार कर लिया. चूंकि हल के उस हिस्से से टकराकर माता सीता मिली थीं जिसे सीत कहते हैं, इसलिए ही उनका नाम सीता रखा गया. राजा जनक ने उन्हें पुत्री के रूप में जानकी कहा !
उन्होंने उसे धरती से निकाला और खोला. उसमें एक कन्या शिशु थी, जिसका नाम सीता रखा गया. इस तरह से माता सीता की उत्पत्ति हुई थी. सीता का जन्म माता के गर्भ से नहीं हुआ था. वे धरती से प्राप्त हुई थीं, इसलिए उनको धरती की पुत्री भी कहते हैं.

माता सीता के कुछ नामों का महत्व

  • जानकी
सीता जी के पिता को शास्त्रों में जनक की संज्ञा दी गई थी। उनके पिता उन्हें बहुत ही लाड़-प्यार करते थे। इसीलिए माता सीता जानकी जी कहलायी गई।
  • लक्षाकी
जानकी जी को धन की देवी मां लक्ष्मी जी माना जाता है। उनकी प्रजा भी उन्हें लक्ष्मी स्वरुपा ही मानती थी और प्रजा उन्हें लक्षाकी नाम से संबोधित करती थी।
  • भूमि
मान्यता है कि सीता जी का जन्म खेत में हल चलाने के दौरान हुआ था। धरती के गर्भ से पैदा होने के कारण उन्हें शास्त्रों में भूमि नाम से भी संबोधित किया गया है।
  • मैथिली
महाराज जनक के राज्य का नाम मिथिला था। इस वजह से मिथिला के लोग उन्हें मैथिली नाम से भी संबोधित किया करते हैं। इसीलिए उनका यह नाम भी शास्त्रों में मिलता है।
  • सीता
हल के अग्र भाग को सीत कहा जाता है। साथ ही सीता जी का जन्म खेत में हल जोतने के दौरान हल के अगले भाग से एक कलश निकलने के दौरान माना जाता है। इसीलिए सीत के कारण ही उनका नाम सीता पड़ा।
  • मृणमयी
सीता जी मन-वचन और कर्म से पवित्र थी और मिट्टी को भी शास्त्रों में पवित्र बताया गया है। इसीलिए धरती से पैदा होने के कारण उनका नाम मृणमयी भी रखा गया।
  • वैदेही
धार्मिक मान्यता है कि राजा जनक को विदेहराज जनक भी कहा जाता था। अपने पिता के नाम पर ही उनका नाम वैदेही पड़ा।
  • सिया
अत्यंत सुंदर और सुशील होने के कारण माता जानकी जी सिया कहलायी गईं। मान्यता है कि उस दौरान माता सीता से सुन्दर नारी संपूर्ण पृथ्वी पर कोई नहीं थी।
  • वानिका
सीता जी ने अपने जीवन का अधिकांश भाग वनों में ही बिताया था। पहले तो श्रीराम के साथ उन्होंने 14 वर्ष का वनवास भोगा और उसके बाद वे अयोध्या वापस आने पर फिर से वनों में चली गई और सारा जीवन वाल्मिकी जी के आश्रम में रहीं। इसी कारण से उनका एक नाम वानिका भी पड़ा।
  • जनकनंदनी
महाराज जनक की पुत्री होने के कारण माता सीता जनकनंदनी कहलायी गई।
  • क्षितिजा
माता सीता के एक नाम को क्षतिज अर्थात आसमान से भी जोड़कर देखा जाता है। क्योंकि माता खेत की भूमि से खुले आसमान के नीचे प्रकट हुई थीं। इसीलिए माता को क्षितिजा नाम से भी शास्त्रों में संबोधित किया गया है।
  • सीताशी
सीता जी का एक नाम सीताशी भी माना जाता है। इस नाम को दैवीय गुणों से युक्त माना जाता है। यही कारण है कि माता को सीताशी कहा जाता है।

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