श्री विष्णु अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र ! Shri Vishnu Ashtottara Shatnam Stotra !

श्री विष्णु अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र ! Shri Vishnu Ashtottara Shatnam Stotra !

श्री विष्णु अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र, भगवान विष्णु के 108 नामों का स्तोत्र है. इसे महान ऋषि वेद व्यास ने रचा है और यह विष्णु पुराण में वर्णित है. मान्यता है कि इस स्तोत्र का पाठ करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और कई तरह की समस्याएं दूर हो जाती हैं !
श्री विष्णु अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र के अलग-अलग संस्करण महाभारत, पद्म पुराण, और मत्स्य पुराण में उपलब्ध हैं. इस स्तोत्र में दिए गए हर नाम से भगवान विष्णु के अनगिनत गुणों में से कुछ का पता चलता है. विष्णु जी के भक्त प्रात: पूजन में इसका पाठ करते हैं. गुरुवार के दिन इस स्तोत्र का पाठ करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. घर में संतानहीनता से पीड़ित लोगों को भी प्रतिदिन इसका पाठ करना चाहिए !

Shri Vishnu Ashtottara Shatnam Stotra 

श्री विष्णु अष्टोत्तर शतनामस्तोत्रम् 

वासुदेवं हृषीकेशं वामनं जलशायिनम्।
जनार्दनं हरिं कृष्णं श्रीवक्षं गरुड़ध्वजम् ॥ 1॥

वाराहं पुण्डरीकाक्षं नृसिंहं नरकंटकम्।
अव्यक्तं शाश्वतं विष्णुमनन्तमजमव्ययम् ॥ 2॥

नारायणं गदाध्यक्षं गोविंदं कीर्तिभजनम्।
गोवर्धनोद्धारं देवं भूधरं भुवनेश्वरम् ॥ 3॥

वेत्तरं यज्ञपुरुषं यज्ञेशं यज्ञवाहनम्।
चक्रपाणिं गदापाणिं शंखपाणिं नरोत्तमम् ॥ 4॥

वैकुण्ठं दुष्ठदमनं भुगर्भं पीतवाससम।
त्रिविक्रमं त्रिकालज्ञानं त्रिमूर्तिं नंदकेश्वरम् ॥ 5॥

रामं रामं हयग्रीवं भीमं रौद्रं भावोद्भवम्।
श्रीपतिं श्रीधरं श्रीशं मंगलं मंगलायुधम् ॥ 6॥

दामोदरं दमोपेटं केशवं केशिसुदानम्।
वरेण्यं वरदं विष्णुनन्दं वासुदेवजम् ॥ 7॥

हिरण्यरेतसं दीप्तं पुराणं पुरूषोत्तमम्।
सकलं निष्कलं शुद्धं निर्गुणं गुणशाश्वतम ॥ 8॥

हिरण्यतनुससंकाशं सूर्ययुत्समप्रभम्।
मेघश्यामं चतुर्बाहुं कुशलं कमलक्षणम् ॥ 9॥

ज्योतिरूपमरूपं च स्वरूपं रूपसंस्थितम्।
सर्वज्ञं सर्वरूपस्थं सर्वेषां सर्वतोमुखम् ॥ 10॥

ज्ञानं कुष्ठमचलं ज्ञानदं परमं प्रभुम्।
योगिशं योगनिशानतं योगिसंयोगरूपिणम् ॥ 11 ।

ईश्वरं सर्वभूतानां वन्दे भूतमयं प्रभुम्।
इति नमशतं दिव्यं वैष्णवं खलु पापहम् ॥ 12॥

व्यासेन कथितं पूर्वं सर्वपाप्रणाशनम्।
यः पथेत प्रातरुत्थाय स भवेद् वैष्णवो नरः ॥ 13॥

सर्वपापविशुद्धात्मा विष्णुसायुज्यमाप्नुयात्।
चन्द्रायणसहस्राणी कन्यादानशतानि च ॥ 14॥

गावं लक्षसहस्राणी मुक्तिभागी भवेन्नरः।
अश्वमेधायुतं पुण्यं फलं प्राप्नोति मानवः ॥ 15॥

॥ इति श्रीविष्णुपुराणे श्री विष्णु अष्टोत्तर शतनास्तोत्रम् ॥

श्री विष्णु अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र के कुछ फ़ायदे:-

  • इस स्तोत्र का पाठ करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं
  • घर में धन-धान्य, सुख-संपदा बनी रहती है
  • गरीबी, बीमारी, जन्म और मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है
  • उच्च चेतना प्राप्त होती है
  • हर संकट से मुक्ति मिल जाती है
  • वित्तीय परेशानियां खत्म होती हैं
  • मन शांत रहता है
  • अवसाद, चिंता, तनाव और कोर्टिसोल में कमी आती है
  • रक्तचाप को सामान्य सीमा में नियंत्रित किया जा सकता है
  • एमएमएसई स्कोर और स्थानिक स्मृति में सुधार होता है

click to read 👇

श्री विष्णु सहस्रनाम ! श्री विष्णु के1000 नाम ] [ विष्णु पञ्जर स्तोत्रम् ]  [ एकादशी जानिए सम्पुन तिथि ]

पद्मपुराणे नारदसंवादे सङ्कष्टनाशनं नाम विष्णुस्तोत्रं ] [ समस्त पाप नाशक श्री विष्णु स्तोत्र ]

श्री विष्णु नारायण हृदय स्तोत्र ] [ श्री हरि ( श्री विष्णु ) स्तोत्र अर्थ सहित ]

श्री विष्णु अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र ] [ श्री विष्णु अष्टोत्तर शतनामावली श्री विष्णु के 108 नाम ]

टिप्पणियाँ