श्री राम पञ्च रत्न स्तोत्रम ! Shri Ram Panch Ratna Stotram

श्री राम पञ्च रत्न स्तोत्रम ! Shri Ram Panch Ratna Stotram

इनके जाप से लोगों को कष्टों से मुक्ति मिलती है। ऐसा ही एक मंत्र है 'राम पंचरत्न स्तोत्र' जिसके जाप से मनुष्य को अनंत लाभ मिलता है। रोज़ाना दिन में एक बार राम पंचरत्न स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।

श्री राम पंचरत्न स्तोत्र का जाप करने से कई फ़ायदे 

  • कष्टों से मुक्ति मिलती है
  • मनुष्य को अनंत लाभ मिलता है
  • रोज़ाना दिन में एक बार इसका पाठ करना चाहिए 
Shri Ram Panch Ratna Stotram

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श्री राम पञ्च रत्न स्तोत्रम ! Shri Ram Panch Ratna Stotram

कञ्जातपत्रायत लोचनाय कर्णावतंसोज्ज्वल कुण्डलाय
कारुण्यपात्राय सुवंशजाय नमोस्तु रामायसलक्ष्मणाय ॥ 1 ॥

विद्युन्निभाम्भोद सुविग्रहाय विद्याधरैस्संस्तुत सद्गुणाय
वीरावतारय विरोधिहर्त्रे नमोस्तु रामायसलक्ष्मणाय ॥ 2 ॥

संसक्त दिव्यायुध कार्मुकाय समुद्र गर्वापहरायुधाय
सुग्रीवमित्राय सुरारिहन्त्रे नमोस्तु रामायसलक्ष्मणाय ॥ 3 ॥

पीताम्बरालङ्कृत मध्यकाय पितामहेन्द्रामर वन्दिताय
पित्रे स्वभक्तस्य जनस्य मात्रे नमोस्तु रामायसलक्ष्मणाय ॥ 4 ॥

नमो नमस्ते खिल पूजिताय नमो नमस्तेन्दुनिभाननाय
नमो नमस्ते रघुवंशजाय नमोस्तु रामायसलक्ष्मणाय ॥ 5 ॥

इमानि पञ्चरत्नानि त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः
सर्वपाप विनिर्मुक्तः स याति परमां गतिम् ॥

!!इति श्रीशङ्कराचार्य विरचित श्री राम पञ्चरत्नं सम्पूर्णं !!

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श्री राम के कुछ श्लोकों के अर्थ दिए गए हैं

“रामं दूर्वादलश्यामं पद्‌माक्षं पीतवाससम्‌। 
स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैर्न ते संसारिणो नर:॥”

  • अर्थ है
“जिनका श्याम रंग दूर्वा के पत्तों के समान है, कमलनयन हैं और पीतांबर धारण करते हैं, ऐसे श्रीराम जी की उपरोक्त दिव्य नामों की स्तुति करने वाला व्यक्ति संसार चक्र में फंसा नहीं रहता”

“पाणौ महासायकचारुचापं नमामि रामं रघुवंशनाथम्”

  • अर्थ है
“नीले कमल के समान श्याम और कोमल जिनके अंग हैं, श्री सीताजी जिनके वाम भाग में विराज मान हैं और जिनके हाथों में (क्रमशः) अमोघ बाण और सुंदर धनुष है, उन रघुवंश के स्वामी श्री रामचन्द्रजी को मैं नमस्कार करता हूँ”

“नरो न लिप्यते पापैर्भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति”

  • अर्थ है
“राम, रामभद्र, रामचन्द्र – इन नामों का स्मरण करने से मनुष्य पापों से लिप्त नहीं होता और भोग और मोक्ष को प्राप्त कर लेता है

श्री राम वंदना श्लोक है:

“लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम्। 
कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये।।”

इसका अनुवाद है:-

“लोकों के आकर्षक, युद्ध के रणधीर, राजीवनेत्र, रघुवंशनाथ, दयालु और दयालुता करने वाले श्री रामचंद्र की शरण में मैं जाता हूं।” 

श्री राम के कुछ मंत्र :-

  • ॐ श्री रामाय नमः
  • श्री राम जय राम जय जय राम
  • ॐ दशरथये विद्महे सीतावल्लभय धीमहि, तन्नो राम प्रचोदयात्
  • ॐ आपदामप हर्तारम दातारं सर्व सम्पदाम, लोकाभिरामं श्री रामं भूयो भूयो नामाम्यहम !

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