सर्वदेव कृत श्री लक्ष्मी स्तोत्र !
Shri Lakshmi Stotra written by Sarvadev ! |
सर्वदेव कृत श्री लक्ष्मी स्तोत्र ! Shri Lakshmi Stotra written by Sarvadev !
क्षमस्व भगवत्यम्ब क्षमा शीले परात्परे।
शुद्ध सत्व स्वरूपेच कोपादि परि वर्जिते॥
उपमे सर्व साध्वीनां देवीनां देव पूजिते।
त्वया विना जगत्सर्वं मृत तुल्यञ्च निष्फलम्।
सर्व सम्पत्स्वरूपात्वं सर्वेषां सर्व रूपिणी।
रासेश्वर्यधि देवीत्वं त्वत्कलाः सर्वयोषितः॥
कैलासे पार्वती त्वञ्च क्षीरोधे सिन्धु कन्यका।
स्वर्गेच स्वर्ग लक्ष्मी स्त्वं मर्त्य लक्ष्मीश्च भूतले॥
वैकुण्ठेच महालक्ष्मीः देवदेवी सरस्वती।
गङ्गाच तुलसीत्वञ्च सावित्री ब्रह्म लोकतः॥
कृष्ण प्राणाधि देवीत्वं गोलोके राधिका स्वयम्।
रासे रासेश्वरी त्वञ्च बृन्दा बृन्दावने वने॥
कृष्ण प्रिया त्वं भाण्डीरे चन्द्रा चन्दन कानने।
विरजा चम्पक वने शत शृङ्गेच सुन्दरी।
पद्मावती पद्म वने मालती मालती वने।
कुन्द दन्ती कुन्दवने सुशीला केतकी वने॥
कदम्ब माला त्वं देवी कदम्ब कानने पिच।
राजलक्ष्मीः राज गेहे गृहलक्ष्मी र्गृहे गृहे॥
इत्युक्त्वा देवतास्सर्वाः मुनयो मनवस्तथा।
रूरूदुर्न म्रवदनाः शुष्क कण्ठोष्ठ तालुकाः॥
इति लक्ष्मी स्तवं पुण्यं सर्वदेवैः कृतं शुभम्।
यः पठेत्प्रातरुत्थाय सवैसर्वं लभेद्ध्रुवम्॥
अभार्यो लभते भार्यां विनीतां सुसुतां सतीम्।
सुशीलां सुन्दरीं रम्यामति सुप्रियवादिनीम्॥
पुत्र पौत्र वतीं शुद्धां कुलजां कोमलां वराम्।
अपुत्रो लभते पुत्रं वैष्णवं चिरजीविनम्॥
परमैश्वर्य युक्तञ्च विद्यावन्तं यशस्विनम्।
भ्रष्टराज्यो लभेद्राज्यं भ्रष्ट श्रीर्लभेते श्रियम्॥
हत बन्धुर्लभेद्बन्धुं धन भ्रष्टो धनं लभेत्॥
कीर्ति हीनो लभेत्कीर्तिं प्रतिष्ठाञ्च लभेद्ध्रुवम्॥
सर्व मङ्गलदं स्तोत्रं शोक सन्ताप नाशनम्।
हर्षानन्दकरं शाश्वद्धर्म मोक्ष सुहृत्पदम्॥
॥ इति सर्व देव कृत लक्ष्मी स्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
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धनदा लक्ष्मी स्तोत्र ! Dhanda Lakshmi Stotra
मान्यता है कि इस स्तोत्र का पाठ करने के लिए ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए. इसके लिए शिव मंदिर, केले का पेड़, विल्व वृक्ष या किसी देवी के मंदिर में जाकर रोज़ाना 100 पाठ करने चाहिए. कहा जाता है कि 1100 पाठ करने से यह स्तोत्र स्वयं धनदा लक्ष्मी द्वारा ही कहा गया है
धनदा लक्ष्मी स्तोत्र के कई फ़ायदे बताए जाते हैं:-
- इस स्तोत्र का पाठ करने से घर में मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है.
- इससे आय और सौभाग्य में स्थिरता बनी रहती है.
- इससे धन लाभ होता है.
- इससे दरिद्रता का नाश होता है.
- इससे सभी तरह के सुखों की प्राप्ति होती है.
- इससे व्यक्ति के जीवन में व्याप्त दरिद्रता दूर होती है.
- इससे सभी आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं.
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धनदा लक्ष्मी स्तोत्र ! Dhanda Lakshmi Stotra
मूल पाठ
त्वम् प्रसीद महेशानी यदर्थं प्रार्थयाम्यहम ।।1।।
धरामरप्रिये पुण्ये, धन्ये धनद-पूजिते।
सुधनं धार्मिकं देहि ,यजमानाय सत्वरम ।।2।।
रम्ये रुद्रप्रियेअपर्ने, रमारूपे रतिप्रिये।
शिखासख्यमनोमूर्ते प्रसीद प्रणते मयी ।।3।।
आरक्त -चरणामभोजे, सिद्धि-सर्वार्थदायिनी।
दिव्याम्बर्धरे दिव्ये ,दिव्यमाल्यानुशोभिते ।।4।।
समस्तगुणसम्पन्ने, सर्वलक्षण -लक्षिते।
शरच्चंद्रमुखे नीले ,नीलनीरद- लोचने ।।5।।
चंचरीक -चमू -चारू- श्रीहार -कुटिलालके।
दिव्ये दिव्यवरे श्रीदे ,कलकंठरवामृते ।।6।।
हासावलोकनैर्दिव्येर्भक्तचिन्तापहारिके।
रूप -लावण्य-तारुण्य -कारुण्यगुणभाजने ।।7।।
क्वणत-कंकण-मंजीरे, रस लीलाकराम्बुजे।
रुद्रव्यक्त -महतत्वे ,धर्माधारे धरालये ।।8।।
प्रयच्छ यजमानाय, धनं धर्मैक -साधनं।
मातस्त्वं वाविलम्बेन, ददस्व जगदम्बिके ।।9।।
कृपाब्धे करूणागारे, प्रार्थये चाशु सिद्धये।
वसुधे वसुधारूपे ,वसु-वासव-वन्दिते ।।10।।
प्रार्थिने च धनं देहि, वरदे वरदा भव।
ब्रह्मणा ब्राह्मणेह पूज्या ,त्वया च शंकरो यथा ।।11।।
श्रीकरे शंकरे श्रीदे प्रसीद मयी किन्करे।
स्तोत्रं दारिद्र्य -कष्टार्त-शमनं सुधन -प्रदम ।। 12।।
पार्वतीश -प्रसादेन सुरेश किन्करे स्थितम।
मह्यं प्रयच्छ मातस्त्वं त्वामहं शरणं गतः ।।13।।
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