शिव - श्री रुद्राष्टकम ! Shiva - Sri Rudrashtakam

शिव - श्री रुद्राष्टकम  ! Shiva - Sri Rudrashtakam 

शास्त्रों के मुताबिक, भक्तिपूर्वक रुद्राष्टकम् का पाठ करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और कष्ट दूर हो जाते हैं
रुद्राष्टकम् का नियमित पाठ करने से मानसिक शांति मिलती है और जीवन से बुरी चीज़ें दूर रहती हैं.
शास्त्रों के मुताबिक, रुद्राष्टकम् का पाठ करने से जीवन की हर समस्या का समाधान मिलता है.
शत्रुओं से परेशान होने पर कुशा के आसन पर बैठकर लगातार सात दिनों तक सुबह-शाम रुद्राष्टकम् का पाठ करने से शिव जी बड़े-बड़े शत्रुओं का नाश करते हैं

Shiva - Sri Rudrashtakam

रुद्राष्टकम् का पाठ करने से व्यक्ति को असीम बल, सकारात्मक ऊर्जा और निर्भीक व्यक्तित्व की प्राप्ति होती है  रुद्राष्टकम् का पाठ करने से जीवन आनंदमय बना रहता है और मनोबल और सौभाग्य में वृद्धि होती है
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, रावण पर विजय पाने के लिए भगवान राम ने रामेश्वरम में शिवलिंग की स्थापना कर रुद्राष्टकम् का पाठ किया था

श्रीरुद्राष्टकम् - Shiva - Sri Rudrashtakam 

नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् ।

निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं
चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ॥ १॥

निराकारमोंकारमूलं तुरीयं
गिरा ज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम् ।

करालं महाकाल कालं कृपालं
गुणागार संसारपारं नतोऽहम् ॥ २॥

तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं
मनोभूत कोटिप्रभा श्री शरीरम् ।

स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारु गङ्गा
लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा ॥ ३॥

चलत्कुण्डलं भ्रू सुनेत्रं विशालं
प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ।

मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं
प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि ॥ ४॥

प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं
अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशम् ।

त्रयः शूल निर्मूलनं शूलपाणिं
भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यम् ॥ ५॥

कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी
सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी ।

चिदानन्द संदोह मोहापहारी
प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥ ६॥

न यावत् उमानाथ पादारविन्दं
भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।

न तावत् सुखं शान्ति सन्तापनाशं
प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासम् ॥ ७॥

न जानामि योगं जपं नैव पूजां
नतोऽहं सदा सर्वदा शम्भु तुभ्यम् ।
जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं
प्रभो पाहि आपन्नमामीश शम्भो ॥ ८॥

रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये।
ये पठन्ति नरा भक्तया तेषां शम्भु: प्रसीदति॥

॥ इति श्रीगोस्वामितुलसीदासकृतं श्रीरुद्राष्टकं संपूर्णम् ॥

शास्त्रों के मुताबिक, भगवान शिव का रुद्राष्टकम पाठ करने से कई लाभ

  • भक्तिपूर्वक पाठ करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और कष्ट दूर हो जाते हैं.
  • जीवन में आनंद बना रहता है और मनोबल बढ़ता है.
  • सौभाग्य और खुशी मिलती है.
  • मानसिक शांति मिलती है और नकारात्मक विचार दूर होते हैं.
  • जीवन की हर समस्या का समाधान मिलता है.
  • शत्रुओं पर विजय मिलती है.
  • पापों का नाश होता है और कर्म शुद्ध होते हैं.
  • ग्रहों की शांति होती है और कुंडली के दोष दूर होते हैं.
  • भगवान शिव के प्रति भक्ति की भावना बढ़ती है.
  • मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
  • असीम बल, सकारात्मक ऊर्जा और निर्भीक व्यक्तित्व मिलता है.
  • धन में वृद्धि होती है. 

श्री रुद्राष्टकम के बारे में कुछ रोचक तथ्य:

  • कवि तुलसीदास ने 15वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में दुखों और कष्टों को दूर करने के लिए भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए रुद्राष्टकम लिखा था.
  • रुद्राष्टकम 8 छंदों का एक लोकप्रिय स्तोत्र है.
  • शास्त्रों में शिव रुद्राष्टकम पाठ का महत्व बताया गया है.
  • भगवान राम ने रावण जैसे शत्रु पर विजय प्राप्त करने के लिए शिव रुद्राष्टकम का पाठ किया था.
  • शिव रुद्राष्टकम पाठ के जाप से बड़े से बड़े शत्रु पर भी विजय प्राप्त की जा सकती है.
  • इसके जाप से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है.
  • रुद्राष्टकम का पाठ ऊर्जा और शक्ति का संचार करता है और मन को एकाग्रचित्त बनाता है.
  • महाशिवरात्रि के दिन इस स्तोत्र का जाप करने से सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं.
  • इसका प्रतिदिन जाप करने से किसी भी प्रकार के रोग से छुटकारा मिल सकता है.
  • रुद्राष्टकम का जाप करने से लोगों को अधिक पवित्र बनने में मदद मिलती है.
  • इससे व्यक्ति का आभामंडल शुद्ध होता है.
  • अगर आप किसी भी प्रकार की नकारात्मकता से पीड़ित हैं तो आपको रोजाना इसका जाप करना चाहिए.
  • रुद्राष्टकम दो शब्दों 'रुद्र' और 'अष्टकम' का मेल है.
  • यह भजन आपको रामचरितमानस, उत्तराखंड के 107वें दोहा या छंद में मिलेगा

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