शिव षडक्षर स्तोत्रम् ! Shiva Shadakshar Stotram

शिव षडक्षर स्तोत्रम् !

शिव षडक्षर स्तोत्रम, भगवान शिव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने का एक प्रभावशाली उपाय है. मान्यता है कि इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति के मन, शरीर, और आत्मा को शुद्धि मिलती है. मंत्र जप से उत्पन्न कंपन नकारात्मक ऊर्जा, विचारों, और भावनाओं को शुद्ध कर सकते हैं. इससे आंतरिक परिवर्तन और आध्यात्मिक विकास में आसानी होती है !
शिव षडक्षर स्तोत्रम, प्रसिद्ध रुद्रयामाला तंत्र पाठ में पाया जाता है. महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है. माना जाता है कि महाशिवरात्रि पर विधिपूर्वक भगवान शिव की आराधना करने से साधक के सभी कष्ट दूर हो सकते हैं. साथ ही सुख-समृद्धि का आशीर्वाद भी मिलता है. ऐसे में आप शिवरात्रि के दिन शिव षडक्षर स्तोत्र का पाठ करके भगवान शिव कृपा प्राप्त कर सकते हैं !

Shiva Shadakshar Stotram

शिव षडक्षर स्तोत्रम में भगवान शिव के छह अक्षरों वाले मंत्र 'ओम नमः शिवाय' का उच्चारण किया जाता है. इन छह अक्षरों को पवित्र माना जाता है और भगवान शिव की दिव्य ऊर्जा के विभिन्न पहलुओं का प्रतिनिधित्व करते हैं. इन अक्षरों का नियमित पाठ किसी की चेतना को जागृत और परमात्मा के साथ संरेखित कर सकता है. इससे आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ती है और दिव्य उपस्थिति के साथ गहरा संबंध बनता है

शिव षडक्षर स्तोत्रम् ! Shiva Shadakshar Stotram

ॐकारं बिन्दुसंयुक्तं नित्यं ध्यानन्ति योगिनः।
कामदं मोक्षदं चैव ओंकाराय नमो नमः ॥१॥

नमन्ति ऋषयो देवा नमन्त्यप्सरसां गणाः ।
नरा नमन्ति देवेशं नकाराय नमो नमः ॥२॥

महादेवं महात्मानं महाध्यान परायणम् ।
महापापहरं देवं मकाराय नमो नमः ॥३॥

शिवं शान्तं जगन्नाथं लोकानुग्रहकारकम् ।
शिवमेकपदं नित्यं शिकाराय नमो नमः ॥४॥

वाहनं वृषभो यस्य वासुकिः कण्ठभूषणम् ।
वामे शक्तिधरं देवं वकाराय नमो नमः ॥५॥

यत्र यत्र स्थितो देवः सर्वव्यापी महेश्वरः ।
यो गुरुः सर्वदेवानां यकाराय नमो नमः ॥६॥

षडक्षरमिदं स्तोत्रं यः पठेच्छिवसन्निधौ ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥७॥

इति श्रीरुद्रयामले उमामहेश्वरसंवादे शिवषडक्षरस्तोत्रं संपूर्णम् ॥

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शिव षडक्षर स्तोत्रम् के लाभ

  • शिव षडक्षर स्तोत्र में भगवान शिव के अनादि-अनंत स्वरूप का वर्णन है.
  • मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन इस स्तोत्र का पाठ करने से भगवान शिव की कृपा मिलती है और जीवन की परेशानियां दूर होती हैं.
  • इस स्तोत्र का पाठ करने से मन, शरीर, और आत्मा शुद्ध होती है.
  • मंत्र जप से उत्पन्न कंपन नकारात्मक ऊर्जा, विचारों, और भावनाओं को शुद्ध करते हैं.
  • इससे आंतरिक परिवर्तन और आध्यात्मिक विकास में आसानी होती है.
  • इन छह अक्षरों का नियमित पाठ चेतना को जागृत कर सकता है और परमात्मा के साथ संरेखित कर सकता है.
  • इससे आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ती है और दिव्य उपस्थिति के साथ गहरा संबंध बनता है.
  • इस स्तोत्र का पाठ करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और साधक के जीवन से सभी दुख-दर्द दूर हो जाते हैं. 

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