शिव तांडव कब करते हैं शिव तांडव स्तोत्र के चमत्कार ! Shiv Tandav Kab Karate Hain Shiv Tandav Stotr Ke Chamatkaar
शिव तांडव कब करते हैं शिव तांडव स्तोत्र के चमत्कार
भगवान शिव क्रोध और आनंद दोनों में तांडव करते हैं. जब भगवान शिव क्रोधित होते हैं, तो वे बिना डमरू के तांडव नृत्य करते हैं. वहीं, जब वे प्रसन्न होते हैं, तब वे आनंद तांडव करते हैं. खुशी में शिव आनंद तांडव करते हैं, जिससे पूरा वातावरण मनमोहक हो जाता है. तांडव के अंदर पूरी सृष्टि का सारांश समाया हुआ है. ये मृत्यु, जन्म, विनाश, रचना सभी को दर्शाता है मान्यता है कि शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने वाले भक्तों की प्रार्थना पूरी होती है. अगर आप पितृदोष और कालसर्प दोष से पीड़ित हैं, तो आपको नियमित तौर पर शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करना चाहिए !
शिव तांडव स्तोत्र का पाठ कब करना चाहिए
तांडव स्तोत्र का पाठ सुबह-सुबह स्नान करने के बाद या प्रदोष काल में करना चाहिए. ऐसा करने से पहले स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए. इस दौरान स्नानादि के बाद ही स्वच्छ वस्त्र पहनें और धूप, दीप एवं नैवेद्य से उनका पूजन करें. शिव तांडव स्त्रोत का पाठ लय में करने से विशेष प्रभाव पड़ता है. पाठ समाप्त होने के बाद भगवान शिव का ध्यान करें और अपनी प्रार्थना करें. मान्यता है कि ऐसा करने वाले भक्तों की प्रार्थना पूरी होती है
मान्यता है कि सोमवार के दिन शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है. सावन के महीने में शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलने के साथ मनोकामनाओं की पूर्ति होती है !
शिव तांडव स्तोत्र को लेकर कहा जाता है कि अगर आप इसे गायन के साथ पढ़ते हैं तभी इसका मनोवांछित फल आपको मिलता है. रावण ने भी जब 'शिव तांडव स्तोत्र' गाया था, तो कहा जाता है कि उसने अपने एक सर को काटकर वीणा बनाया था और उस वीणा को बजाते हुए जोर-जोर से शिव तांडव स्तोत्र को गाया था !
शिव तांडव स्तोत्र की रचना रावण ने की थी. शिव तांडव में कुल 17 श्लोक होते हैं, लेकिन 14 श्लोक ही गाए जाते हैं.
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शिव तांडव स्तोत्र के कई चमत्कार बताए जाते हैं
नियमित रूप से शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और साधक की मनोकामनाएं पूरी होती हैं.- इससे कुंडली में शनि ग्रह का दुष्प्रभाव कम होता है.
- कालसर्प दोष, कालसर्प योग, और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है.
- आर्थिक संकटों से मुक्ति मिलती है और कर्ज़ से छुटकारा मिलता है.
- सुख, धन, और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.
- हर भौतिक सुख-सुविधा मिलती है.
- गृहस्थ जीवन सुखमय होता है और परिवार में खुशहाली और समृद्धि आती है.
- दांपत्य जीवन में प्रेम और आपसी समझ विकसित होती है.
- आत्मबल मज़बूत होता है और चेहरा तेजमय होता है.
- उत्कृष्ट व्यक्तित्व प्राप्त होता है.
- वाणी की सिद्धि प्राप्त हो सकती है.
- नृत्य, चित्रकला, लेखन, योग, ध्यान, और समाधि सिद्धियां प्राप्त होती हैं
शिव जी का प्रिय मंत्र कौन सा?
भगवान शिव की आराधना का मूल और सबसे सरल मंत्र है 'ॐ नमः शिवाय' अर्थात मैं अपने आराध्य भगवान शिव को नमन करता हूं। इसके बाद दूसरा मंत्र है महामृत्युंजय मंत्र। महामृत्युंजय मंत्र को प्रायः किसी भी प्रकार के भय से मुक्ति पाने के लिए, मृत्यु के भय से मुक्ति पाने के लिए या शत्रु के भय से मुक्ति पाने के लिए जपा जाता है।
शिव तांडव का अर्थ क्या है
शिव तांडव का अर्थ है, भगवान शिव द्वारा किया जाने वाला अलौकिक नृत्य. तांडव शब्द का अर्थ है, उग्र, औद्धत्यपूर्ण या स्वच्छंद क्रिया कलाप. शिव जी को नटराज के नाम से भी जाना जाता है और वे नृत्य कला के रचयिता माने जाते हैं. शिव जी का तांडव नृत्य उनके पांच महान कार्यों को दर्शाता है, ये हैं- दया, माया, रचना, संरक्षण और विनाश. शिव जी का तांडव नृत्य उनका रौद्र रूप प्रदर्शित करता है, जो क्रोध का निष्कारण करता है और सृष्टि में व्याप्त बुराइयों का अंत करता है
शिव तांडव स्तोत्र, भगवान शिव के परम भक्त रावण द्वारा की गई एक विशेष स्तुति है. यह स्तुति छंदात्मक है और इसमें बहुत सारे अलंकार हैं. माना जाता है कि जब रावण कैलाश पर्वत लेकर चलने लगा था, तब शिव जी ने अंगूठे से कैलाश पर्वत को दबा दिया था. इससे रावण कैलाश पर्वत के नीचे दब गया था. तब रावण ने शिव जी को प्रसन्न करने के लिए जो स्तुति की थी, उसे शिव तांडव स्तोत्र कहा गया !
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