शिव प्रातः स्मरण स्तोत्र !
Shiv Praatah Smaran Stotr ! |
श्रीशिवप्रातः स्मरणस्तोत्रम् ! Shiv Praatah Smaran Stotr !
प्रातः स्मरामि भवभीतिहरं सुरेशं
गङ्गाधरं वृषभवाहनमम्बिकेशम् ।
खट्वाङ्गशूलवरदाभयहस्तमीशं
संसाररोगहरमौषधमद्वितीयम् ॥१॥
प्रातर्नमामि गिरिशं गिरिजार्धदेहं
सर्गस्थितिप्रलयकारणमादिदेवम् ।
विश्वेश्वरं विजितविश्वमनोSभिरामं
संसाररोगहरमौषधमद्वितीयम् ॥२॥
प्रातर्भजामि शिवमेकमनन्तमाद्यं
वेदान्तवेद्यमनघं पुरुषं महान्तम् ।
नामादिभेदरहितं षड्भावशून्यं
संसाररोगहरमौषधमद्वितीयम् ॥३॥
प्रातः समुत्थाय शिवं विचिन्त्य श्लोकत्रयं येSनुदिनं पठन्ति ।
ते दुःखजातं बहुजन्मसंचितं हित्वा पदं यान्ति तदेव शम्भो: ॥
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शिव प्रातः स्मरण स्तोत्र के लाभ
- जो व्यक्ति हर सुबह शिव का ध्यान करता है और फिर इन तीन श्लोकों का पाठ करता है, वह कई जन्मों के संचित दुखों से मुक्त हो जाता है और शिव के आनंदमय चरण को प्राप्त करता है !
- प्रातः स्मरण मंत्र एक ध्यान और आत्मचिंतन का तरीका है जिससे दिन की शुरुआत ताज़गी और शांति से होती है !
- यह मानव चेतना को स्थिर और संतुलित रखने में मदद कर सकता है और उसे आत्मज्ञान की दिशा में ले जाने में सहायक हो सकता है !
- यह आध्यात्मिक विकास और अध्यात्मिक संवाद के लिए एक साधना भी हो सकता है !
- यह मानसिक शांति और सकारात्मकता को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है और व्यक्ति को दिनभर की चुनौतियों के सामना करने के लिए मज़बूत बना सकता है !
- इस स्तोत्र का पाठ करने से साधक की मनोकामनाएं पूरी होती हैं !
- यह अभ्यास आध्यात्मिक विकास की भावना पैदा करता है, जिससे मुक्ति और ज्ञानोदय होता है !
- शिव आरती या शिव अमोघ कवच का पाठ किया जाए तो, इस स्तोत्र का बहुत लाभ मिलता है !
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