शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र ! Shiv Apradh Kshamapan Stotra

शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र ! 

शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र, आदि शंकराचार्य द्वारा लिखा गया एक स्तोत्र है. ऐसा माना जाता है कि इस स्तोत्र का भक्तिपूर्वक जाप करने से भगवान शिव आपके पापों को क्षमा कर देंगे. इस स्तोत्र का पाठ करने से जन्म-जन्मान्तर और ज्ञाता-ज्ञात पापों की निवृत्ति होती है और कैंकर्यभाव की प्राप्ति होती है !


धार्मिक मान्यता है कि भगवान शिव की पूजा करने से साधक को अमोघ फल की प्राप्ति होती है. हालांकि, पूजा करते समय भक्तों से छोटी-मोटी गलतियां हो जाती हैं. अगर आपसे सावन सोमवार पर पूजा के दौरान कोई गलती हुई है, तो सावन के अंतिम सोमवार पर भगवान शिव से क्षमा याचना अवश्य करें !

शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र ! Shiv Apradh Kshamapan Stotra

आदौ कर्मप्रसङ्गात् कलयति कलुषं मातृकुक्षौ स्थितं मां 
विण्मूत्रामेध्यमध्ये क्वथयति नितरां जाठरो जातवेदाः।
यद्यद्वै तत्र दुःखं व्यथयति नितरां शक्यते केन वक्तुं 
क्षन्तव्यो मेऽपराधः शिव शिव शिव भो श्रीमहादेव शम्भो ।।१।।

बाल्ये दुःखातिरेको मललुलितवपुः स्तन्यपाने पिपासा 
नो शक्तश्चेन्द्रियेभ्यो भवगुणजनिता जन्तवो मां तुदन्ति।
नानारोगादिदुःखाद्रुदनपरवशः शङ्करं न स्मरामि
क्षन्तव्यो मेऽपराधः शिव शिव शिव भो श्रीमहादेव शम्भो।।२।।

प्रौढोऽहं यौवनस्थो विषयविषधरैः पंचभिर्मर्मसन्धौ 
दष्टो नष्टो विवेकः सुतधनयुवतिस्वादसौख्ये निषण्ण:।
शैवीचिन्ताविहीनं मम हृदयमहो मानगर्वाधिरूढं 
क्षन्तव्यो मेऽपराधः शिव शिव शिव भो श्रीमहादेव शम्भो।।३।।

वार्द्धक्ये चेन्द्रियाणां विगतगतिमतिश्चाधिदैवादितापैः 
पापै रोगैर्वियोगैस्त्वनवसितवपुः प्रौढिहीनं च दीनम्।
मिथ्यामोहाभिलाषैर्भ्रमति मम मनो धूर्जटेर्ध्यानशून्यं
क्षन्तव्यो मेऽपराधः शिव शिव शिव भो श्रीमहादेव शम्भो।।४।।

वार्द्धक्ये चेन्द्रियाणां विगतगतिमतिश्चाधिदैवादितापैः 
पापै रोगैर्वियोगैस्त्वनवसितवपुः प्रौढिहीनं च दीनम्।
मिथ्यामोहाभिलाषैर्भ्रमति मम मनो धूर्जटेर्ध्यानशून्यं
क्षन्तव्यो मेऽपराधः शिव शिव शिव भो श्रीमहादेव शम्भो।।४।।

नो शक्यं स्मार्तकर्म प्रतिपदगहनप्रत्यवायाकुलाख्यं 
श्रौते वार्ता कथं मे द्विजकुलविहिते ब्रह्ममार्गे सुसारे।
नास्था धर्मे विचारः श्रवणमननयोः किं निदिध्यासितव्यं
क्षन्तव्यो मेऽपराधः शिव शिव शिव भो श्रीमहादेव शम्भो।।५।।

स्नात्वा प्रत्यूषकाले स्नपनविधिविधौ नाहृतं गाङ्गतोयं 
पूजार्थं वा कदाचिद्बहुतरगहनात्खण्डबिल्वीदलानि । 
नानीता पद्ममाला सरसि विकसिता गन्धपुष्पे त्वदर्थं
क्षन्तव्यो मेऽपराधः शिव शिव शिव भो श्रीमहादेव शम्भो।।६।।

दुग्धैर्मध्वाज्ययुक्तैर्दधिसितसहितैः स्नापितं नैव लिङ्ग 
 नो लिप्तं चन्दनाद्यैः कनकविरचितैः पूजितं न प्रसूनैः।
धूपैः कर्पूरदीपैर्विविधरसयुतैर्नैव भक्ष्योपहारैः
क्षन्तव्यो मेऽपराधः शिव शिव शिव भो श्रीमहादेव शम्भो।।७।।

ध्यात्वा चित्ते शिवाख्यं प्रचुरतरधनं नैव दत्तं द्विजेभ्यो 
हव्यं ते लक्षसंख्यैर्हुतवहवदने नार्पितं बीजमन्त्रैः।
नो तप्तं गाङ्गतीरे व्रतजपनियमै रुद्रजाप्यैर्न वेदैः
क्षन्तव्यो मेऽपराधः शिव शिव शिव भो श्रीमहादेव शम्भो।।८।।

स्थित्वा स्थाने सरोजे प्रणवमयमरुत्कुण्डले सूक्ष्ममार्गे 
शान्ते स्वान्ते प्रलीने प्रकटितविभवे ज्योतिरूपे पराख्ये। 
लिङ्गज्ञे ब्रह्मवाक्ये सकलतनुगतं शङ्करं न स्मरामि
क्षन्तव्यो मेऽपराधः शिव शिव शिव भो श्रीमहादेव शम्भो।।९।।

नग्नो निःसङ्गशुद्धस्त्रिगुणविरहितो ध्वस्तमोहान्धकारो 
नासाग्रे न्यस्तदृष्टिर्विदितभवगुणो नैव दृष्टः कदाचित्।
उन्मन्यावस्थया त्वां विगतकलिमलं शंकरं न स्मरामि
क्षन्तव्यो मेऽपराधः शिव शिव शिव भो श्रीमहादेव शम्भो।।१०।।

चन्द्रोद्भासितशेखरे स्मरहरे गङ्गाधरे शंकरे 
सर्वैर्भूषितकण्ठकर्णविवरे नेत्रोत्थवैश्वानरे।
दन्तित्वक्कृतसुन्दराम्बरधरे त्रैलोक्यसारे हरे 
मोक्षार्थं कुरु चित्तवृत्तिमखिलामन्यैस्तु किं कर्मभिः।।११।।

किं वानेन धनेन वाजिकरिभिः प्राप्तेन राज्येन किं 
किं वा पुत्रकलत्रमित्रपशुभिर्देहेन गेहेन किम्। 
ज्ञात्वैतत्क्षणभङ्गुरं सपदि रे त्याज्यं मनो दूरतः 
स्वात्मार्थं गुरुवाक्यतो भज भज श्रीपार्वतीवल्लभम्।।१२।।

आयुर्नश्यति पश्यतां प्रतिदिनं याति क्षयं यौवनं 
 प्रत्यायान्ति गताः पुनर्न दिवसाः कालो जगद्भक्षकः।
लक्ष्मीस्तोयतरङ्गभङ्गचपला विद्युच्चलं जीवितं 
 तस्मान्मां शरणागतं शरणद त्वं रक्ष रक्षाधुना।।१३।।

करचरणकृतं वाक्कायजं कर्मजं वा
श्रवणनयनजं वा मानसं वापराधम्।
विहितमविहितं वा सर्वमेतत्क्षमस्व
जय जय करुणाब्धे श्रीमहादेव शम्भो ॥१४।।

॥ इस प्रकार श्री मत् शंकराचार्य विरचित श्रीशिवापराधक्षमापन स्तोत्र सम्पूर्ण हुआ ॥

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शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र के कुछ तथ्य

  • आदि शंकराचार्य ने इस स्तोत्र को लिखा था !
  • ऐसा माना जाता है कि इस स्तोत्र का भक्तिपूर्वक जाप करने से भगवान शिव पापों को क्षमा कर देते हैं!
  • इस स्तोत्र में हाथों, पैरों, वाणी, शरीर, कर्म, कर्णों, नेत्रों, या मन से किए गए सभी अपराधों के लिए क्षमा मांगी गई है !
  • जो भक्त अपने वर्तमान या अतीत में किए गए पापों के लिए क्षमा मांगना चाहते हैं, उन्हें प्रतिदिन शिव तांडव स्तोत्र का जाप करना चाहिए.
  • धार्मिक मान्यता है कि भगवान शिव की पूजा करने से साधक को अमोघ फल की प्राप्ति होती है.
  • सावन सोमवार पर पूजा के दौरान कोई गलती हुई है, तो सावन के अंतिम सोमवार पर भगवान शिव से क्षमा याचना करनी चाहिए. 

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