शनि प्रदोष व्रत कथा ! Shani Pradosh vrat katha !

शनि प्रदोष व्रत कथा !

शनि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव के साथ-साथ शनिदेव की भी पूजा करनी चाहिए इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ़-सुथरे वस्त्र पहनें. फिर भगवान शिव का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें और शिव मंदिर की साफ़-सफ़ाई करें. संध्या के समय शुभ मुहूर्त में पूजा शुरू करें. शिवलिंग का जल अभिषेक करें और प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें. फिर शिवलिंग पर बेलपत्र, मदार, पुष्प, भांग आदि अर्पित करें. इसके बाद शिव जी के मंत्रों का जाप करें और अंत में शिव जी की आरती करें !

Shani Pradosh vrat katha !

शनि प्रदोष व्रत कथा ! Shani Pradosh vrat katha !

प्राचीन समय की बात है । एक नगर सेठ धन-दौलत और वैभव से सम्पन्न था । वह अत्यन्त दयालु था । उसके यहां से कभी कोई भी खाली हाथ नहीं लौटता था । वह सभी को जी भरकर दान-दक्षिणा देता था । लेकिन दूसरों को सुखी देखने वाले सेठ और उसकी पत्‍नी स्वयं काफी दुखी थे । दुःख का कारण था- उनके सन्तान का न होना । सन्तानहीनता के कारण दोनों घुले जा रहे थे । एक दिन उन्होंने तीर्थयात्र पर जाने का निश्‍चय किया और अपने काम-काज सेवकों को सोंप चल पडे । अभी वे नगर के बाहर ही निकले थे कि उन्हें एक विशाल वृक्ष के नीचे समाधि लगाए एक तेजस्वी साधु दिखाई पड़े । दोनों ने सोचा कि साधु महाराज से आशीर्वाद लेकर आगे की यात्रा शुरू की जाए । पति-पत्‍नी दोनों समाधिलीन साधु के सामने हाथ जोड़कर बैठ गए और उनकी समाधि टूटने की प्रतीक्षा करने लगे । सुबह से शाम और फिर रात हो गई, लेकिन साधु की समाधि नही टूटी । मगर सेठ पति-पत्‍नी धैर्यपूर्वक हाथ जोड़े पूर्ववत बैठे रहे । अंततः अगले दिन प्रातः काल साधु समाधि से उठे । सेठ पति-पत्‍नी को देख वह मन्द-मन्द मुस्कराए और आशीर्वाद स्वरूप हाथ उठाकर बोले- ‘मैं तुम्हारे अन्तर्मन की कथा भांप गया हूं वत्स! मैं तुम्हारे धैर्य और भक्तिभाव से अत्यन्त प्रसन्न हूं।’ साधु ने सन्तान प्राप्ति के लिए उन्हें शनि प्रदोष व्रत करने की विधि समझाई और शंकर भगवान की निम्न वन्दना बताई !

हे रुद्रदेव शिव नमस्कार । 
शिव शंकर जगगुरु नमस्कार ॥
हे नीलकंठ सुर नमस्कार । 
शशि मौलि चन्द्र सुख नमस्कार ॥
हे उमाकान्त सुधि नमस्कार । 
उग्रत्व रूप मन नमस्कार ॥
ईशान ईश प्रभु नमस्कार । 
विश्‍वेश्वर प्रभु शिव नमस्कार ॥

तीर्थयात्रा के बाद दोनों वापस घर लौटे और नियमपूर्वक शनि प्रदोष व्रत करने लगे । कालान्तर में सेठ की पत्‍नी ने एक सुन्दर पुत्र जो जन्म दिया । शनि प्रदोष व्रत के प्रभाव से उनके यहां छाया अन्धकार लुप्त हो गया । दोनों आनन्दपूर्वक रहने लगे।”

प्रदोष व्रत करने से कई फायदे

शनि प्रदोष व्रत का हिंदुओं में बहुत महत्व है. शनि देव भगवान शिव के परम भक्त थे और प्रदोष व्रत का यह संयोजन पवित्र और विशेष माना जाता है. शनि प्रदोष व्रत करने से कई फ़ायदे माने जाते हैं
धर्मशास्त्रों के मुताबिक, प्रदोष व्रत करने से कई फ़ायदे होते हैं:-
  • प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति को संतोष और सुख मिलता है !
  • इस व्रत के पुण्य प्रभाव से सुहागन स्त्रियों का सुहाग अटल रहता है !
  • जो व्यक्ति इस व्रत को विधि-विधान से करता है, उसके सभी दुःख दूर हो जाते हैं !
  • प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव की कृपा मिलती है !
  • इस व्रत से सभी पापों का नाश होता है और व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी होती हैं !
  • प्रदोष व्रत करने से पिता-पुत्र और माता-पुत्र के बीच संबंध अच्छे रहते हैं !
  • प्रदोष व्रत करने से सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, और शनि दोष से मुक्ति मिलती है !
  • इस व्रत से पराक्रम और साहस बढ़ता है !
  • व्यापार में सफलता मिलती है !
  • वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है !
  • व्यक्तित्व में निखार आता है !
  • पति-पत्नी के बीच संबंध मज़बूत होते हैं !

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