सरस्वती स्तोत्रम् ( बृहस्पतिकृत ),Saraswati Stotram (Brhaspatikrt)

सरस्वती स्तोत्रम् ( बृहस्पतिकृत )

सरस्वती स्तोत्र (Saraswati Strotam) का पाठ करने से विद्या की देवी मां सरस्वती की असीम कृपा प्राप्त होती है। ज्योतिषाचार्यों की माने तो उनका कहना है कि जिन जातकों का मन पढ़ाई में नहीं लगता है उन्हें जरूर मां सरस्वती के स्तोत्र का पाठा रोजाना करना चाहिए। इससे उनका मन शिक्षा की ओर आकर्षित होता है।
मां सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए आप बसंत पंचमी के दिन सबसे पहले सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें. इसके बाद पीले रंग के कपड़े पहनें और फिर घर में मंदिर की साफ-सफाई करें. मंदिर की सफाई करने के बाद गंगाजल से पूरे घर में छिड़काव करें और सभी चीजों को शुद्ध कर लें !

Saraswati Stotram (Brhaspatikrt)

सरस्वती स्तोत्रम् ( बृहस्पतिकृत ),Saraswati Stotram (Brhaspatikrt)

बृहस्पतिरुवाच

सरस्वति नमस्यामि चेतनां हृदि संस्थिताम् ।
कण्ठस्थां पद्मयोनिं त्वां हृीङ्कारां सुप्रियां सदा ॥ १ ॥

मतिदां वरदां चैव सर्वकामफलप्रदाम् ।
केशवस्य प्रियां देवीं वीणाहस्तां वरप्रदाम् ॥ २ ॥

मन्त्रप्रियां सदा हृद्यां कुमतिध्वंसकारिणीम् ।
स्वप्रकाशां निरालम्बामज्ञानतिमिरापहाम् ॥ ३ ॥

मोक्षप्रियां शुभां नित्यां सुभगां शोभनप्रियाम् ।
पद्मोपविष्टां कुण्डलिनीं शुक्लवस्त्रां मनोहराम्  ॥ ४ ॥

आदित्यमण्डले लीनां प्रणमामि जनप्रियाम् ।
ज्ञानाकारां जगद् द्वीपां भक्तविघ्न विनाशिनीम् ॥ ५ ॥

इति सत्यं स्तुता देवी वागीशेन महात्मना ।
आत्मानं दर्शयामास शरदिन्दुसमप्रभाम् ॥ ६ ॥

श्रीसरस्वत्युवाच

वरं वृणीष्व भद्रं त्वं यत्ते मनसि वर्तते ।

बृहस्पतिरुवाच

प्रसन्ना यदि मे देवि परं ज्ञानं प्रयच्छ मे  ॥ ७ ॥

श्रीसरस्वत्युवाच 

दत्तं ते निर्मलं ज्ञानं कुमतिध्वंसकारकम् ।
स्तोत्रेणानेन मां भक्त्या ये स्तुवन्ति सदा नराः ॥ ८ ॥

लभन्ते परमं ज्ञानं मम तुल्यपराक्रमाः ।
कवित्वं मत्प्रसादेन प्राप्नुवन्ति मनोगतम् ॥ ९ ॥

त्रिसन्ध्यं प्रणतो भूत्वा यस्त्विमं पठते नरः ।
तस्य कण्ठे सदा वासं करिष्यामि न संशयः ॥ १० ॥

॥ इति रुद्रयामले श्रीबृहस्पतिविरचितं सरस्वती स्तोत्रम् संपूर्णम् ॥

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