सरस्वती बीज मंत्र साधना,Saraswati Beej Mantra Sadhana

सरस्वती बीज मंत्र साधना,Saraswati Beej Mantra Sadhana

“ऐं”:- सरस्वती बीज । यह मां सरस्वती का बीज मंत्र है, इसे वाग् बीज भी कहते हैं। जब बौद्धिक कार्यों में सफलता की कामना हो, तो यह मंत्र उपयोगी होता है। जब विद्या, ज्ञान व वाक् सिद्धि की कामना हो, तो श्वेत आसान पर पूर्वाभिमुख बैठकर स्फटिक की माला से नित्य इस बीज मंत्र का एक हजार बार जप करने से लाभ मिलता है। 

बीज मंत्र स्थापन सरस्वती साधना

माघ मासीय गुप्त नवरात्रि एवं माँ भगवती सरस्वती जयन्ती अर्थात वसन्त पंचमी समीप ही है। आप सभी को गुप्त नवरात्रि एवं वसन्त पंचमी की अग्रिम रूप से बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ! गुप्त नवरात्रि २८ जनवरी २०१७ से आरम्भ हो रही है और वसन्त पंचमी १ फरवरी २०१७ को आ रही है।हम सदैव साधना करते रहते हैं। कोई महा विद्या की तो कोई भैरव की,परन्तु बहुत कम लोग है, जो सरस्वती माँ की साधना की ओर ध्यान देते हैं। जबकि अगर माँ सरस्वती की कृपा हमें मिल जाए तो संसार का कोई ज्ञान नहीं है, जो हमें प्राप्त न हो सके, चाहे वह तन्त्र का ज्ञान हो या कोई और ज्ञान। परन्तु कुछ लोगों के सिवा सभी साधक सरस्वती साधना को बहुत हल्के में लेते हैं और यदि करते भी हैं तो कितना ? सिर्फ एक या दो माला पर ही आकर रुक जाते हैं और समझ लेते हैं कि बस हो गयी माँ प्रसन्न। परन्तु ऐसा नहीं है, हमें सरस्वती साधना को गम्भीरता से लेना होगा, क्यूँकि संसार का हर शब्द, हर मन्त्र, हर ज्ञान सरस्वती के बिना शून्य है।
Saraswati Beej Mantra Sadhana

प्रस्तुत साधना माँ सरस्वती की बीजमन्त्र साधना है, जिसे बीजोक्त सरस्वती स्थापन साधना के नाम से जाना जाता है। इस साधना से माँ सरस्वती की कृपा तो प्राप्त होती ही है। साथ ही माँ के बीजमन्त्र " ऐं"  में जो शक्ति विद्यमान है, वह साधक की बुद्धि में स्थापित हो जाती है। अब सोचिए जब बीज मन्त्र की शक्ति आपकी बुद्धि में समाहित हो जाए तो क्या बाकी रह जाता है। साधक ज्ञान मार्ग में निरन्तर प्रगति करता ही है। अधिक लिखने से कोई लाभ नहीं है। आप स्वयं साधना करे और लाभ प्राप्त करे।

साधना विधि

साधना वसन्त पंचमी से प्रारम्भ करे। इसके अलावा इसे किसी भी सोमवार से आरम्भ किया जा सकता है। समय रात्रि ९ के बाद का रहे या यह ब्रह्म मुहूर्त में भी की जा सकती है। आसन वस्त्र सफ़ेद हो तथा आपका मुख उत्तर या पूर्व की ओर हो। अपने सामने बाजोट पर एक सफ़ेद वस्त्र बिछाएं और माँ सरस्वती का कोई भी चित्र और सद्गुरुदेवजी का चित्र अथवा गुरु पादुका स्थापित कर दें। 
अब सबसे पहले सामान्य गुरुपूजन सम्पन्न करके गुरुमन्त्र की चार माला जाप करें। फिर सद्गुरुदेवजी से सरस्वती बीज मन्त्र साधना सम्पन्न करने की अनुमति लें और उनसे साधना की निर्बाध पूर्णता एवं सफलता के लिए प्रार्थना करें।इसके बाद भगवान गणपतिजी का स्मरण करके एक माला गणेश मन्त्र की जाप करें और उनसे साधना की निर्विघ्न पूर्णता एवं सफलता के लिए प्रार्थना करें। 
 इसके पश्चात साधक को साधना के पहले दिन संकल्प अवश्य लेना चाहिए। 
इसके लिए साधक दाहिने हाथ में जल लेकर संकल्प करे कि “मैं अमुक पिता का नाम अमुक गोत्र अमुक परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानन्दजी गुरुजी का शिष्य होकर आज से सरस्वती बीज मन्त्र साधना का अनुष्ठान प्रारम्भ कर रहा हूँ। मैं ११ दिनों तक नित्य १०८ माला मन्त्र जाप सम्पन्न करूँगा। हे, माँ! आप मेरी इस साधना को स्वीकार कर मुझे सिद्धि प्रदान करें और इसकी ऊर्जा को आप मेरी बुद्धि में स्थापित कर दें।”

इसके बाद चित्र के ठीक सामने कुमकुम से कपड़े के ऊपर ही मैथुन चक्र का निर्माण करे, पर यह ज्यादा बड़ा न हो।  मैथुन चक्र की आकृति निम्नानुसार है

अब मैथुन चक्र पर केसर मिश्रित चावल की ढेरी बनाएं और उस ढेरी पर सरस्वती यन्त्र स्थापित करे। सरस्वती यन्त्र  की आकृति निम्नानुसार है 

इस यन्त्र का निर्माण अष्टगन्ध की स्याही से अनार या चाँदी की कलम से करे। भोज पत्र या सादे कागज़ पर इसे बना ले।अब यन्त्र के सामने ५ चावल की ढेरी बनाएं एक ही लाइन में और उन पर एक-एक सुपारी स्थापित करें। हर सुपारी पर केसर या कुमकुम की स्याही से बीजमन्त्र  "ऐं" का अंकन करें। फिर माँ सरस्वती का सामान्य पूजन करें और यन्त्र का भी पूजन करें। घी का दीपक जलाएं। भोग में खीर या पञ्च मेवा अर्पण करें, जो कि साधना के बाद स्वयं खाना है।

अब निम्न मन्त्र पढ़ते हुए सुपारी पर कुमकुम अर्पण करे -

  • ॐ मेधा स्वामिनी नमः।
  • ॐ शक्ति दात्री नमः।
  • ॐ बीज स्वरूपिणी नमः।
हर मन्त्र को २१ बार पढ़े और सुपारी पर कुमकुम अर्पण करें। कुमकुम अर्पण करते समय अपने बाएँ हाथ के अँगूठे से आज्ञा चक्र वाली जगह पर निरन्तर स्पर्श करते रहें। सिर्फ स्पर्श करना है, दबाना नहीं है। इसके बाद सरस्वती के बीज मन्त्र की १०८ माला जाप करें -

बीज मन्त्र- ।। ऐं ।।

हर माला के बाद सुपारी पर चढ़ाए हुए कुमकुम को मस्तक पर लगाना है और यह क्रम हर सुपारी के साथ करना है अर्थात एक माला के बाद पहली सुपारी से कुमकुम ले, दूसरी के बाद दूसरी सुपारी से ले। इस तरह यह क्रम जारी रखे। जप के बाद सद्गुरुदेव तथा माँ से प्रार्थना करे। इसी तरह यह साधना आपको ग्यारह दिनों तक सम्पन्न करनी है। सोमवार से शुरु करने की दशा में अगले सोमवार के पश्चात गुरुवार तक करनी होगी।साधना समाप्ति के बाद यन्त्र पूजाघर में रख ले। अन्य सामग्री कपड़ा, चावल, सुपारी किसी देवी मन्दिर में दक्षिणा के साथ अर्पण कर दें। आप स्वयं साधना के बाद इसका प्रभाव अनुभव करने लगेंगे। तो देर कैसी?  साधना कर लाभ प्राप्त करे और माँ के बीज मन्त्र की शक्ति को बुद्धि में स्थापित करे।
आपकी सरस्वती साधना सद्गुरुदेव निखिलेश्वरानन्दजी की कृपा से सफल हो और माँ भगवती सरस्वती का आपको पूर्ण आशीर्वाद प्राप्त हो। मैं पूज्यपाद सद्गुरुदेवजी से ऐसी ही प्रार्थना करता हूँ।

सरस्वती बीज मंत्र 'ऐं' है. सरस्वती मंत्र का जाप करने से ज्ञान और अंदृष्टि मिलती है. जिन लोगों को सीखने में दिक्कत होती है, उनकी समस्याएं धीरे-धीरे दूर होने लगती हैं. सरस्वती मंत्र का जाप करने का सही तरीका:
  • दैनिक कामों से निवृत्त होने के बाद ही मंत्रों का जाप करें.
  • ब्रह्म मुहूर्त में जाप करने से जल्द फल मिलता है.
  • मंत्र पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके जपें.
  • स्वच्छ आसन पर बैठकर किया गया जाप ही प्रभावी होता है.
  • दीपावली की रात को बारह हज़ार बार सरस्वती मंत्र का जाप करने से यह सिद्ध होता है.
  • साधक को पूर्व मुख बैठकर सफ़ेद वस्त्र पहनकर कमलासन पर बैठकर यह मंत्र सिद्ध करना चाहिए

टिप्पणियाँ