रवि प्रदोष व्रत कथा ! Ravi Pradosh Vrat Katha
रवि प्रदोष व्रत पर पूजा के दौरान शिव प्रदोष स्तोत्र का पाठ करना चाहिए. इस दिन शिवलिंग को गाय के कच्चे दूध से स्नान कराने पर विद्या प्राप्त होती है. शिवलिंग पर बेलपत्र, अक्षत, दूध, पुष्प, और मौसमी फल चढ़ाना चाहिए. शाम के समय शिव मंदिर में दीपक जलाने से धन-संपत्ति और ऐश्वर्य प्राप्त होता है. जूही के फूल से शिव जी की पूजा करने से घर में अन्न-धान्य भरा रहता है!
रवि प्रदोष व्रत का महत्व यह भी है कि इस दिन आराधना करने से भगवान शिव प्रसन्न होकर धन, संपत्ति, यश, कीर्ति की प्राप्ति होती है. साथ ही, इस दिन जो व्यक्ति भगवान शिव के साथ-साथ सूर्य देव की आराधना करता है, उसके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं. पुराणों के मुताबिक, जो लोग प्रदोष काल में भक्तिपूर्वक भगवान शिव की पूजा करते हैं, उन्हें धन-धान्य, स्त्री-पुत्र और सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है. साथ ही, उन्हें हर क्षेत्र में उन्नति मिलती है !
Ravi Pradosh Vrat Katha |
रवि प्रदोष व्रत कथा ! Ravi Pradosh Vrat Katha !
एक बार की बात है एक ग्राम में निर्धन ब्राह्मण रहा करता था जिसकी पत्नी प्रदोष व्रत रखा करती थी। उस निर्धन दंपत्ति के एक पुत्र था। वह पुत्र एक बार गंगा स्नान करने के लिए गया। लेकिन उसके मार्ग में ही अचानक चोर आ गए और कहने लगे कि बता पिता का गुप्त धन कहाँ छिपाकर रखा है? चोरों की यह बात सुनकर वह पुत्र बोला कि उसके माँ-बाप बहुत ही निर्धन हैं। भला उसके पास कहाँ से गुप्त धन आएगा। चोरों ने उसकी बातें सुन उसपर दया कर आगे जाने दिया।
अब ब्राह्मण का पुत्र आगे मार्ग पर जाने लगा, चलते-चलते वह इतना थक चुका था कि वह पास के बरगद के वृक्ष के नीचे बैठकर विश्राम करने लगा। उसी समय पास के नगर से दो सिपाही चोरों को खोजते हुए उस स्थान पर पहुंचे जहाँ वह ब्राह्मण पुत्र विश्राम कर रहा था। उन सिपाहियों ने ब्राह्मण के पुत्र को पकड़कर राजा के सामने पेश। फिर राजा ने उसे चोर समझकर जेल में डलवा दिया।
कुछ समय बीतने पर जब ब्राह्मणी का पुत्र घर नहीं पहुंचा तो उसे बहुत चिंता होने लगी। अगले ही प्रदोष व्रत रखा जाना था, ब्राह्मणी ने प्रदोष व्रत का पालन कर भगवान शिव की पूजा अर्चना की और अपने बेटे के कुशल मंगल होने की कामना भी की।
ब्राह्मणी के व्रत का शुभ फल निकला और राजा को उसी रात्रि को एक स्वप्न आया। दरअसल राजा के स्वप्न में आया कि वह बालक निर्दोष है उसने कोई चोरी नहीं की। यदि तुमने उसे नहीं छोड़ा तो तुम्हारा सारा राजपाठ समाप्त हो जाएगा। सुबह होते ही उस राजा ने ब्राह्मण के पुत्र को अपने दरबार में बुलवाया।
इसके बाद बालक ने सारी बात राजा को विस्तार से बताई। राजा ने बालक के माता-पिता को भी दरबार में बुलाया और कहा कि तुम्हारा पुत्र निडर और निर्दोष है। हम तुम्हारी दीन-हीनता को देखते हुए पांच गाँव तुम्हारे नाम करते हैं। इस तरह ब्राह्मणी द्वारा रखे गए रवि प्रदोष व्रत के शुभ फल से ब्राह्मण का परिवार सुखी और समृद्ध हो गया। इस प्रकार रवि प्रदोष के दिन जो भी सच्चे मन से व्रत का पालन कर रविवार प्रदोष व्रत कथा ( Ravivar Pradosh Vrat Katha ) का पाठ करता है उसे भगवान शिव का असीम आशीर्वाद मिलता है।
रवि प्रदोष व्रत को करने से कई तरह के फ़ायदे होते हैं:-
- इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है !
- शिव पुराण के मुताबिक, रवि प्रदोष व्रत करने से शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है !
- रविवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत से आयु बढ़ती है और स्वास्थ्य अच्छा रहता है !
- इस दिन शिव-शक्ति पूजा करने से दाम्पत्य सुख बढ़ता है !
- रवि प्रदोष व्रत करने से परेशानियां दूर होती हैं !
- इस व्रत को करने से परिवार हमेशा स्वस्थ रहता है !
- इस व्रत को करने से आय, आयु, और सौभाग्य में बढ़ोतरी होती है !
- इस दिन भगवान शिव की आराधना करने से वे प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद मिलता है !
- इस दिन भगवान शिव के साथ-साथ सूर्य देव की पूजा करने से सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं !
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