रामायण जी की आरती ! आरती रामायण अर्थ सहित
आरती श्री रामायण जी की महत्व
रामायण सभी ने पढ़ी होगी या फिर रामानंद सागर जी का धारावाहिक देखा होगा। एक तरह से रामायण के माध्यम से सभी को श्रीराम व माता सीता की कथा का ज्ञान होगा। रामायण सनातन धर्म का एक ऐसा ग्रंथ है जो संपूर्ण रूप से भावों से भरा हुआ है। इसे पढ़ने, सुनने और देखने वाले का तन व मन दोनों ही शुद्ध हो जाते हैं। ऐसे में जो कोई भी रामायण आरती का पाठ करता है, उसका उद्धार होना तय है।
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Ramayana ji Aarti Arth Sahit |
रामायण ग्रंथ के बारे में बताने के लिए ही रामायण जी की आरती की रचना की गयी है। इसके माध्यम से एक तो रामायण ग्रंथ के बारे में जानकारी दी गयी है और उसी के साथ-साथ संपूर्ण ग्रंथ की आराधना भी की गयी है। रामायण आरती के माध्यम से आप एक बारी में ही श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण, भरत, हनुमान इत्यादि देवपुरुषों की आरती कर लेते हैं। यही रामायण जी आरती का महत्व होता है।
रामायण जी की आरती ! Ramayana ji Aarti
गावत ब्रहमादिक मुनि नारद ।
बाल्मीकि बिग्यान बिसारद ॥
शुक सनकादिक शेष अरु शारद ।
बरनि पवनसुत कीरति नीकी ॥
॥ आरती श्री रामायण जी की..॥
गावत बेद पुरान अष्टदस ।
छओं शास्त्र सब ग्रंथन को रस ॥
मुनि जन धन संतान को सरबस ।
सार अंश सम्मत सब ही की ॥
॥ आरती श्री रामायण जी की..॥
गावत संतत शंभु भवानी ।
अरु घटसंभव मुनि बिग्यानी ॥
ब्यास आदि कबिबर्ज बखानी ।
कागभुशुंडि गरुड़ के ही की ॥
॥ आरती श्री रामायण जी की..॥
कलिमल हरनि बिषय रस फीकी ।
सुभग सिंगार मुक्ति जुबती की ॥
दलनि रोग भव मूरि अमी की ।
तात मातु सब बिधि तुलसी की ॥
आरती श्री रामायण जी की ।
कीरति कलित ललित सिय पी की ॥
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आरती रामायण अर्थ सहित ! Ramayana ji Aarti Arth Sahit
आरती श्री रामायण जी की।
कीरति कलित ललित सिय पी की॥
हम सभी आरती श्री रामायण जी की पाठ करते हैं। रामायण कथा के माध्यम से श्रीराम व माता सीता की मनोहर कथा व उनकी कीर्ति का वर्णन किया गया है।
गावत ब्रहमादिक मुनि नारद।
बाल्मीकि बिग्यान बिसारद॥
इस रामायण आरती व ग्रंथ का पाठ तो स्वयं भगवान ब्रह्मा और नारद मुनि भी अपने मुख से करते हैं। महर्षि वाल्मीकि जी ने भगवान ब्रह्मा जी के आशीर्वाद स्वरुप अपने ज्ञान से रामायण ग्रंथ की रचना की थी।
शुक सनकादिक शेष अरु शारद।
बरनि पवनसुत कीरति नीकी॥
शुक, ब्रह्मा के चारों पुत्र अर्थात चारों वेद, शेषनाग व शारदा माता भी पवन पुत्र हनुमान की कीर्ति का वर्णन करते हैं। हनुमान भगवान शिव के अंशावतार थे जो बुद्धि व शक्ति दोनों में ही सर्वश्रेष्ठ थे।
गावत बेद पुरान अष्टदस।
छओं शास्त्र सब ग्रंथन को रस॥
चारों वेद, अठारह पुराण, छह शस्त्र व सभी ग्रंथों का रस इस रामायण में छिपा हुआ है। एक तरह से रामायण एक ऐसा ग्रंथ है जो सभी ग्रंथों की शिक्षाओं को अपने अंदर समेटे हुए है।
मुनि जन धन संतान को सरबस।
सार अंश सम्मत सब ही की॥
रामायण आरती के माध्यम से यह बताया गया है कि रामायण एक ऐसा ग्रंथ है जो सभी के लिए लिखा गया है। यह ग्रंथ इस पृथ्वी के हरेक प्राणी को उच्चतम शिक्षा प्रदान करता है।
गावत संतत शंभु भवानी।
अरु घटसंभव मुनि बिग्यानी॥
रामायण जी की आरती को तो स्वयं भगवान शिव, माँ भवानी व सभी संतजन मिलकर गाते हैं। सूर्य देव को भी इससे प्रकाश मिलता है और यह मुनिजनों की ही भाषा है।
ब्यास आदि कबिबर्ज बखानी।
कागभुशुंडि गरुड़ के ही की॥
रामायण की महिमा का वर्णन तो महर्षि वेदव्यास व कबीर के द्वारा भी किया गया है। कागभुशुंडी ने रामायण की कथा का पाठ स्वयं गरुड़ देवता के सामने किया था।
कलिमल हरनि बिषय रस फीकी।
सुभग सिंगार मुक्ति जुबती की॥
कलियुग में जिस व्यक्ति ने रामायण के भावों को समझ लिया, वह कलियुग के पापों से दूर हो जाता है। जो रामायण में श्रीराम के बताये गए आदर्शों पर चलेगा, अवश्य ही उसकी मुक्ति हो जाएगी और वह भवसागर पार कर जाएगा।
दलनि रोग भव मूरि अमी की।
तात मातु सब बिधि तुलसी की॥
रामायण जी की आरती के माध्यम से हमारे हर तरह के रोग व दोष दूर हो जाते हैं। हम सभी पर माता तुलसी जी की कृपा बरसती है और हमारा उद्धार हो जाता है।
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