प्रदोष व्रत के नियम ! Pradosh Vrat Ke Niyam
प्रदोष व्रत, हिंदू कैलेंडर के हर पखवाड़े के तेरहवें दिन किया जाने वाला व्रत है. इस दिन सूर्यास्त से डेढ़ घंटे पहले और बाद का समय शिव पूजा के लिए सबसे अच्छा माना जाता है. इस अवधि के दौरान किए जाने वाले व्रत को प्रदोष व्रत कहते हैं. प्रदोष का मतलब है, रात का प्रारंभ. इस व्रत को स्त्री और पुरुष दोनों कर सकते हैं !
Pradosh Vrat Ke Niyam |
प्रदोष व्रत के नियम
- प्रदोष व्रत के दिन तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए.
- इस दिन व्यर्थ के लड़ाई-झगड़े से बचना चाहिए.
- किसी को अपशब्द नहीं बोलने चाहिए और किसी का अपमान नहीं करना चाहिए.
- सुबह जल्दी उठना चाहिए और ज़्यादा देर तक नहीं सोना चाहिए.
- अन्न, चावल, और नमक का सेवन नहीं करना चाहिए.
- काले रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए.
- प्रदोषकाल में ही भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए.
- महिलाओं को प्रदोषकाल में सिर्फ़ फलाहार करके ही भगवान शिव का अभिषेक पूजन करना चाहिए और व्रत का पारण करना चाहिए.
- इस दिन किसी पर गुस्सा नहीं करना चाहिए.
- किसी से झूठ नहीं बोलना चाहिए.
- व्रत में ब्रह्माचार्य का पालन करना चाहिए.
- मांसाहारी भोजन नहीं करना चाहिए.
- इस दिन शराब, मांस, प्याज़, लहसुन, तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए.
- प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव को सिंदूर, हल्दी, तुलसी, केतकी और नारियल का पानी नहीं चढ़ाना चाहिए.
- प्रदोष व्रत वाले दिन महिलाओं को शिवलिंग को नहीं छूना चाहिए.
- प्रदोष काल में उपवास में सिर्फ़ हरे मूंग का सेवन करना चाहिए.
- लाल मिर्च, अन्न, चावल और सादा नमक नहीं खाना चाहिए.
- तन, मन और चित्त में लोभ, ईर्ष्या और क्रोध जैसे विकारों को नहीं लाना चाहिए
प्रदोष व्रत करने से जुड़ी कुछ मान्यताएं :-
- प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और माता पार्वती का आशीर्वाद मिलता है.
- शास्त्रों के मुताबिक, प्रदोष व्रत करने से दो गायों को दान करने के बराबर पुण्य मिलता है.
- प्रदोष व्रत करने से दरिद्रता और कर्ज़ से मुक्ति मिलती है.
- इस व्रत को करने से विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं.
- प्रदोष व्रत करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
- पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
- ग्रहों के दोष दूर होते हैं और कुंडली में मंगल दोष कम होता है.
प्रदोष व्रत की विधि
प्रदोष व्रत में भोजन नहीं किया जाता, इसलिए निराहार रहें और सिर्फ़ पानी पिएं. प्रदोष काल में सिर्फ़ हरे मूंग का सेवन करना चाहिए, क्योंकि हरा मूंग पृथ्वी तत्व है और मंदाग्नि को शांत रखता है. प्रदोष व्रत में लाल मिर्च, अन्न, चावल, और सादा नमक नहीं खाना चाहिए. हालांकि, आप पूर्ण उपवास या फलाहार भी कर सकते हैं ! प्रदोष व्रत हर महीने कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को रखा जाता है. अगर कोई मनोकामना है, तो प्रदोष व्रत लगातार 11 या 26 त्रयोदशी तक रखें और इसके बाद इसका विधि-विधान उद्यापन कर दें !
- सूर्यास्त के बाद स्नान करें.
- मंदिर की साफ़-सफ़ाई करें.
- एक वेदी पर शिव जी की मूर्ति रखें.
- शिव जी को गंगाजल और पंचामृत से अभिषेक करें.
- चंदन, फूल, बेलपत्र, धतूरा, दीपक, और धूप चढ़ाएं.
- साबुत चावल की खीर और फल अर्पित करें.
- पंचाक्षरी स्तोत्र का पाठ करें.
- 'ऊं नमः शिवाय' मंत्र का 108 बार जाप करें.
- क्षमा प्रार्थना करें
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