प्रदोष व्रत कौन से महीने से शुरू करना चाहिए- शुरुआत कैसे करें,Pradosh Vrat Kaun Se Maheene Se Shuroo Karana Chaahie - Shuruaat Kaise Karen
प्रदोष व्रत कौन से महीने से शुरू करना चाहिए- शुरुआत कैसे करें
प्रदोष व्रत कौन से महीने से शुरू करना चाहिए-
प्रदोष व्रत किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी से शुरू किया जा सकता है. हालांकि, श्रावण और कार्तिक महीने की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत शुरू करना सबसे शुभ माना जाता है. प्रदोष व्रत एक बार में 11 या 26 प्रदोष तक ही रखा जाता है. इसके बाद इसका उद्यापन कर देना चाहिए !
प्रदोष व्रत में भगवान शिव, माता पार्वती, और भगवान गणेश की पूजा की जाती है. प्रदोष व्रत वाले दिन प्रदोष काल की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है. पंडित सुजीत जी महाराज के मुताबिक, प्रदोष व्रत में ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके पूजा करनी चाहिए और पूजा स्थल को साफ़ करना चाहिए !
साल 2024 का पहला प्रदोष व्रत 9 जनवरी को पड़ेगा. इस दिन मासिक शिवरात्रि भी है. त्रयोदशी युक्त चतुर्दशी तिथि दोनों ही तिथि भगवान भोलेनाथ के पूजन के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी गई हैं !
Pradosh Vrat Kaun Se Maheene Se Shuroo Karana Chaahie - Shuruaat Kaise Karen |
प्रदोष व्रत की शुरुआत कैसे करें
प्रदोष व्रत के दिन पूरे दिन उपवास रखना चाहिए. इस दिन निर्जला उपवास करना और भी फलदायी माना जाता है. प्रदोष काल में उपवास में सिर्फ़ हरे मूंग का सेवन करना चाहिए, क्योंकि हरा मूंग पृथ्वी तत्व है और मंदाग्नि को शांत रखता है. प्रदोष व्रत में लाल मिर्च, अन्न, चावल और सादा नमक नहीं खाना चाहिए !
प्रदोष व्रत में प्रदोषकाल का बहुत महत्व होता है. शास्त्रानुसार प्रदोषकाल सूर्यास्त से 2 घड़ी (48 मिनट) तक रहता है. कुछ विद्वान मतांतर से इसे सूर्यास्त से 2 घड़ी पूर्व व सूर्यास्त से 2 घड़ी पश्चात् तक भी मान्यता देते हैं. प्रदोष वाले दिन !
प्रदोष व्रत की शुरुआत त्रयोदशी के दिन स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लेकर की जाती है. प्रदोष व्रत की विधि इस प्रकार है:-
- ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें !
- पूजा स्थल को साफ़ करें !
- गाय के गोबर से मंडप बनाएं !
- पांच रंगों से रंगोली बनाएं !
- पूजा स्थल पर भगवान शिव की प्रतिमा या मूर्ति स्थापित करें !
- सफ़ेद वस्त्र पहनें !
- उतर-पूर्व दिशा में मुंह करके कुशा के आसन पर बैठें !
- भगवान शिव के मंत्र ऊँ नम: शिवाय का जाप करें !
- भगवान शिव को जल चढ़ाएं !
- भगवान शिव को भोग लगाएं !
- आरती करें !
- शाम में फिर से स्नान करें और प्रदोष व्रत कथा सुनें
भगवान शिव को इन मंत्रों के जप से करें प्रसन्न
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
नमामिशमीशान निर्वाण रूपं विभुं व्यापकं ब्रह्म वेद स्वरूपं’।।
ऊँ शं शंकराय भवोद्भवाय शं ऊँ नमः।।
ऊँ शं शं शिवाय शं शं कुरु कुरु ऊँ।।
भगवान शिव के इन मंत्रों का जप आप दिन में कभी भी कर सकते हैं। हालांकि मंत्र जप के लिए आपको एकांत जगह का चुनाव करना चाहिए। माना जाता है कि जो लोग प्रदोष व्रत के दिन शिवमंत्रों का जप करते हैं उनके शारीरिक और मानसिक कष्ट दूर हो जाते हैं। भगवान शिव की कृपा ऐसे भक्तों पर बरसती है और जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही प्रदोष व्रत के शुभ प्रभाव से वैवाहिक जीवन में भी संतुलन आता है और अगर संतान प्राप्ति के लिए इस दिन व्रत रखा जाए तो मनोकामना पूरी होती है।
प्रदोष व्रत के दिन ध्यान देने योग्य कुछ तथ्य
- प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव को सिंदूर, हल्दी, तुलसी, केतकी, और नारियल का पानी नहीं चढ़ाना चाहिए !
- इस दिन महिलाओं को शिवलिंग को नहीं छूना चाहिए !
- इस दिन शराब, मांस, प्याज़, लहसुन, और तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए !
- इस दिन किसी को भी अपशब्द कहने से बचना चाहिए !
- प्रदोष व्रत के दिन पूजा के दौरान परिक्रमा करते समय ध्यान रखना चाहिए कि परिक्रमा कभी भी पूरी न करें !
- परिक्रमा के दौरान जिस जगह से दूध बह रहा हो, वहां रुक जाएं, फिर वहीं से वापस घूम जाएं !
- शिव जी की पूजा में चंदन के तिलक का इस्तेमाल करना चाहिए !
- शिवलिंग पर रोली और सिंदूर का तिलक नहीं लगाना चाहिए !
- प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव को गंगा जल से अभिषेक करना चाहिए !
- भगवान शिव को पुष्प अर्पित करना चाहिए !
- इस दिन भगवान शिव के साथ ही माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा भी करनी चाहिए !
- भगवान शिव को सिर्फ़ सात्विक चीज़ों का भोग लगाना चाहिए !
- भगवान शिव की आरती करनी चाहिए !
- प्रदोष व्रत के दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करना चाहिए !
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