प्रदोष स्तोत्र अष्टकम ! Pradosh Stotra Ashtakam

प्रदोष स्तोत्र अष्टकम ! Pradosh Stotra Ashtakam

प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है और यह हर महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. प्रदोष व्रत के दिन पूजा करने से साधक को सुखी जीवन प्राप्त होता है और महादेव का आशीर्वाद मिलता है. मान्यता है कि प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति के सभी दुख दूर हो जाते हैं और अंत में वह सभी सुखों को भोगकर मोक्ष प्राप्त करता है
प्रदोष स्तोत्र का पाठ करने से साधक को भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है. प्रदोष व्रत के दिन शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से धन-संपत्ति प्राप्ति में लाभ मिलता है. मान्यता के अनुसार, शुक्रवार को प्रदोष व्रत करने से सौभाग्य और दांपत्य जीवन में सुख-समृद्धि आती है. इस व्रत के प्रभाव से हर तरह के रोग दूर होकर बीमारियों पर होने वाले खर्च में कमी आती है !


श्रीस्कन्दपुराण में वर्णित प्रदोषस्तोत्राष्टकम्‌ !

प्रदोषस्तोत्राष्टकम्‌ ( Pradosh Stotra Ashtakam)

श्री गणेशाय नमः ।

सत्यं ब्रवीमि परलोकहितं ब्रवीमि
सारं ब्रवीम्युपनिषद्धृदयं ब्रवीमि ।

संसारमुल्बणमसारमवाप्य जन्तोः
सारोऽयमीश्वरपदाम्बुरुहस्य सेवा ॥ १॥

ये नार्चयन्ति गिरिशं समये प्रदोषे
ये नार्चितं शिवमपि प्रणमन्ति चान्ये ।

एतत्कथां श्रुतिपुटैर्न पिबन्ति मूढास्ते
जन्मजन्मसु भवन्ति नरा दरिद्राः ॥ २॥

ये वै प्रदोषसमये परमेश्वरस्य,
कुर्वन्त्यनन्यमनसोंऽघ्रिसरोजपूजाम् ।

नित्यं प्रवृद्धधनधान्यकलत्रपुत्रसौभाग्य-
सम्पदधिकास्त इहैव लोके ॥ ३॥

कैलासशैलभुवने त्रिजगज्जनित्रीं गौरीं
निवेश्य कनकाचितरत्नपीठे ।

नृत्यं विधातुमभिवाञ्छति शूलपाणौ
देवाः प्रदोषसमये नु भजन्ति सर्वे ॥ ४॥

वाग्देवी धृतवल्लकी शतमखो वेणुं दधत्पद्मज-
स्तालोन्निद्रकरो रमा भगवती गेयप्रयोगान्विता ।

विष्णुः सान्द्रमृदङ्गवादनपटुर्देवाः समन्तात्स्थिताः
सेवन्ते तमनु प्रदोषसमये देवं मृडानीपतिम् ॥ ५॥

गन्धर्वयक्षपतगोरगसिद्धसाध्य-
विद्याधरामरवराप्सरसां गणांश्च ।

येऽन्ये त्रिलोकनिलया सहभूतवर्गाः
प्राप्ते प्रदोषसमये हरपार्श्वसंस्थाः ॥ ६॥

अतः प्रदोषे शिव एक एव
पूज्योऽथ नान्ये हरिपद्मजाद्याः ।

तस्मिन्महेशे विधिनेज्यमाने
सर्वे प्रसीदन्ति सुराधिनाथाः ॥ ७॥

एष ते तनयः पूर्वजन्मनि ब्राह्मणोत्तमः ।

प्रतिग्रहैर्वयो निन्ये न दानाद्यैः सुकर्मभिः ॥ ८॥

अतो दारिद्र्यमापन्नः पुत्रस्ते द्विजभामिनि ।

तद्दोषपरिहारार्थं शरणां यातु शङ्करम् ॥ ९॥

॥ इति श्रीस्कान्दोक्तं प्रदोषस्तोत्राष्टकं सम्पूर्णम् ॥

प्रदोषस्तोत्राष्टकम् को भगवान शिव का प्रिय स्तोत्र माना जाता है. प्रदोष स्तोत्र का पाठ करने से कई तरह के लाभ मिलते हैं, जैसे:-

  • दरिद्रता दूर होती है
  • शारीरिक और मानसिक पीड़ा से मुक्ति मिलती है
  • सभी तरह के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है
  • रुके हुए काम पूरे होते हैं
  • सभी दिक्कतों से छुटकारा मिलता है
  • अखंड सौभाग्यवती का वरदान मिलता है
  • संतान सुख की प्राप्ति होती है
  • धन-दौलत में वृद्धि होती है
  • आय और सौभाग्य में वृद्धि होती है

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